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ईश्वर रक्षक है  [हिन्दी कथा]
प्रेरक कहानी - Spiritual Story (Hindi Story)

एक आचार्य संत एक वृक्षके नीचे अकेले सो रहे थे। उनका एक विरोधी वहाँ पहुँचा और उसने ललकारा-'अरे, उठ और देख कि अब तेरी रक्षा करनेवाला यहाँ कौन है ?'

आचार्य उठे। निर्भीक स्वरमें उन्होंने उत्तर दिया 'मेरा प्रभु मेरा रक्षक है' और झपटकर विरोधीके हाथकी तलवार उन्होंने छीन ली। अब उन्होंने पूछा 'अब तू बता कि तेरी रक्षा करनेवाला कौन है ?'विरोधी काँप गया। सूखे मुख वह बोला- 'अब यहाँ मेरी रक्षा करनेवाला तो कोई नहीं है।' आचार्यने तलवार फेंक दी और उससे कहा 'अपनी तलवार उठा ले और आजसे दया करनेकी मुझसे शिक्षा ले।'

वह लज्जित हो गया और आचार्यके चरणोंपर गिर पड़ा। वह उसी दिनसे उनका अनुयायी बन गया। - सु0 सिं0



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eeshvar rakshak hai

ek aachaary sant ek vrikshake neeche akele so rahe the. unaka ek virodhee vahaan pahuncha aur usane lalakaaraa-'are, uth aur dekh ki ab teree raksha karanevaala yahaan kaun hai ?'

aachaary uthe. nirbheek svaramen unhonne uttar diya 'mera prabhu mera rakshak hai' aur jhapatakar virodheeke haathakee talavaar unhonne chheen lee. ab unhonne poochha 'ab too bata ki teree raksha karanevaala kaun hai ?'virodhee kaanp gayaa. sookhe mukh vah bolaa- 'ab yahaan meree raksha karanevaala to koee naheen hai.' aachaaryane talavaar phenk dee aur usase kaha 'apanee talavaar utha le aur aajase daya karanekee mujhase shiksha le.'

vah lajjit ho gaya aur aachaaryake charanonpar gir pada़aa. vah usee dinase unaka anuyaayee ban gayaa. - su0 sin0

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