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सहनशीलता (1)  [Spiritual Story]
Hindi Story - Spiritual Story (प्रेरक कथा)

बंगालके प्रसिद्ध विद्वान् श्रीविश्वनाथ शास्त्री एक बार दूसरे विद्वानोंसे शास्त्रार्थ कर रहे थे। जब विपक्षके विद्वान् शास्त्रार्थमें हारने लगे, तब उस पक्षके एक विद्वान्ने सूँघनेके तंबाकूकी डिबिया खोलकर सारी तंबाकू श्रीविश्वनाथ शास्त्रीके मुखपर फेंक दी। शास्त्रीजीने झटपट मुखपर पड़ी तंबाकू पोंछ डाली और हँसते हुए बोले- 'यह तो कुछ क्षणके लिये प्रसङ्गके बाहरकीबात हो गयी, अब हमलोग अपने मूल विषयपर विचार करें।'

शास्त्रीजीका पाण्डित्य विपक्षको पराजित कर पाता या नहीं, यह तो नहीं कहा जा सकता; किंतु उनकी सहनशीलताने विपक्षको तत्काल पराजित कर दिया। दूसरे पक्ष विद्वान् लज्जित होकर उनसे क्षमा माँगने लगे। – सु0 सिं0



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sahanasheelata (1)

bangaalake prasiddh vidvaan shreevishvanaath shaastree ek baar doosare vidvaanonse shaastraarth kar rahe the. jab vipakshake vidvaan shaastraarthamen haarane lage, tab us pakshake ek vidvaanne soonghaneke tanbaakookee dibiya kholakar saaree tanbaakoo shreevishvanaath shaastreeke mukhapar phenk dee. shaastreejeene jhatapat mukhapar pada़ee tanbaakoo ponchh daalee aur hansate hue bole- 'yah to kuchh kshanake liye prasangake baaharakeebaat ho gayee, ab hamalog apane mool vishayapar vichaar karen.'

shaastreejeeka paandity vipakshako paraajit kar paata ya naheen, yah to naheen kaha ja sakataa; kintu unakee sahanasheelataane vipakshako tatkaal paraajit kar diyaa. doosare paksh vidvaan lajjit hokar unase kshama maangane lage. – su0 sin0

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तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
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