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आर्य-नारीका आदर्श  [Hindi Story]
प्रेरक कहानी - आध्यात्मिक कहानी (Spiritual Story)

अपनी पुत्रीके दृढ़ निश्चयको देखकर धर्मात्मा नरेशने अधिक आग्रह करना उचित नहीं माना। देवर्षि नारदजीने भी सावित्रीके निश्चयकी प्रशंसा की। राजा अश्वपति कन्यादानकी सब सामग्री लेकर वनमें राजा द्युमत्सेनकी कुटियापर गये और वहाँ उन्होंने विधिपूर्वक अपनी पुत्रीका विवाह सत्यवान् के साथ कर दिया। विवाहकार्य समाप्त होनेपर राजा अश्वपति अपनी राजधानी लौट गये।

पिताके चले जानेपर सावित्रीने सब रत्नजटित गहने और बहुमूल्य वस्त्र उतार दिये। जब सावित्रीने बहुमूल्य वस्त्र और आभूषण उतारेऔर साससे नम्रतापूर्वक वल्कल वस्त्र पहननेको माँगे, तब सासने विषण्ण होकर उससे कहा- 'बेटी! तुम राज-कन्या हो। अपने पिताके दिये हुए वस्त्राभूषणोंको पहनो । '

सावित्रीने नम्रतापूर्वक उत्तर दिया- 'मैं आपके पुत्रकी सेविका हूँ। आप तथा मेरे पूज्य श्वशुर एवं मेरे स्वामी जैसे रहते हैं, वैसे ही मैं भी रहूँगी। उससे अधिक सुख मेरे लिये सर्वथा त्याज्य हैं। मैं आपकी अपेक्षा उत्तम वस्त्र एवं आभूषण कैसे पहिन सकती हूँ। मेरे लिये सच्चा आभूषण तो आपलोगोंकी सेवा ही है।'

वह वल्कल-वस्त्र पहिनकर मुनि पत्त्रियोंकी भाँतिरहने लगी। वह अपने शील, सदाचार, इन्द्रिय-संयम, मधुर वाणी तथा सेवापरायणताके कारण सबकी सम्मानभाजन हो गयी। सास-ससुर तथा पतिकी सेवामें वह बराबर तत्पर रहती थी।

- सु0 सिं0



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aarya-naareeka aadarsha

apanee putreeke dridha़ nishchayako dekhakar dharmaatma nareshane adhik aagrah karana uchit naheen maanaa. devarshi naaradajeene bhee saavitreeke nishchayakee prashansa kee. raaja ashvapati kanyaadaanakee sab saamagree lekar vanamen raaja dyumatsenakee kutiyaapar gaye aur vahaan unhonne vidhipoorvak apanee putreeka vivaah satyavaan ke saath kar diyaa. vivaahakaary samaapt honepar raaja ashvapati apanee raajadhaanee laut gaye.

pitaake chale jaanepar saavitreene sab ratnajatit gahane aur bahumooly vastr utaar diye. jab saavitreene bahumooly vastr aur aabhooshan utaareaur saasase namrataapoorvak valkal vastr pahananeko maange, tab saasane vishann hokar usase kahaa- 'betee! tum raaja-kanya ho. apane pitaake diye hue vastraabhooshanonko pahano . '

saavitreene namrataapoorvak uttar diyaa- 'main aapake putrakee sevika hoon. aap tatha mere poojy shvashur evan mere svaamee jaise rahate hain, vaise hee main bhee rahoongee. usase adhik sukh mere liye sarvatha tyaajy hain. main aapakee apeksha uttam vastr evan aabhooshan kaise pahin sakatee hoon. mere liye sachcha aabhooshan to aapalogonkee seva hee hai.'

vah valkala-vastr pahinakar muni pattriyonkee bhaantirahane lagee. vah apane sheel, sadaachaar, indriya-sanyam, madhur vaanee tatha sevaaparaayanataake kaaran sabakee sammaanabhaajan ho gayee. saasa-sasur tatha patikee sevaamen vah baraabar tatpar rahatee thee.

- su0 sin0

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