⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

अपूर्व स्वामिभक्ति  [Moral Story]
Spiritual Story - शिक्षदायक कहानी (बोध कथा)

स्वतन्त्र भारतके अन्तिम नरेश पृथ्वीराज युद्धभूमि में पड़े थे। उन्हें इतने घाव लगे थे कि अपने स्थानसे वे न खिसक सकते थे, न हाथ उठा सकते थे। सच तो यह था कि वे मूर्छित थे। उन्हें अपने शरीरका पता ही नहीं था। उनके सैनिक पीछे हट गये थे। युद्धभूमिमें केवल आहत सैनिकोंका क्रन्दन बच रहा था। सैकड़ों, सहस्रों गीध उतर आये थे युद्ध भूमिमें। वे मृत या मृतप्राय सैनिकोंको नोच-नोचकर अपना पेट भरनेमें लगे थे।

गीधोंका एक समुदाय पृथ्वीराजकी ओर बढ़ा आ रहा था। पृथ्वीराजसे थोड़ी ही दूरपर उनके अङ्गरक्षक सामन्त संयमराय पड़े थे। संयमराय मूर्छित नहीं थे; किंतु इतने घायल थे कि उठना तो दूर खिसकनाभी उनके लिये असम्भव था। पृथ्वीराजकी ओर उन्होंने गीधोंको बढ़ते देखा। उस वीरने सोचा- 'जिसकी रक्षाका भार मुझपर था, मेरे देखते हुए गीध उसे नोचें तो मुझे धिक्कार है।' संयमरायने बगलमें पड़ी तलवार उठा ली और अपने शरीरका मांस टुकड़े-टुकड़े काटकर गीधोंकी ओर फेंकने लगे। गीध इन मांसके टुकड़ोंको खानेमें लग गये।

पृथ्वीराजके सैनिक सेवक उनकी शोधमें निकले। जबतक पहुँचे, तबतक वीर संयमराय मृत्युके निकट पहुँच चुके थे। उनके पार्थिव शरीरकी रक्षा नहीं हो सकी; किंतु काल भी उनकी उज्ज्वल कीर्तिको नष्ट करनेमें असमर्थ हो गया।



You may also like these:

बोध कथा उसने सच कहा
हिन्दी कहानी क्षणिक जीवन
हिन्दी कहानी भागवत- जीवन
छोटी सी कहानी मुक्तिका मूल्य
आध्यात्मिक कथा यह वत्सलता !
Spiritual Story समझौता
हिन्दी कहानी सिकन्दरकी मातृभक्ति
छोटी सी कहानी हककी रोटी


apoorv svaamibhakti

svatantr bhaaratake antim naresh prithveeraaj yuddhabhoomi men pada़e the. unhen itane ghaav lage the ki apane sthaanase ve n khisak sakate the, n haath utha sakate the. sach to yah tha ki ve moorchhit the. unhen apane shareeraka pata hee naheen thaa. unake sainik peechhe hat gaye the. yuddhabhoomimen keval aahat sainikonka krandan bach raha thaa. saikada़on, sahasron geedh utar aaye the yuddh bhoomimen. ve mrit ya mritapraay sainikonko nocha-nochakar apana pet bharanemen lage the.

geedhonka ek samudaay prithveeraajakee or baढ़a a raha thaa. prithveeraajase thoda़ee hee doorapar unake angarakshak saamant sanyamaraay pada़e the. sanyamaraay moorchhit naheen the; kintu itane ghaayal the ki uthana to door khisakanaabhee unake liye asambhav thaa. prithveeraajakee or unhonne geedhonko badha़te dekhaa. us veerane sochaa- 'jisakee rakshaaka bhaar mujhapar tha, mere dekhate hue geedh use nochen to mujhe dhikkaar hai.' sanyamaraayane bagalamen pada़ee talavaar utha lee aur apane shareeraka maans tukada़e-tukada़e kaatakar geedhonkee or phenkane lage. geedh in maansake tukada़onko khaanemen lag gaye.

prithveeraajake sainik sevak unakee shodhamen nikale. jabatak pahunche, tabatak veer sanyamaraay mrityuke nikat pahunch chuke the. unake paarthiv shareerakee raksha naheen ho sakee; kintu kaal bhee unakee ujjval keertiko nasht karanemen asamarth ho gayaa.

156 Views

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
READ NOW FREE
7 Amazing Ways In Which Devotees Easily Overcome Pain8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?What Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?Key Importance Of Bhav And Ras In Krishna Bhakti



Bhajan Lyrics View All

श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा

New Bhajan Lyrics View All

शेर पे सवार मेरी शेराँवाली माँ,
पहाड़ों पे बसी मेरी मेहराँवाली माँ,
बंसी तेरी श्यामा वे मीठे बोल बोलदी,
जीनू सुनके निमानी जिंद मेरी डोल दी...
छू के मां के चरण श्याम बोले, मैया मेरी
वह तो गोपी है ब्रिज की निराली, मुझको
तुम्हारे ही सहारे है सहारे मेरी नैया
मेरे माझी खाटूवाले...
हनुमान मेरे वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,