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उचित गौरव  [शिक्षदायक कहानी]
आध्यात्मिक कथा - Spiritual Story (Moral Story)

एक भंगिन शौचालय स्वच्छ करके जब चलने लगी तब किसी भले आदमीने कुतूहलवश पूछा—'तुम्हें यह काम करनेमें घृणा नहीं लगती ? तुम इतनी दुर्गन्ध सह कैसे लेती हो ?'भंगिनने धीरेसे उत्तर दिया – 'हमारे बड़े लोगोंने बताया है कि सृष्टिकर्ताने हमें मनुष्यमात्रकी माताका पद दिया है। अपनी संतानका मल स्वच्छ करनेमें माताको कभी घृणा लगी है या दुर्गन्ध आयी है ? '

- सु0 सिं0



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uchit gaurava

ek bhangin shauchaalay svachchh karake jab chalane lagee tab kisee bhale aadameene kutoohalavash poochhaa—'tumhen yah kaam karanemen ghrina naheen lagatee ? tum itanee durgandh sah kaise letee ho ?'bhanginane dheerese uttar diya – 'hamaare bada़e logonne bataaya hai ki srishtikartaane hamen manushyamaatrakee maataaka pad diya hai. apanee santaanaka mal svachchh karanemen maataako kabhee ghrina lagee hai ya durgandh aayee hai ? '

- su0 sin0

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तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
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तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
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बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
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सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी मस्तानी बन जाउंगी,
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
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तेरे दर की भीख से है,
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बांके बिहारी की देख छटा,
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वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
मेरा आपकी कृपा से,
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सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
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ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
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अपनी वाणी में अमृत घोल
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