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महेशकी महानता  [बोध कथा]
प्रेरक कहानी - आध्यात्मिक कथा (Hindi Story)

महेश मंडल जातिका था नमः शूद्र- चाण्डाल। दिनभर मजदूरी करके कुछ पैसे लाता, उसीसे अपना तथा अपनी स्त्री, पुत्र, कन्या- चारोंका पेट भरता। आज दो दिनका उपवास था, महेशने बड़ी मुश्किलसे छः आने पैसे कमाये। बाजारसे दो सेर चावल खरीदे और पार जानेके लिये नदीपर पहुँचा। नदीके घाटपर खेपू महाराज दिखायी दिये।खेपू उदास मुँह घाटपर खड़े थे। महेशने ब्राह्मणका | चेहरा उतरा हुआ देखकर पूछा कि 'घरमें सब कुशल तो है?' खेपूने जवाब दिया ‘क्या बताऊँ? माँ दुर्गाने मेरे नसीबमें कुछ लिखा ही नहीं। कहीं भी भीख नहीं मिली। तीन दिनसे घरमें किसीने कुछ नहीं खाया। आज घर जानेपर सभी लोग मरणासन्न ही मिलेंगे। इसी चिन्तामें डूब रहा हूँ।' महेशने कहा 'विपत्तिमेंमाँ दुर्गाके सिवा और कौन रक्षा करनेवाला है? वही खानेको देती है और वही नहीं देती। हमारा तो काम है बस, माँके आगे रोना। उनके आगे पुकारकर रोनेसे जरूर भीख मिलेगी।' खेपूने कहा- 'भाई! अब यह विश्वास नहीं रहा। देखते हो दुःखके सागरमें डूब उतरा रहा हूँ। बस, प्राण निकलना ही चाहते हैं। बताओ, कैसे विश्वास करूँ ?'

माँ दुर्गाके प्रति अविश्वासकी बात सुनकर महेशकी आँखोंमें पानी भर आया। महेशने कहा-'लो न, माँ दुर्गाने तुम्हारी भीख मेरे हाथ भेजी है। तुम रोओ मत।' चावल-दाल सब खेपूको देकर महेश हँसता हुआ घरको चला। खेपूको अन्न देकर महेश मानो अपनेको कृतार्थ मान रहा था। उसने सोचा-'आज एकादशी है। जीवनमें कभी एकादशीका व्रत नहीं किया। कल दशमी थी। कुछ खाया नहीं। आज उपवास हो गया, इससे व्रतका नियम पूरा सध गया। अब भगवान् देंगे तो कल द्वादशीका पारण हो ही जायगा। एक दिन न खानेसे मर थोड़े ही जायँगे।' इस प्रकार सोचता- विचारता महेश घर पहुँचा।महेशको देखते ही स्त्रीने सामने आकर कहा- 'जल्दी चावल दो तो भात बना दूँ। बच्चा शायद आज नहीं बचेगा। बड़ी देरसे भूखके मारे बेहोश पड़ा है। मुझे चावल दो, मैं चूल्हेपर चढ़ाऊँ और तुम जाकर बच्चेको सँभालो।' महेशने कहा-'माँ दुर्गाका नाम लेकर बच्चेके मुँहमें जल डाल दो। माँकी दयासे यह जल ही उसके लिये अमृत हो जायगा। खेपू महाराजके बच्चे तीन दिनसे भूखे हैं। आज खानेको न मिलता तो मर ही जाते। मैं दो सेर चावल लाया था, सब उनको दे आया हूँ।' महेशकी स्त्रीने कहा, 'आधा उनको देकर आधा ले आते तो बच्चोंको दो कौर भात दे देती। तीन वर्षका बच्चा दो दिनसे बिना खाये बेहोश पड़ा है। अब क्या होगा! माँ दुर्गा ही जाने।'

