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ध्यानमें मधुर लीलादर्शन  [Spiritual Story]
प्रेरक कथा - Spiritual Story (Short Story)

श्रीजीव गोस्वामीजीके समयकी बात है। उनके प्रेमी एक महात्मा कदमखंडीमें बैठे श्रीराधा-माधवकी मधुर लीलाका ध्यान कर रहे थे। उनको दिखायी दिया कि श्रीप्रियाजी एक वृक्षकी शाखापर लगे हुए मनोहर पुष्पको तोड़ना चाहती हैं, किंतु शाखा ऊँची होनेसे वहाँतक उनका हाथ पहुँचता नहीं। उनको उदासदेखकर श्रीश्यामसुन्दरने उन्हें अपने कंधेपर चढ़ा लिया और श्रीजीको वह शाखा पकड़ा दी। श्रीजी पुष्प तोड़नेका उपक्रम करने लगीं। विनोदप्रिय श्रीश्यामसुन्दरने जब देखा कि श्रीजीने शाखा पकड़ ली है तो आप तुरंत हट गये। श्रीप्रियाजी शाखामें लटककर झूलने लगीं। यह देखकर ध्यानस्थ महात्मा जोरसे हँस पड़े।



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dhyaanamen madhur leelaadarshana

shreejeev gosvaameejeeke samayakee baat hai. unake premee ek mahaatma kadamakhandeemen baithe shreeraadhaa-maadhavakee madhur leelaaka dhyaan kar rahe the. unako dikhaayee diya ki shreepriyaajee ek vrikshakee shaakhaapar lage hue manohar pushpako toda़na chaahatee hain, kintu shaakha oonchee honese vahaantak unaka haath pahunchata naheen. unako udaasadekhakar shreeshyaamasundarane unhen apane kandhepar chadha़a liya aur shreejeeko vah shaakha pakada़a dee. shreejee pushp toda़neka upakram karane lageen. vinodapriy shreeshyaamasundarane jab dekha ki shreejeene shaakha pakada़ lee hai to aap turant hat gaye. shreepriyaajee shaakhaamen latakakar jhoolane lageen. yah dekhakar dhyaanasth mahaatma jorase hans pada़e.

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