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छाँड़ बिरानी आस  [छोटी सी कहानी]
हिन्दी कथा - Shikshaprad Kahani (छोटी सी कहानी)

'छाँड़ बिरानी आस'

(पात्र - किसान, किसानका बड़ा लड़का लखन, छोटा लड़का किशुन, चिड़ियाका जोड़ा और उसके दो बच्चे।)

किसान- 'बेटा लखन! देखो, फसल कितनी अच्छी है, इसकी लम्बी बालें लटकने लगी हैं, दाने अच्छे आ रहे हैं, कुछ ही दिनोंमें दाने पक जायँगे।'

लखन-'हाँ पिताजी! फसल तो बहुत अच्छी हैंI
(किसान और किसानके बेटे अन्नदेवताको प्रणाम करते हैं)

चिड़ियाके बच्चे - (चिड़ियाके आनेपर) 'माँ! आज किसान आया था। उसके साथ उसके दोनों पुत्र भी थे। वे खेतको घूमकर देख रहे थे। अपना बॉसला आड़में था, इसलिये वे हमें नहीं देख पाये।'

चिड़िया—'बच्चो! तुम लोग आरामसे रहो, चिन्ताकी कोई बात नहीं है।'

(किसान और किसानके बेटे एक सप्ताह बाद पुनः आते हैं)

किसान- 'बेटा किशुन! देखो, फसल अच्छी अब यह पकनेके निकट है। कुछ दिनमें पक जायगी।'
किशुन—‘हाँ पिताजी! फसलको कुछ ही दिनमेंकाटना होगा।'

(शामको चिड़ियाके आनेपर घबराये हुए बच्चे)

बच्चे - ' अरे माँ! आज किसान पुनः आया था। वह फसलको काटनेकी बात कर रहा था।'

चिड़िया- 'ठीक है बच्चो ! चिन्ता मत करो, अभी फसल नहीं कटेगी।'

(चिड़िया बाहर चली गयी, तीन दिन बाद किसान अपने बेटोंके साथ पुनः आया)

किसान—‘बेटा लखन और किशुन ! देखो, फसल अब पक गयी है, अब इसकी कटाई कर लेनी चाहिये।'
लखन-'ठीक है पिताजी, इसको काटनेके लियेकिसको बुलाना पड़ेगा ?"

किसान - 'बेटा! जाओ, रिश्तेदारोंको बुला लाओ और फसल काट लो।'
(शामको चिड़ियाके आनेपर घबराये हुए बच्चे)
बच्चे- 'माँ! किसान आज फिर आया था। अब वह रिश्तेदारोंको बुलाकर फसलको काटनेकी बात कररहा था।'
चिड़िया - चिन्ता न करो बच्चो ! अभी खेत नहीं कटेगा। सुखसे रहो, खेलो, कूदो, उड़नेका अभ्यास करो। (यह कहकर चिड़िया बाहर चली गयी)

(किसान पुनः दो दिन बाद बेटोंके साथ आया)

किसान -'फसल पूर्णतः पक गयी है, रिश्तेदार खाली नहीं हैं। बच्चो ! जाओ, गाँवसे मजदूरोंको खोजकर फसलको कटवा लेना है। खेतको अगली फसलके लिये तैयार भी तो करना है।'
बेटे –'हाँ पिताजी! अब गाँवके मजदूरोंसे खेत कटवा लेना है, नहीं तो दानोंके झरनेकी नौबत आसकती है।'
(शामको चिड़ियाके आनेपर )
बच्चे-'माँ! आज किसान आया था, रिश्तेदारोंके खाली न होनेपर, वह गाँवके मजदूरोंसे फसल कटवा लेगा।'

चिड़िया- 'चिन्ता न करो मेरे बच्चो! फसल अभी नहीं कटेगी।' चिड़िया यह कहकर पुनः बाहर चली गयी।

(किसान पुनः दो दिन बाद बच्चोंके साथ आया)

किसान – 'लखन और किशुन ! इस समय खेतीका काम बढ़ गया है। गाँवके मजदूर मिले नहीं। चलो, अब हम सब मिलकर फसलकी कटाई कर लें। प्रातः हँसिया लेकर जुट जाओ।' (यह कहकर किसान और उसके बेटे चले गये।)
(शामको चिड़ियाके आनेपर )
बच्चे-'मी आज किसान फिर आया था, मजदूरोंके न मिलने पर किसान सुबह सपरिवार आयेगा और फसल स्वयं काटेगा। ऐसा उसने निश्चय किया है।'

चिड़िया- 'हाँ बच्चो ! अब फसल कट जायगी। तुम्हारे डैने मजबूत हो गये हैं। तुम्हें उड़ना भी आ गया है। आदमी जबतक दूसरोंपर निर्भर रहता है, तबतक काम नहीं होता; प्रातः इस खेतसे हमको उड़ चलना है।'

