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बासी अन्न  [हिन्दी कहानी]
शिक्षदायक कहानी - Wisdom Story (शिक्षदायक कहानी)

श्रावस्ती नगरीके नगरसेठ मिगार भोजन करने बैठे थे। उनकी सुशीला पुत्रवधू विशाखा हाथमें पंखा लेकर उन्हें वायु कर रही थी। इसी समय एक बौद्ध भिक्षु आकर उनके द्वारपर खड़ा हुआ और उसने भिक्षा माँगी। नगरसेठ मिगारने भिक्षुकी पुकारपर ध्यान ही नहीं दिया। वे चुपचाप भोजन करते रहे। भिक्षुने जब फिर पुकारा, तब विशाखा बोली- 'आर्य! मेरे श्वशुर बासी अन्न खा रहे हैं, अतः आप अन्यत्र पधारें।'

नगरसेठके नेत्र लाल हो गये। उन्होंने भोजन छोड़ दिया। हाथ धोकर पुत्रवधू बोले-'तूने मेरा अपमान किया है। मेरे घरसे अभी निकल जा!"

विशाखाने नम्रतासे कहा- 'मेरे विवाहके समय आपने मेरे पिताको वचन दिया है कि मेरी कोई भूलहोनेपर आप आठ सद्गृहस्थोंसे उसके विषयमें निर्णय करायेंगे और तब मुझे दण्ड देंगे।'

'ऐसा ही सही!' नगरसेठको तो क्रोध चढ़ा था। वे पुत्र- वधूको निकाल देना चाहते थे। उन्होंने आठ प्रतिष्ठित व्यक्तियोंको बुलवाया।

विशाखाने सब लोगोंके आ जानेपर कहा-'मनुष्यको अपने पूर्वजन्मके पुण्योंके फलसे ही सम्पत्ति मिलती है। मेरे श्वशुरको जो सम्पत्ति मिली है, वह भी उनके पहलेके पुण्योंका फल है। इन्होंने अब नवीन पुण्य करना बंद कर दिया है, इसीसे मैंने कहा कि ये बासी अन्न खा रहे हैं।'

पंच बने पुरुषोंको निर्णय नहीं देना पड़ा। नगरसेठने ही लज्जित होकर पुत्रवधूसे क्षमा माँगी। -सु0 सिं0



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baasee anna

shraavastee nagareeke nagaraseth migaar bhojan karane baithe the. unakee susheela putravadhoo vishaakha haathamen pankha lekar unhen vaayu kar rahee thee. isee samay ek bauddh bhikshu aakar unake dvaarapar khada़a hua aur usane bhiksha maangee. nagaraseth migaarane bhikshukee pukaarapar dhyaan hee naheen diyaa. ve chupachaap bhojan karate rahe. bhikshune jab phir pukaara, tab vishaakha bolee- 'aarya! mere shvashur baasee ann kha rahe hain, atah aap anyatr padhaaren.'

nagarasethake netr laal ho gaye. unhonne bhojan chhoda़ diyaa. haath dhokar putravadhoo bole-'toone mera apamaan kiya hai. mere gharase abhee nikal jaa!"

vishaakhaane namrataase kahaa- 'mere vivaahake samay aapane mere pitaako vachan diya hai ki meree koee bhoolahonepar aap aath sadgrihasthonse usake vishayamen nirnay karaayenge aur tab mujhe dand denge.'

'aisa hee sahee!' nagarasethako to krodh chadha़a thaa. ve putra- vadhooko nikaal dena chaahate the. unhonne aath pratishthit vyaktiyonko bulavaayaa.

vishaakhaane sab logonke a jaanepar kahaa-'manushyako apane poorvajanmake punyonke phalase hee sampatti milatee hai. mere shvashurako jo sampatti milee hai, vah bhee unake pahaleke punyonka phal hai. inhonne ab naveen puny karana band kar diya hai, iseese mainne kaha ki ye baasee ann kha rahe hain.'

panch bane purushonko nirnay naheen dena pada़aa. nagarasethane hee lajjit hokar putravadhoose kshama maangee. -su0 sin0

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