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चमत्कार नहीं, सदाचार चाहिये  [Spiritual Story]
हिन्दी कथा - आध्यात्मिक कहानी (Short Story)

गौतम बुद्धके समयमें एक पुरुषने एक बहुमूल्य चन्दनका एक रत्नजटित शराव (बड़ा प्याला) ऊँचे खंभेपर टाँग दिया और उसके नीचे यह लिख दिया 'जो कोई साधक, सिद्ध या योगी इस शरावको बिना किसी सीढ़ी या अंकुश आदिके, एकमात्र चमत्कारमय मन्त्र या यौगिक शक्तिसे उतार लेगा, मैं उसकी सारी इच्छा पूर्ण करूँगा।' उसने इसकी देख-रेखके लिये वहाँ कड़ा पहरा भी नियुक्त कर दिया।

कुछ ही समयके बाद कश्यप नामका एक बौद्ध भिक्षु वहाँ पहुँचा और केवल उधर हाथ बढ़ाकर उस शरावको उतार लिया। पहरेके लोग आश्चर्यचकित नेत्रोंसे देखते ही रह गये और कश्यप उस शरावको लेकर बौद्ध विहारमें चला गया।

बात की बातमें एक भीड़ एकत्रित हो गयी। वह भीड़ भगवान् बुद्धके पास पहुँची। सबने प्रार्थना की—' भगवन्! आप निःसंदेह महान् हैं; क्योंकि कश्यपने, जो आपके अनुयायियोंमेंसे एक हैं, एक शरावको,जो बड़े ऊँचे खंभेपर टँगा था, केवल ऊपर हाथ उठाकर उतार लिया और उसे लेकर वे विहारमें चले गये।'

भगवान्का इसे सुनना था कि वे वहाँसे उठ पड़े। वे सीधे चले और पहुँचे उस विहारमें सीधे कश्यपके पास। उन्होंने झट उस रत्नजटित शरावको पटककर तोड़ डाला और अपने शिष्योंको सम्बोधित करते हुए कहा- 'सावधान! मैं तुमलोगोंको इन चमत्कारोंका प्रदर्शन तथा अभ्यासके लिये बार-बार मना करता हूँ। यदि तुम्हें इन मोहन, वशीकरण, आकर्षण और अन्यान्य मन्त्र-यन्त्रोंके चमत्कारोंसे जनताका प्रलोभन ही इष्ट है तो मैं सुस्पष्ट शब्दोंमें कह देना चाहता हूँ कि अद्यावधि तुमलोगोंने धर्मके सम्बन्धमें कोई जानकारी नहीं प्राप्त की । यदि तुम अपना कल्याण चाहते हो तो इन चमत्कारोंसे बचकर केवल सदाचारका अभ्यास करो।' -जा0 श0



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chamatkaar naheen, sadaachaar chaahiye

gautam buddhake samayamen ek purushane ek bahumooly chandanaka ek ratnajatit sharaav (bada़a pyaalaa) oonche khanbhepar taang diya aur usake neeche yah likh diya 'jo koee saadhak, siddh ya yogee is sharaavako bina kisee seedha़ee ya ankush aadike, ekamaatr chamatkaaramay mantr ya yaugik shaktise utaar lega, main usakee saaree ichchha poorn karoongaa.' usane isakee dekha-rekhake liye vahaan kada़a pahara bhee niyukt kar diyaa.

kuchh hee samayake baad kashyap naamaka ek bauddh bhikshu vahaan pahuncha aur keval udhar haath badha़aakar us sharaavako utaar liyaa. pahareke log aashcharyachakit netronse dekhate hee rah gaye aur kashyap us sharaavako lekar bauddh vihaaramen chala gayaa.

baat kee baatamen ek bheeda़ ekatrit ho gayee. vah bheeda़ bhagavaan buddhake paas pahunchee. sabane praarthana kee—' bhagavan! aap nihsandeh mahaan hain; kyonki kashyapane, jo aapake anuyaayiyonmense ek hain, ek sharaavako,jo bada़e oonche khanbhepar tanga tha, keval oopar haath uthaakar utaar liya aur use lekar ve vihaaramen chale gaye.'

bhagavaanka ise sunana tha ki ve vahaanse uth pada़e. ve seedhe chale aur pahunche us vihaaramen seedhe kashyapake paasa. unhonne jhat us ratnajatit sharaavako patakakar toda़ daala aur apane shishyonko sambodhit karate hue kahaa- 'saavadhaana! main tumalogonko in chamatkaaronka pradarshan tatha abhyaasake liye baara-baar mana karata hoon. yadi tumhen in mohan, vasheekaran, aakarshan aur anyaany mantra-yantronke chamatkaaronse janataaka pralobhan hee isht hai to main suspasht shabdonmen kah dena chaahata hoon ki adyaavadhi tumalogonne dharmake sambandhamen koee jaanakaaree naheen praapt kee . yadi tum apana kalyaan chaahate ho to in chamatkaaronse bachakar keval sadaachaaraka abhyaas karo.' -jaa0 sha0

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