महेशने कहा, 'यदि माँ काली बचायेगी तो कौन मारनेवाला है, अवश्य ही बच जायगा और यदि समय पूरा ही हो गया है तो प्राणोंका वियोग होना ठीक ही है। खेपूका सारा परिवार तीन दिनसे भूखा है। पहले वह बचे। हमारे भाग्यमें जो कुछ बदा है, हो ही जायगा।'



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maheshakee mahaanataa

mahesh mandal jaatika tha namah shoodra- chaandaala. dinabhar majadooree karake kuchh paise laata, useese apana tatha apanee stree, putr, kanyaa- chaaronka pet bharataa. aaj do dinaka upavaas tha, maheshane bada़ee mushkilase chhah aane paise kamaaye. baajaarase do ser chaaval khareede aur paar jaaneke liye nadeepar pahunchaa. nadeeke ghaatapar khepoo mahaaraaj dikhaayee diye.khepoo udaas munh ghaatapar khada़e the. maheshane braahmanaka | chehara utara hua dekhakar poochha ki 'gharamen sab kushal to hai?' khepoone javaab diya ‘kya bataaoon? maan durgaane mere naseebamen kuchh likha hee naheen. kaheen bhee bheekh naheen milee. teen dinase gharamen kiseene kuchh naheen khaayaa. aaj ghar jaanepar sabhee log maranaasann hee milenge. isee chintaamen doob raha hoon.' maheshane kaha 'vipattimenmaan durgaake siva aur kaun raksha karanevaala hai? vahee khaaneko detee hai aur vahee naheen detee. hamaara to kaam hai bas, maanke aage ronaa. unake aage pukaarakar ronese jaroor bheekh milegee.' khepoone kahaa- 'bhaaee! ab yah vishvaas naheen rahaa. dekhate ho duhkhake saagaramen doob utara raha hoon. bas, praan nikalana hee chaahate hain. bataao, kaise vishvaas karoon ?'

maan durgaake prati avishvaasakee baat sunakar maheshakee aankhonmen paanee bhar aayaa. maheshane kahaa-'lo n, maan durgaane tumhaaree bheekh mere haath bhejee hai. tum roo mata.' chaavala-daal sab khepooko dekar mahesh hansata hua gharako chalaa. khepooko ann dekar mahesh maano apaneko kritaarth maan raha thaa. usane sochaa-'aaj ekaadashee hai. jeevanamen kabhee ekaadasheeka vrat naheen kiyaa. kal dashamee thee. kuchh khaaya naheen. aaj upavaas ho gaya, isase vrataka niyam poora sadh gayaa. ab bhagavaan denge to kal dvaadasheeka paaran ho hee jaayagaa. ek din n khaanese mar thoda़e hee jaayange.' is prakaar sochataa- vichaarata mahesh ghar pahunchaa.maheshako dekhate hee streene saamane aakar kahaa- 'jaldee chaaval do to bhaat bana doon. bachcha shaayad aaj naheen bachegaa. bada़ee derase bhookhake maare behosh pada़a hai. mujhe chaaval do, main choolhepar chadha़aaoon aur tum jaakar bachcheko sanbhaalo.' maheshane kahaa-'maan durgaaka naam lekar bachcheke munhamen jal daal do. maankee dayaase yah jal hee usake liye amrit ho jaayagaa. khepoo mahaaraajake bachche teen dinase bhookhe hain. aaj khaaneko n milata to mar hee jaate. main do ser chaaval laaya tha, sab unako de aaya hoon.' maheshakee streene kaha, 'aadha unako dekar aadha le aate to bachchonko do kaur bhaat de detee. teen varshaka bachcha do dinase bina khaaye behosh pada़a hai. ab kya hogaa! maan durga hee jaane.'

maheshane kaha, 'yadi maan kaalee bachaayegee to kaun maaranevaala hai, avashy hee bach jaayaga aur yadi samay poora hee ho gaya hai to praanonka viyog hona theek hee hai. khepooka saara parivaar teen dinase bhookha hai. pahale vah bache. hamaare bhaagyamen jo kuchh bada hai, ho hee jaayagaa.'

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