(दूसरे दिन प्रातः किसानके आनेसे पूर्व चिड़िया बच्चोंको लेकर घोंसलेसे निकलकर असीमित आसमान में उड़ गयी)

कहा गया है- 'करु बहियाँ बल आपनी, छाँड़
बिरानी आस।'



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chhaanda़ biraanee aasa

'chhaanda़ biraanee aasa'

(paatr - kisaan, kisaanaka bada़a lada़ka lakhan, chhota lada़ka kishun, chida़iyaaka joda़a aur usake do bachche.)

kisaana- 'beta lakhana! dekho, phasal kitanee achchhee hai, isakee lambee baalen latakane lagee hain, daane achchhe a rahe hain, kuchh hee dinonmen daane pak jaayange.'

lakhana-'haan pitaajee! phasal to bahut achchhee hainI
(kisaan aur kisaanake bete annadevataako pranaam karate hain)

chida़iyaake bachche - (chida़iyaake aanepara) 'maan! aaj kisaan aaya thaa. usake saath usake donon putr bhee the. ve khetako ghoomakar dekh rahe the. apana baॉsala aada़men tha, isaliye ve hamen naheen dekh paaye.'

chida़iyaa—'bachcho! tum log aaraamase raho, chintaakee koee baat naheen hai.'

(kisaan aur kisaanake bete ek saptaah baad punah aate hain)

kisaana- 'beta kishuna! dekho, phasal achchhee ab yah pakaneke nikat hai. kuchh dinamen pak jaayagee.'
kishuna—‘haan pitaajee! phasalako kuchh hee dinamenkaatana hogaa.'

(shaamako chida़iyaake aanepar ghabaraaye hue bachche)

bachche - ' are maan! aaj kisaan punah aaya thaa. vah phasalako kaatanekee baat kar raha thaa.'

chida़iyaa- 'theek hai bachcho ! chinta mat karo, abhee phasal naheen kategee.'

(chida़iya baahar chalee gayee, teen din baad kisaan apane betonke saath punah aayaa)

kisaana—‘beta lakhan aur kishun ! dekho, phasal ab pak gayee hai, ab isakee kataaee kar lenee chaahiye.'
lakhana-'theek hai pitaajee, isako kaataneke liyekisako bulaana pada़ega ?"

kisaan - 'betaa! jaao, rishtedaaronko bula laao aur phasal kaat lo.'
(shaamako chida़iyaake aanepar ghabaraaye hue bachche)
bachche- 'maan! kisaan aaj phir aaya thaa. ab vah rishtedaaronko bulaakar phasalako kaatanekee baat kararaha thaa.'
chida़iya - chinta n karo bachcho ! abhee khet naheen kategaa. sukhase raho, khelo, koodo, uda़neka abhyaas karo. (yah kahakar chida़iya baahar chalee gayee)

(kisaan punah do din baad betonke saath aayaa)

kisaan -'phasal poornatah pak gayee hai, rishtedaar khaalee naheen hain. bachcho ! jaao, gaanvase majadooronko khojakar phasalako katava lena hai. khetako agalee phasalake liye taiyaar bhee to karana hai.'
bete –'haan pitaajee! ab gaanvake majadooronse khet katava lena hai, naheen to daanonke jharanekee naubat aasakatee hai.'
(shaamako chida़iyaake aanepar )
bachche-'maan! aaj kisaan aaya tha, rishtedaaronke khaalee n honepar, vah gaanvake majadooronse phasal katava legaa.'

chida़iyaa- 'chinta n karo mere bachcho! phasal abhee naheen kategee.' chida़iya yah kahakar punah baahar chalee gayee.

(kisaan punah do din baad bachchonke saath aayaa)

kisaan – 'lakhan aur kishun ! is samay kheteeka kaam badha़ gaya hai. gaanvake majadoor mile naheen. chalo, ab ham sab milakar phasalakee kataaee kar len. praatah hansiya lekar jut jaao.' (yah kahakar kisaan aur usake bete chale gaye.)
(shaamako chida़iyaake aanepar )
bachche-'mee aaj kisaan phir aaya tha, majadooronke n milane par kisaan subah saparivaar aayega aur phasal svayan kaategaa. aisa usane nishchay kiya hai.'

chida़iyaa- 'haan bachcho ! ab phasal kat jaayagee. tumhaare daine majaboot ho gaye hain. tumhen uda़na bhee a gaya hai. aadamee jabatak doosaronpar nirbhar rahata hai, tabatak kaam naheen hotaa; praatah is khetase hamako uda़ chalana hai.'

(doosare din praatah kisaanake aanese poorv chiड़iya bachchonko lekar ghonsalese nikalakar aseemit aasamaan men uda़ gayee)

kaha gaya hai- 'karu bahiyaan bal aapanee, chhaanda़
biraanee aasa.'

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