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अडिग निश्चय - सफलताकी कुंजी  [Moral Story]
शिक्षदायक कहानी - Wisdom Story (Hindi Story)

राष्ट्रिय स्वयंसेवक सङ्घके मूल संस्थापक स्वनामधन्य डॉक्टर श्रीकेशवराव बलिराम हेडगेवार किसी कारणवश एक बार शनिवारके दिन कुछ साथियोंको लेकर अड़े गाँव गये हुए थे। वहाँ कार्यक्रममें संध्या हो गयी। यह गाँव नागपुरसे बत्तीस मीलकी दूरीपर स्थित है; रास्ता बहुत ही विकट है। गाँव नागपुर अमरावतीकी पक्की सड़कसे भी नौ-दस मील दूर है। डॉक्टर साहबका नागपुर पहुँचना आवश्यक था; क्योंकि उनका नियम था कि प्रत्येक रविवारको प्रभातकी परेडमें वे स्वयं नागपुरमें उपस्थित रहते थे। साथियोंने अनुरोध किया कि आज रात यहाँ ठहरें। पर वे उनके निश्चयको परिवर्तित नहीं कर सके।

रात अँधेरी, रास्तेमें कीचड़ और पैर मिट्टीसे सने हुए, इसपर पैरमें एक काँटा गहरा चुभा हुआ। इतनी दूरकी पैदल यात्रा। कुछ भी हो, प्रत्येक बाधापर पैर रखकर निःशङ्क आगे बढ़ते जाना तो उनकी आदत हो गयी थी। उनका विश्वास था कि लक्ष्य प्राप्तिके मार्ग में कठिनाइयाँ तो आयेंगी ही। इसलिये निश्चय करकेउत्साहपूर्वक उन्होंने यात्रा प्रारम्भ कर दी।

डॉक्टरजीके यात्रा प्रारम्भ करते ही घनघोर मूसलाधार वृष्टि आरम्भ हो गयी। पर संकटोंने अधिक देरतक उनकी परीक्षा नहीं ली। भगवान् सम्भवतः उनके साहसको ही परखना चाहते थे। डॉक्टरजी इस कसौटी पर खरे उतरे। कुछ ही मील पैदल चलनेपर उसी रास्ते | नागपुर जानेवाली मोटर लगभग ग्यारह बजे रातको मिल गयी। ड्राइवरने डॉक्टरजीको पहचानकर गाड़ी खड़ी की और उसमें चढ़ा लिया। गाड़ी खचाखच भरी थी, फिर भी किसी प्रकार पावदान आदिपर खड़े होकर साथियोंने जगह ली। ढाई-तीन बजे रातको सब नागपुर पहुँच गये। निश्चयानुसार डॉक्टरजी प्रभातमें परेडके कार्यक्रममें उपस्थित रह सके।

डॉक्टरजीकी सफलताकी यही कुंजी है। उनका निश्चय अटल था । आत्म-विश्वास तथा आत्म-श्रद्धा उनमें भरपूर थी। कठिनाइयों और विपत्तियोंका सामना करनेमें उन्हें आनन्द आता था। साहस, शौर्य, निश्चयपर अडिग रहना उनका स्वभाव था l



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adig nishchay - saphalataakee kunjee

raashtriy svayansevak sanghake mool sansthaapak svanaamadhany daॉktar shreekeshavaraav baliraam hedagevaar kisee kaaranavash ek baar shanivaarake din kuchh saathiyonko lekar ada़e gaanv gaye hue the. vahaan kaaryakramamen sandhya ho gayee. yah gaanv naagapurase battees meelakee dooreepar sthit hai; raasta bahut hee vikat hai. gaanv naagapur amaraavateekee pakkee sada़kase bhee nau-das meel door hai. daॉktar saahabaka naagapur pahunchana aavashyak thaa; kyonki unaka niyam tha ki pratyek ravivaarako prabhaatakee paredamen ve svayan naagapuramen upasthit rahate the. saathiyonne anurodh kiya ki aaj raat yahaan thaharen. par ve unake nishchayako parivartit naheen kar sake.

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daॉktarajeekee saphalataakee yahee kunjee hai. unaka nishchay atal tha . aatma-vishvaas tatha aatma-shraddha unamen bharapoor thee. kathinaaiyon aur vipattiyonka saamana karanemen unhen aanand aata thaa. saahas, shaury, nishchayapar adig rahana unaka svabhaav tha l

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