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अकालपीड़ितोंकी आदर्श सेवा  [Shikshaprad Kahani]
हिन्दी कहानी - हिन्दी कथा (शिक्षदायक कहानी)

एक बार धामणगाँवमें बहुत बड़ा अकाल पड़ा। अ लोग अन्नके लिये तड़प-तड़पकर मर रहे थे। गाँवके पटवारी माणकोजी बोधलासे यह देखा नहीं गया। स्वयं पति-पत्नी और पुत्र तथा पुत्रवधूमात्रके इस छोटे-से परिवारमें भगवान्‌की दयासे काफी धन-धान्य और पशु- सम्पत्ति थी।

माणकोजीने अपना अन्न भंडार लुटा दिया। देते-देते अन्न समाप्त हो गया, पर अकालपीड़ितोंको राहत न मिली। माणकोजीने पत्नी और पुत्रवधूके गहने बेच अकालपीड़ितोंको अन्न पहुँचाया। बेचारेको पशु भी बेच देने पड़े, फिर भी अकालपीड़ितोंका ताँता टूटा नहीं।

पटवारीने सोचा कि अब कुल्हाड़ी ले जंगलसे लकड़ी तोड़ लायें और उन्हें बेच अकालपीड़ितोंकी सेवा की जाय। वह जंगलमें गया, लकड़ी भी लाया; पर उसे बेचनेपर केवल तीन पैसे उसे मिले। एक पैसा उसने भगवान्‌को चढ़ाया, दूसरेसे पूजन-सामग्री ले नित्यका भगवत्पूजन किया और बाकी बचे पैसेकाआटा अँगोछेमें बाँध अतिथिकी प्रतीक्षा करने लगा। पाटिलकी दयनीय दशा देख अब कोई उसके निकट अतिथि बन आनेको प्रस्तुत न था। माणकोजीको हार्दिक दुःख हुआ । सेवा और दान नसीब न होनेसे वह अनमना हो उठा।

भगवान्से यह देखा नहीं गया। ब्राह्मणका रूप धरकर वे स्वयं उसके अतिथि बनकर आये। माणकोजीने बड़े आनन्दसे आटा उन्हें दे प्रणाम करके कहा 'मुझे आज इतनी ही अनुकूलता है, क्षमा करें।' ब्राह्मण वेषधारी भगवान् उसे मन्दिरमें ले गये।

अहरे लगाये। इसी बीच ब्राह्मणी भी भूख- भूख करती वहाँ आ पहुँची । ब्राह्मणने तीन टिक्कर बनाये। उनमेंसे एक उसने ब्राह्मणीको दिया, एक स्वयं लिया और एक पटवारीको खानेको दिया। आधा खाते खाते ब्राह्मणी और ब्राह्मण तृप्त हो गये। पटवारी अकालपीड़ितोंकी सेवाका साफल्य मान फूला नहीं समाता था।

- गो0 न0 बै0 (साधु-संतोंच्या गोष्टी)



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akaalapeeda़itonkee aadarsh sevaa

ek baar dhaamanagaanvamen bahut bada़a akaal pada़aa. log annake liye tada़pa-tada़pakar mar rahe the. gaanvake patavaaree maanakojee bodhalaase yah dekha naheen gayaa. svayan pati-patnee aur putr tatha putravadhoomaatrake is chhote-se parivaaramen bhagavaan‌kee dayaase kaaphee dhana-dhaany aur pashu- sampatti thee.

maanakojeene apana ann bhandaar luta diyaa. dete-dete ann samaapt ho gaya, par akaalapeeda़itonko raahat n milee. maanakojeene patnee aur putravadhooke gahane bech akaalapeeda़itonko ann pahunchaayaa. bechaareko pashu bhee bech dene pada़e, phir bhee akaalapeeda़itonka taanta toota naheen.

patavaareene socha ki ab kulhaada़ee le jangalase lakada़ee toda़ laayen aur unhen bech akaalapeeda़itonkee seva kee jaaya. vah jangalamen gaya, lakada़ee bhee laayaa; par use bechanepar keval teen paise use mile. ek paisa usane bhagavaan‌ko chadha़aaya, doosarese poojana-saamagree le nityaka bhagavatpoojan kiya aur baakee bache paisekaaaata angochhemen baandh atithikee prateeksha karane lagaa. paatilakee dayaneey dasha dekh ab koee usake nikat atithi ban aaneko prastut n thaa. maanakojeeko haardik duhkh hua . seva aur daan naseeb n honese vah anamana ho uthaa.

bhagavaanse yah dekha naheen gayaa. braahmanaka roop dharakar ve svayan usake atithi banakar aaye. maanakojeene bada़e aanandase aata unhen de pranaam karake kaha 'mujhe aaj itanee hee anukoolata hai, kshama karen.' braahman veshadhaaree bhagavaan use mandiramen le gaye.

ahare lagaaye. isee beech braahmanee bhee bhookha- bhookh karatee vahaan a pahunchee . braahmanane teen tikkar banaaye. unamense ek usane braahmaneeko diya, ek svayan liya aur ek patavaareeko khaaneko diyaa. aadha khaate khaate braahmanee aur braahman tript ho gaye. patavaaree akaalapeeda़itonkee sevaaka saaphaly maan phoola naheen samaata thaa.

- go0 na0 bai0 (saadhu-santonchya goshtee)

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