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जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया

जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया

गाडी निकल गयी तो, घर से चला मुसाफिर
मायूस हाथ मलता वापिस बैरंग आया

मन की मशीनरी ने जब ठीक चलना सीखा
तब बूढ़े तन के हर इक पुर्जे में जंग आया

फुर्सत के वक़्त में ना सुमिरन का वक़्त निकला
उस वक़्त वक़्त माँगा जब वक़्त तंग आया

आयु ने नत्था सिंह जब हथियार फेंक डाले
यमराज फ़ौज लेकर करने को यंग आया

कवि : नत्था सिंह



jeevan khatam hua to jeene ka dhang aaya

jeevan khatam hua to jeene ka dhang aayaa
jab shama bujh gayi to mahapahil me rang aayaa


gaadi nikal gayi to, ghar se chala musaaphir
maayoos haath malata vaapis bairang aayaa

man ki msheenari ne jab theek chalana seekhaa
tab boodahe tan ke har ik purje me jang aayaa

phursat ke vakat me na sumiran ka vakat nikalaa
us vakat vakat maaga jab vakat tang aayaa

aayu ne nattha sinh jab hthiyaar phenk daale
yamaraaj pahauj lekar karane ko yang aayaa

jeevan khatam hua to jeene ka dhang aayaa
jab shama bujh gayi to mahapahil me rang aayaa




jeevan khatam hua to jeene ka dhang aaya Lyrics

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मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
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मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
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अपनी वाणी में अमृत घोल
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