⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

सिकन्दरकी मातृभक्ति  [हिन्दी कहानी]
Shikshaprad Kahani - Spiritual Story (आध्यात्मिक कथा)

कहते हैं कि सिकन्दर अपने मित्रोंको अत्यन्त प्यार करता था। पर उसकी मातृभक्ति इतनी प्रबल थी कि वह उनसे हजारगुना माताकी प्रतिष्ठा करता था। एक बारकी बात है कि जब सिकन्दर बाहर था, तब अंटीपेटर नामक उसके एक मित्रने सिकन्दरको एक पत्र लिखा-' आपकी माताके हस्तक्षेपसे राजकार्यकापरिचालन बड़ा कठिन हो गया है। उनका स्वभाव आप जानते ही हैं, वे स्त्री होनेपर भी सदा राजकार्यमें हस्तक्षेप करती रहती हैं।'

सिकन्दरने इस पत्रको पढ़ा और हँसकर लिख दिया—'मेरी माताका एक बूँद आँसू तुम्हारी हजारों चिट्ठियोंको पोंछ डाल सकता है। इसका सदा ध्यान रखना।'



You may also like these:

हिन्दी कहानी आज्ञापालन
हिन्दी कथा ईश्वर रक्षक है
आध्यात्मिक कहानी टूनलालको कौन मार सकता है
हिन्दी कहानी दुर्जन-सङ्गका फल
हिन्दी कथा नम्रताके आँसू
आध्यात्मिक कहानी सज्जनता
हिन्दी कहानी सभ्यता
हिन्दी कथा सु-भद्रा
आध्यात्मिक कहानी एक नास्तिककी भक्ति


sikandarakee maatribhakti

kahate hain ki sikandar apane mitronko atyant pyaar karata thaa. par usakee maatribhakti itanee prabal thee ki vah unase hajaaraguna maataakee pratishtha karata thaa. ek baarakee baat hai ki jab sikandar baahar tha, tab anteepetar naamak usake ek mitrane sikandarako ek patr likhaa-' aapakee maataake hastakshepase raajakaaryakaaparichaalan bada़a kathin ho gaya hai. unaka svabhaav aap jaanate hee hain, ve stree honepar bhee sada raajakaaryamen hastakshep karatee rahatee hain.'

sikandarane is patrako padha़a aur hansakar likh diyaa—'meree maataaka ek boond aansoo tumhaaree hajaaron chitthiyonko ponchh daal sakata hai. isaka sada dhyaan rakhanaa.'

140 Views

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
READ NOW FREE
What Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?84 Beautiful Names Of Lord Shri Krishna (with Meaning) – Reading Them Fills The Heart With Love11 Tips For Enhancing Devotional Service For Busy People7 Amazing Ways In Which Devotees Easily Overcome Pain



Bhajan Lyrics View All

जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।
राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना

New Bhajan Lyrics View All

जब जब मेरा मन घबराए,
और तकलीफ़ सताती है,
फिर से फागण आ गया है हो जाओ तैयार,
खाटू में जाकर देखेंगे मेले की बहार,
अपनी मर्ज़ी नहीं चलदी, तुसी सदया ते
असी कई सुनेहे घल्ले, साडी पेश कोई ना
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा,
बिन रे एकादशी के व्रत काहे को रामा,
चांद जैसा मुखड़ा मां का बैठी है दरबार
रत्नागढ़ से आ गई मैया हम भक्तों के