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दसवें तुम्हीं हो!  [आध्यात्मिक कथा]
बोध कथा - Spiritual Story (आध्यात्मिक कथा)

4- 'दशमस्त्वमसि' [ दसवें तुम्हीं हो! ]

दस जवान किसी समय दूसरे गाँव जा रहे थे। रास्तेमें एक बड़ी नदी आयी। सब तैरना जानते थे, अतः नदीमें उतर पड़े और तैरकर पार हो गये। जब उन्होंने अपनी गिनती की तो संख्या नौ आयी। इससे एक साथी नदीमें डूब गया, यह मानकर सब शोकसे रोने लगे। इतनेमें कोई यात्री उस रास्तेसे निकला, उसने उनको रोते देखकर कारण पूछा। उन्होंने बताया कि 'हम दस थे, अब नौ ही रह गये, एक डूब गया, इससे रो रहे हैं।' वस्तुतः कोई डूबा नहीं था, प्रत्येक गिननेवाला अपनेको भूलकर नौको ही गिनता था । यात्रीने बात समझ ली और युक्तिके साथ उन्हें समझाकर विश्वास करवा दिया कि वे दसके दस ही थे, कोई भी डूबकर नहीं मरा था।
यहाँ जैसे इन जवानोंको दस होनेपर भी नौ होनेका भ्रम हो गया था, वैसे ही आत्माको भी स्वयं नित्यमुक्त और निर्विकार होनेपर भी जन्म-मरणरूप जीवत्वका भ्रम हो जाता है और वहाँ जैसे भ्रमकी निवृत्ति होते ही दसवें मनुष्यकी प्राप्ति हो जाती है, वैसे ही आत्माको भी भ्रमकी निवृत्ति होते ही अपने स्वरूपकी प्राप्ति हो जाती है



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dasaven tumheen ho!

4- 'dashamastvamasi' [ dasaven tumheen ho! ]

das javaan kisee samay doosare gaanv ja rahe the. raastemen ek bada़ee nadee aayee. sab tairana jaanate the, atah nadeemen utar pada़e aur tairakar paar ho gaye. jab unhonne apanee ginatee kee to sankhya nau aayee. isase ek saathee nadeemen doob gaya, yah maanakar sab shokase rone lage. itanemen koee yaatree us raastese nikala, usane unako rote dekhakar kaaran poochhaa. unhonne bataaya ki 'ham das the, ab nau hee rah gaye, ek doob gaya, isase ro rahe hain.' vastutah koee dooba naheen tha, pratyek ginanevaala apaneko bhoolakar nauko hee ginata tha . yaatreene baat samajh lee aur yuktike saath unhen samajhaakar vishvaas karava diya ki ve dasake das hee the, koee bhee doobakar naheen mara thaa.
yahaan jaise in javaanonko das honepar bhee nau honeka bhram ho gaya tha, vaise hee aatmaako bhee svayan nityamukt aur nirvikaar honepar bhee janma-maranaroop jeevatvaka bhram ho jaata hai aur vahaan jaise bhramakee nivritti hote hee dasaven manushyakee praapti ho jaatee hai, vaise hee aatmaako bhee bhramakee nivritti hote hee apane svaroopakee praapti ho jaatee hai

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