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Shrimad Bhagwat Katha By Shri Manmohan Ji Brijwasi in November 2015 at Gurgaon, Haryana

Gurgaon, Haryana (14 November 2014) | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Manmohan Ji Brijwasi

Gurgaon, Haryana (15 November 2014) | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Manmohan Ji Brijwasi

Gurgaon, Haryana (16 November 2014) | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Manmohan Ji Brijwasi

Gurgaon, Haryana (17 November 2014) | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Manmohan Ji Brijwasi

Gurgaon, Haryana ( November 2014) | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Manmohan Ji Brijwasi

Gurgaon, Haryana (19 November 2014) | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Manmohan Ji Brijwasi

Gurgaon, Haryana (20 November 2014) | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Manmohan Ji Brijwasi

Contents of this list:

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥

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मैया प्यारी मैया,
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हर ग्यारस की रात को बाबा को बुलाएँगे,
बाबा को बुलाएँगे ह्रदय में बसायेंगे...
कैसे करोगे बेडा पार हरों
राम भजन में तो भूली
चलावे तीर नज़रा दे, जिगर तो पार हो जावे,
सलोनी सांवरी सूरत, प्रभु नाल प्यार हो
हारे का है तू ही सहारा बाबा लखदातार,
हार के बाबा आया हूँ मैं तेरे दरबार,