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क्षणिक जीवन  [हिन्दी कहानी]
प्रेरक कथा - हिन्दी कहानी (Short Story)

महात्मा नूहको दीर्घायु मिली थी ! पूरे एक हजार वर्षतक वे जीवित रहे, अन्तमें उनका शरीर छूटा और वे स्वर्ग गये। वहाँ देवताओंने पूछा-'संसारमें इतनी बड़ी आयु तुम्हें कैसी प्रतीत हुई?'हजरत नूह बोले- 'इतनी आयुतक जीवित रहना मुझे तो ऐसा ही लगा जैसे कोई सरायके एक द्वारसे प्रवेश करके वहाँ रुके बिना दूसरे द्वारसे बाहर आ जाय।'

-सु0 सिं0



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kshanik jeevana

mahaatma noohako deerghaayu milee thee ! poore ek hajaar varshatak ve jeevit rahe, antamen unaka shareer chhoota aur ve svarg gaye. vahaan devataaonne poochhaa-'sansaaramen itanee bada़ee aayu tumhen kaisee prateet huee?'hajarat nooh bole- 'itanee aayutak jeevit rahana mujhe to aisa hee laga jaise koee saraayake ek dvaarase pravesh karake vahaan ruke bina doosare dvaarase baahar a jaaya.'

-su0 sin0

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राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
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लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
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राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
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दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
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मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
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याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
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