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सबसे बड़ा दान अभयदान  [प्रेरक कथा]
प्रेरक कथा - Spiritual Story (हिन्दी कहानी)

किसी राजाके चार रानियाँ थीं। एक दिन प्रसन्न होकर राजाने उन्हें एक-एक वरदान माँगनेको कहा। रानियोंने कह दिया- 'दूसरे किसी समय वे वरदान माँग लेंगी।' रानियाँ धर्मज्ञा थीं। कुछ काल बाद राजाके यहाँ कोई अपराधी पकड़ा गया और उसे प्राणदण्डकी आज्ञा हुई बड़ी रानीने सोचा कि 'इस मरणासन्न मनुष्यको एक दिनका जीवनदान देकर उसे उत्तम भोगों से संतुष्ट करना चाहिये।' उन्होंने राजासे प्रार्थना की- 'मेरे वरदानमें आप इस अपराधीको एक दिनका जीवन दान दें और उसका एक दिनका आतिथ्य मुझे करने दें।'

रानीकी प्रार्थना स्वीकार हो गयी। अपराधीको वे राजभवन ले गयीं और उसे बहुत उत्तम भोजन उन्होंने दिया। परंतु दूसरे दिन मृत्यु निश्चित है, इस भयके कारण उस मनुष्यको भोजन प्रिय कैसे लगता? दूसरे दिन दूसरी रानीने यही प्रार्थना की और उन्होंने उस अपराधीको उत्तम भोजनके साथ उत्तम वस्त्र भी दिये। तीसरे दिन तीसरी रानीने भी यही प्रार्थना की और भोजन-वस्त्रके साथ अपराधी मनोरञ्जनके लिये उन्होंने नृत्य-संगीतकी नृत्य भी व्यवस्था कर दी। पर उस मनुष्यको यह कुछ भी

अच्छा नहीं लगा। उसने कुछ खाया-पीया नहीं। चौथे दिन छोटी रानीने प्रार्थना की मैं वरदानमेंचाहती हूँ कि इस अपराधीको क्षमा कर दिया जाय।' उनकी प्रार्थना स्वीकार हो गयी तो उन्होंने अपराधीको केवल रूखी मोटी रोटियाँ और दाल खिलाकर बिदा कर दिया। उसने आज वे रूखी रोटी बड़े चाव तथा आनन्दसे पेटभर खायी।

रानियोंमें विवाद उठा कि सबसे अधिक सेवा उस मनुष्यकी किसने की। परस्पर जब निर्णय नहीं हो सका, तब बात राजाके यहाँ पहुँची। राजाने अपराधीको बुलाकर पूछा तो वह बोला-'राजन् ! जबतक मुझे मृत्यु सामने दीखती थी तबतक भोजन, वस्त्र या नृत्य-समारोहमें मुझे क्या सुख मिलना था। मुझे तो सबसे स्वादिष्ट लगीं छोटी रानीमाताकी रूखी रोटियाँ; क्योंकि तब मुझे मृत्युसे अभय मिल चुका था।' इसीलिये कहा गया है—

न गोप्रदानं न महीप्रदानं

न चान्नदानं न सुवर्णदानम् ।

यथा वदन्तीह बुधाः प्रधानं

सर्वेषु दानेष्वभयप्रदानम् ॥

बुद्धिमान् लोग समस्त दानोंमें अभयदानको जितना प्रधान (महत्त्वपूर्ण) बतलाते हैं, उतना महत्त्वपूर्ण गोदान, पृथ्वीदान, अन्नदान या स्वर्णदानको नहीं बतलाते।

- सु0 सिंग



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sabase bada़a daan abhayadaana

kisee raajaake chaar raaniyaan theen. ek din prasann hokar raajaane unhen eka-ek varadaan maanganeko kahaa. raaniyonne kah diyaa- 'doosare kisee samay ve varadaan maang lengee.' raaniyaan dharmajna theen. kuchh kaal baad raajaake yahaan koee aparaadhee pakada़a gaya aur use praanadandakee aajna huee bada़ee raaneene socha ki 'is maranaasann manushyako ek dinaka jeevanadaan dekar use uttam bhogon se santusht karana chaahiye.' unhonne raajaase praarthana kee- 'mere varadaanamen aap is aparaadheeko ek dinaka jeevan daan den aur usaka ek dinaka aatithy mujhe karane den.'

raaneekee praarthana sveekaar ho gayee. aparaadheeko ve raajabhavan le gayeen aur use bahut uttam bhojan unhonne diyaa. parantu doosare din mrityu nishchit hai, is bhayake kaaran us manushyako bhojan priy kaise lagataa? doosare din doosaree raaneene yahee praarthana kee aur unhonne us aparaadheeko uttam bhojanake saath uttam vastr bhee diye. teesare din teesaree raaneene bhee yahee praarthana kee aur bhojana-vastrake saath aparaadhee manoranjanake liye unhonne nritya-sangeetakee nrity bhee vyavastha kar dee. par us manushyako yah kuchh bhee

achchha naheen lagaa. usane kuchh khaayaa-peeya naheen. chauthe din chhotee raaneene praarthana kee main varadaanamenchaahatee hoon ki is aparaadheeko kshama kar diya jaaya.' unakee praarthana sveekaar ho gayee to unhonne aparaadheeko keval rookhee motee rotiyaan aur daal khilaakar bida kar diyaa. usane aaj ve rookhee rotee bada़e chaav tatha aanandase petabhar khaayee.

raaniyonmen vivaad utha ki sabase adhik seva us manushyakee kisane kee. paraspar jab nirnay naheen ho saka, tab baat raajaake yahaan pahunchee. raajaane aparaadheeko bulaakar poochha to vah bolaa-'raajan ! jabatak mujhe mrityu saamane deekhatee thee tabatak bhojan, vastr ya nritya-samaarohamen mujhe kya sukh milana thaa. mujhe to sabase svaadisht lageen chhotee raaneemaataakee rookhee rotiyaan; kyonki tab mujhe mrityuse abhay mil chuka thaa.' iseeliye kaha gaya hai—

n gopradaanan n maheepradaanan

n chaannadaanan n suvarnadaanam .

yatha vadanteeh budhaah pradhaanan

sarveshu daaneshvabhayapradaanam ..

buddhimaan log samast daanonmen abhayadaanako jitana pradhaan (mahattvapoorna) batalaate hain, utana mahattvapoorn godaan, prithveedaan, annadaan ya svarnadaanako naheen batalaate.

- su0 singa

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