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केवल इतनेसे ही पतन  [बोध कथा]
छोटी सी कहानी - प्रेरक कथा (Wisdom Story)

मनुष्य जीवनमें संयमकी बड़ी आवश्यकता है। गृहस्थ, तपस्वी और संन्यासी-सब-के-सब इन्द्रिय संयम और सात्त्विक आचार-विचारसे समुन्नति करते हैं। जीवन क्षणभरके ही असंयम और असावधानीसे विनष्ट हो जाता है।

लगभग तीन हजार वर्ष पूर्वकी बात है। मगध (बिहार) प्रान्तमें माही नदीके तटस्थ वनमें एक उद्ररामपुत्र नामके महात्मा रहते थे। वे उच्चकोटिके सिद्ध थे, अपनी यौगिक सिद्धियोंके लिये बहुत प्रसिद्ध थे। मगधेश्वरके निमन्त्रणपर प्रतिदिन दोपहरको आकाशमार्गसे उड़कर भिक्षा करने आया करते थे। मगधपति उनका यथाशक्ति सम्मान करते थे

'आज मुझे बड़े आवश्यक कार्यसे नगरके बाहर जाना है। राजप्रासादमें इस योग्य कोई नहीं है कि उद्ररामपुत्रको भिक्षा करवा सके। महात्माके आनेका समय हो गया है।' महाराज मगधपतिने अपने एक परिचारककी कन्याको उद्ररामपुत्रके स्वागत-सत्कारका पवित्र कार्य सौंपा। वह अत्यन्त शुद्धाचरणवाली थी, अल्पवयस्का और देखनेमें रूपवती थी। उसने महाराजको प्रणाम किया और मगधपतिका रथ बड़े वेगसे राजद्वारसे बाहर आकर राजपथपर अदृश्य हो गया।

'स्वागत है, महाराज।' दासीने योगसिद्धिसे राजप्राङ्गणमें उड़कर आये हुए तपस्वी उद्ररामपुत्रका स्वागत किया। 'कितनी सुन्दरी है यह। अङ्गोंमें कितना लावण्य है ? वाणी तो अमृतरससे सम्पूर्ण आप्लावित है।' महात्मा उद्ररामपुत्रने आसन ग्रहण किया। वे भोजन करने | लगे। परिचारककी कन्या उनकी सेवामं तत्पर थी। 'नहीं, अब कुछ नहीं चाहिये। उद्ररामपुत्र उसी देखने लगे। दासी संकोचमें पड़ गयी।

योगीने आकाशमार्गसे उड़कर तपोवनमें जानेकी बड़ी चेष्टा की, पर उनकी शक्ति कुण्ठित हो गयी। वे लज्जासे नत हो गये।

'दासी! आज मेरा उड़कर जानेका विचार नहीं है। राजधानीमें घोषणा कर दी जाय कि संन्यासी उदरामपुत्र असंख्य नागरिकोंको अपने दर्शनसे तृप्त करेंगे, उनकी चिरकालीन पिपासा शान्त करेंगे।' महात्माने बाद बदल दी।


राजपथपर अगणित लोगोंने अचानक पैदल चलकर दर्शन देनेवाले महात्माके जयनादसे धरती और गगनको प्रकम्पित कर दिया। वे अपने आश्रमतक पैदल गये। उनकी योगसिद्धि समाप्त हो गयी केवल एक क्षणके लिये युवतीका रूप देखनेसे। उनका तपोबल नष्ट हो गया उससे पलभरके लिये एकान्तमें बात करनेसे। उनकी बहुत दिनोंसे दवायी गयी वासनाको आग प्रज्वलित हो गयी नारीके नश्वर सौन्दर्यसे। उनका आत्मबल क्षीण हो गया।

वे मगधके राजप्रासादमें आकाशमार्गसे फिर कभी नहीं जा सके। संयमके मार्गस च्युत हो गये थे वे।

-रा0 श्र0



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keval itanese hee patana

manushy jeevanamen sanyamakee bada़ee aavashyakata hai. grihasth, tapasvee aur sannyaasee-saba-ke-sab indriy sanyam aur saattvik aachaara-vichaarase samunnati karate hain. jeevan kshanabharake hee asanyam aur asaavadhaaneese vinasht ho jaata hai.

lagabhag teen hajaar varsh poorvakee baat hai. magadh (bihaara) praantamen maahee nadeeke tatasth vanamen ek udraraamaputr naamake mahaatma rahate the. ve uchchakotike siddh the, apanee yaugik siddhiyonke liye bahut prasiddh the. magadheshvarake nimantranapar pratidin dopaharako aakaashamaargase uda़kar bhiksha karane aaya karate the. magadhapati unaka yathaashakti sammaan karate the

'aaj mujhe bada़e aavashyak kaaryase nagarake baahar jaana hai. raajapraasaadamen is yogy koee naheen hai ki udraraamaputrako bhiksha karava sake. mahaatmaake aaneka samay ho gaya hai.' mahaaraaj magadhapatine apane ek parichaarakakee kanyaako udraraamaputrake svaagata-satkaaraka pavitr kaary saunpaa. vah atyant shuddhaacharanavaalee thee, alpavayaska aur dekhanemen roopavatee thee. usane mahaaraajako pranaam kiya aur magadhapatika rath bada़e vegase raajadvaarase baahar aakar raajapathapar adrishy ho gayaa.

'svaagat hai, mahaaraaja.' daaseene yogasiddhise raajapraanganamen uड़kar aaye hue tapasvee udraraamaputraka svaagat kiyaa. 'kitanee sundaree hai yaha. angonmen kitana laavany hai ? vaanee to amritarasase sampoorn aaplaavit hai.' mahaatma udraraamaputrane aasan grahan kiyaa. ve bhojan karane | lage. parichaarakakee kanya unakee sevaaman tatpar thee. 'naheen, ab kuchh naheen chaahiye. udraraamaputr usee dekhane lage. daasee sankochamen pada़ gayee.

yogeene aakaashamaargase uda़kar tapovanamen jaanekee bada़ee cheshta kee, par unakee shakti kunthit ho gayee. ve lajjaase nat ho gaye.

'daasee! aaj mera uda़kar jaaneka vichaar naheen hai. raajadhaaneemen ghoshana kar dee jaay ki sannyaasee udaraamaputr asankhy naagarikonko apane darshanase tript karenge, unakee chirakaaleen pipaasa shaant karenge.' mahaatmaane baad badal dee.


raajapathapar aganit logonne achaanak paidal chalakar darshan denevaale mahaatmaake jayanaadase dharatee aur gaganako prakampit kar diyaa. ve apane aashramatak paidal gaye. unakee yogasiddhi samaapt ho gayee keval ek kshanake liye yuvateeka roop dekhanese. unaka tapobal nasht ho gaya usase palabharake liye ekaantamen baat karanese. unakee bahut dinonse davaayee gayee vaasanaako aag prajvalit ho gayee naareeke nashvar saundaryase. unaka aatmabal ksheen ho gayaa.

ve magadhake raajapraasaadamen aakaashamaargase phir kabhee naheen ja sake. sanyamake maargas chyut ho gaye the ve.

-raa0 shra0

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