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कोई वस्तु व्यर्थ मत फेंको  [Hindi Story]
बोध कथा - Shikshaprad Kahani (आध्यात्मिक कहानी)

श्री ईश्वरचन्द्र विद्यासागरके यहाँ खुदीराम बोस नामके एक सज्जन पधारे। विद्यासागरने उन्हें नारंगियाँ दीं। खुदीरामजी नारंगियोंको छीलकर उसकी फाँकें चूस चूसकर फेंकने लगे। यह देखकर विद्यासागर बोले- 'देखो भाई ! इन्हें फेंको मत ये भी किसीके काम आ जायँगी।'

खुदीराम बोले- 'इन्हें आप किसे देनेवाले हैं ?' विद्यासागरने हँसकर कहा- 'आप इन्हें खिड़कीके बाहर रख दें और वहाँसे हट जायँ तो अभी पता लगजायगा।'

खिड़कीके बाहर उन चूसी हुई फाँकोंको रखनेपर कुछ कौए उन्हें लेने आ गये। अब विद्यासागरने कहा 'देखो, भाई! जबतक कोई पदार्थ किसी भी प्राणीके काममें आने योग्य है, तबतक उसे व्यर्थ नहीं फेंकना | चाहिये। उसे इस प्रकार रखना चाहिये कि धूल-मिट्टी लगकर वह नष्ट न हो जाय और दूसरे प्राणी उसका उपयोग कर सकें।'

- सु0 सिं0



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koee vastu vyarth mat phenko

shree eeshvarachandr vidyaasaagarake yahaan khudeeraam bos naamake ek sajjan padhaare. vidyaasaagarane unhen naarangiyaan deen. khudeeraamajee naarangiyonko chheelakar usakee phaanken choos choosakar phenkane lage. yah dekhakar vidyaasaagar bole- 'dekho bhaaee ! inhen phenko mat ye bhee kiseeke kaam a jaayangee.'

khudeeraam bole- 'inhen aap kise denevaale hain ?' vidyaasaagarane hansakar kahaa- 'aap inhen khida़keeke baahar rakh den aur vahaanse hat jaayan to abhee pata lagajaayagaa.'

khida़keeke baahar un choosee huee phaankonko rakhanepar kuchh kaue unhen lene a gaye. ab vidyaasaagarane kaha 'dekho, bhaaee! jabatak koee padaarth kisee bhee praaneeke kaamamen aane yogy hai, tabatak use vyarth naheen phenkana | chaahiye. use is prakaar rakhana chaahiye ki dhoola-mittee lagakar vah nasht n ho jaay aur doosare praanee usaka upayog kar saken.'

- su0 sin0

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