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शारीरिक बलसे उपाय श्रेष्ठ है  [छोटी सी कहानी]
Spiritual Story - Wisdom Story (शिक्षदायक कहानी)

शारीरिक बलसे उपाय श्रेष्ठ है

किसी वनमें बरगदका एक विशाल वृक्ष था। उसकी घनी शाखाओंपर अनेक पक्षी रहा करते थे। उन्हीं में से एक शाखापर एक काक-दम्पती रहते थे और वृक्षके ही खोखले भागमें एक काला साँप भी रहा करता था। जब भी मादा कौआ अंडे देती तो वह उन्हें खा जाया करता था। कौएके अंडोंको खा जाना उस दुष्ट
सर्पका स्वभाव बन गया था। काक-दम्पती उसके इस आचरणसे बहुत दुखित रहते थे, परंतु उन्हें इसका कोई उपाय न सूझता था।

एक दिन वे दोनों अपने मित्र मृगाल के पास गये और उससे अपना दुःख कहते हुए रो पड़े। उनके करुण वृत्तान्तको सुनकर श्रृंगाल भी बहुत दुखी हुआ और बोला-'हे मित्र ] चिन्ता करनेसे कुछ नहीं होगा। हम उस दुष्ट सर्पको शारीरिक बलसे तो नहीं जीत सकते, क्योंकि उसके विषदन्तका एक ही प्रहार हमें यमलोकका राही बना देगा। परंतु किसी उपाय या युक्तिसे काम बन सकता है। मैं तुम्हें ऐसा उपाय बताऊँगा, जिससे तुम्हारा शत्रु अवश्य हो मारा जायगा।'
इसपर काकने कहा-'हे मित्र! शीघ्र ही वह उपाय बतलाओ; क्योंकि वह दुष्ट सर्प मेरी वंश परम्पराका ही लोप करनेपर तुला हुआ है।'
श्रृंगालने कहा- 'तुम किसी राजाकी राजधानी चले जाओ, वहाँ किसी धनी व्यक्ति, राजा अथवा मन्त्रीकी सोनेकी लड़ी या हार लाकर उस दुष्ट सर्पके खोखलेमें डाल दो। उस हारको खोजते हुए राजसेवक आकर काले साँपको मार डालेंगे और हार ले जायेंगे। इस प्रकार तुम्हारा वैरी मारा जायगा।'
यह सुनकर वे दोनों नगरकी ओर उड़े, वहाँ राज सरोवरमें अन्तःपुरकी स्त्रियाँ जलक्रीडा कर रही थीं। उनके आभूषण किनारे रखे हुए थे और राजसेवक उनकी निगरानी कर रहे थे। कौएकी स्त्रीने राजपुरुषको असावधान देखकर एक झपट्टेमें ही रानीका हार उठाया और अपने घोंसलेकी ओर उड़ चली। कौएकी स्त्रीको हार ले जाते देखकर राजपुरुष भी शोर मचाते हुए उसके पीछे-पीछे दौड़े, परंतु आकाशमार्गसे जाती हुई उसे वे भला कैसे पकड़ सकते थे? उसने हार ले जाकर सौंपके खोखलेमें डाल दिया और स्वयं दूर एक पेड़पर बैठ गयी। राजपुरुषोंने उसे हारको खोखले में डालते देख लिया था। जब वे वहाँ पहुँचे तो उन्होंने फन उठाये एक काले साँपको देखा। फिर क्या था? डण्डोंके प्रहारसे राजपुरुषोंने उस काले सर्पको मार डाला और हार लेकर चले गये। काक-दम्पतीने भी भृगालको उसके बुद्धि-चातुर्यके लिये साधुवाद दिया और फिर वे दोनों निश्चिन्त हो आनन्दपूर्वक रहने लगे।
इसीलिये कहा गया है कि 'बलवान्‌को उपायसे ही जीतना चाहिये।' [ पंचतन्त्र, मित्रभेद ]



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shaareerik balase upaay shreshth hai

shaareerik balase upaay shreshth hai

kisee vanamen baragadaka ek vishaal vriksh thaa. usakee ghanee shaakhaaonpar anek pakshee raha karate the. unheen men se ek shaakhaapar ek kaaka-dampatee rahate the aur vrikshake hee khokhale bhaagamen ek kaala saanp bhee raha karata thaa. jab bhee maada kaua ande detee to vah unhen kha jaaya karata thaa. kaueke andonko kha jaana us dushta
sarpaka svabhaav ban gaya thaa. kaaka-dampatee usake is aacharanase bahut dukhit rahate the, parantu unhen isaka koee upaay n soojhata thaa.

ek din ve donon apane mitr mrigaal ke paas gaye aur usase apana duhkh kahate hue ro pada़e. unake karun vrittaantako sunakar shrringaal bhee bahut dukhee hua aur bolaa-'he mitr ] chinta karanese kuchh naheen hogaa. ham us dusht sarpako shaareerik balase to naheen jeet sakate, kyonki usake vishadantaka ek hee prahaar hamen yamalokaka raahee bana degaa. parantu kisee upaay ya yuktise kaam ban sakata hai. main tumhen aisa upaay bataaoonga, jisase tumhaara shatru avashy ho maara jaayagaa.'
isapar kaakane kahaa-'he mitra! sheeghr hee vah upaay batalaao; kyonki vah dusht sarp meree vansh paramparaaka hee lop karanepar tula hua hai.'
shrringaalane kahaa- 'tum kisee raajaakee raajadhaanee chale jaao, vahaan kisee dhanee vyakti, raaja athava mantreekee sonekee lada़ee ya haar laakar us dusht sarpake khokhalemen daal do. us haarako khojate hue raajasevak aakar kaale saanpako maar daalenge aur haar le jaayenge. is prakaar tumhaara vairee maara jaayagaa.'
yah sunakar ve donon nagarakee or uda़e, vahaan raaj sarovaramen antahpurakee striyaan jalakreeda kar rahee theen. unake aabhooshan kinaare rakhe hue the aur raajasevak unakee nigaraanee kar rahe the. kauekee streene raajapurushako asaavadhaan dekhakar ek jhapattemen hee raaneeka haar uthaaya aur apane ghonsalekee or uda़ chalee. kauekee streeko haar le jaate dekhakar raajapurush bhee shor machaate hue usake peechhe-peechhe dauda़e, parantu aakaashamaargase jaatee huee use ve bhala kaise pakada़ sakate the? usane haar le jaakar saunpake khokhalemen daal diya aur svayan door ek peड़par baith gayee. raajapurushonne use haarako khokhale men daalate dekh liya thaa. jab ve vahaan pahunche to unhonne phan uthaaye ek kaale saanpako dekhaa. phir kya thaa? dandonke prahaarase raajapurushonne us kaale sarpako maar daala aur haar lekar chale gaye. kaaka-dampateene bhee bhrigaalako usake buddhi-chaaturyake liye saadhuvaad diya aur phir ve donon nishchint ho aanandapoorvak rahane lage.
iseeliye kaha gaya hai ki 'balavaan‌ko upaayase hee jeetana chaahiye.' [ panchatantr, mitrabhed ]

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