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आदर्श सहनशीलता  [Spiritual Story]
Short Story - Hindi Story (Spiritual Story)

अहमदाबादके प्रसिद्ध संत सरयूदासजी महाराज एक बार रेलगाड़ीकी तीसरी श्रेणीमें बैठकर डाकोर जा रहे थे। गाड़ीमें बड़ी भीड़ थी। कहीं तिल छींटनेका भी अवकाश नहीं था। महाराजके पास ही बगलमें एक हट्टा-कट्टा पठान बैठा हुआ था। वह महाराजकी ओर अपने पैर बढ़ाकर बार-बार ठोकर मार रहा था। 'भाई! संकोच मत करो। दिखाओ, तुम्हारे पैरमें किस स्थानपर पीड़ा हो रही है। तुम मेरी ओर पैरबढ़ाकर भी पीछे खींच लिया करते हो। मुझे एक बार तो सेवाका अवसर दो। मैं तुम्हारा ही हूँ।' सरयूदासजी महाराज पैर पकड़कर सहलाने लगे। उसकी ओर करुणाभरी दृष्टिसे देखा ।

'महाराज! मेरा अपराध क्षमा कीजिये। आप औलिया हैं, यह बात मुझे अब विदित हो सकी है।' वह शरमा गया। उसने बड़े दैन्यसे महाराजका चरणस्पर्श किया, क्षमा-याचना की।

- रा0 श्री0



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aadarsh sahanasheelataa

ahamadaabaadake prasiddh sant sarayoodaasajee mahaaraaj ek baar relagaada़eekee teesaree shreneemen baithakar daakor ja rahe the. gaada़eemen bada़ee bheeda़ thee. kaheen til chheentaneka bhee avakaash naheen thaa. mahaaraajake paas hee bagalamen ek hattaa-katta pathaan baitha hua thaa. vah mahaaraajakee or apane pair badha़aakar baara-baar thokar maar raha thaa. 'bhaaee! sankoch mat karo. dikhaao, tumhaare pairamen kis sthaanapar peeda़a ho rahee hai. tum meree or pairabadha़aakar bhee peechhe kheench liya karate ho. mujhe ek baar to sevaaka avasar do. main tumhaara hee hoon.' sarayoodaasajee mahaaraaj pair pakada़kar sahalaane lage. usakee or karunaabharee drishtise dekha .

'mahaaraaja! mera aparaadh kshama keejiye. aap auliya hain, yah baat mujhe ab vidit ho sakee hai.' vah sharama gayaa. usane bada़e dainyase mahaaraajaka charanasparsh kiya, kshamaa-yaachana kee.

- raa0 shree0

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