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अत्यधिक कल्याणकर  [आध्यात्मिक कहानी]
शिक्षदायक कहानी - Short Story (Story To Read)

एक बारकी बात है। सुफियानने महात्मा फजलके साथ सारी रात धर्मचर्चामें बितायी। दूसरे दिन चलते समय उन्होंने बड़ी प्रसन्नताके साथ कहा- 'आजकी रातको मैं अत्यन्त सुखदायिनी समझता हूँ कि धर्मचर्चा चलती रही। कितना आनन्दप्रद सत्सङ्ग होता रहा । ' "ना ना, आजकी रात तो व्यर्थ ही चली गयी।"

फजलने जवाब दे दिया।'वह कैसे?'–चिन्तित मन सुफियानने पूछा। फजलने कहा—‘सारी रात तुमने वाणी- विलाससे

मुझे संतुष्ट करनेमें और मैंने तुम्हारे प्रश्नोंका अच्छे-से अच्छा उत्तर देनेमें बिता दी। इस प्रयत्नमें हमलोग भगवान्को तो भूल ही गये थे। एक दूसरेको प्रसन्न करनेवाले सत्सङ्गकी अपेक्षा अत्यधिक कल्याणकर तो प्रभु स्मरण है । ' - शि0 दु0



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atyadhik kalyaanakara

ek baarakee baat hai. suphiyaanane mahaatma phajalake saath saaree raat dharmacharchaamen bitaayee. doosare din chalate samay unhonne bada़ee prasannataake saath kahaa- 'aajakee raatako main atyant sukhadaayinee samajhata hoon ki dharmacharcha chalatee rahee. kitana aanandaprad satsang hota raha . ' "na na, aajakee raat to vyarth hee chalee gayee."

phajalane javaab de diyaa.'vah kaise?'–chintit man suphiyaanane poochhaa. phajalane kahaa—‘saaree raat tumane vaanee- vilaasase

mujhe santusht karanemen aur mainne tumhaare prashnonka achchhe-se achchha uttar denemen bita dee. is prayatnamen hamalog bhagavaanko to bhool hee gaye the. ek doosareko prasann karanevaale satsangakee apeksha atyadhik kalyaanakar to prabhu smaran hai . ' - shi0 du0

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