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आजादकी अद्भुत जितेन्द्रियता  [Story To Read]
बोध कथा - Story To Read (हिन्दी कथा)

सुप्रसिद्ध महान् देशभक्त क्रान्तिकारी तरुण वीर चन्द्रशेखर आजाद बड़े ही दृढ़प्रतिज्ञ थे। हर समय आपके गलेमें यज्ञोपवीत, जेबमें गीता और पिस्तौल साथ रहा करती थी। आप कट्टर आस्तिक, ईश्वरपरायण, सदाचारी, ब्रह्मचारी, जितेन्द्रिय और संयमी थे । व्यभिचारियोंको बड़ी घृणाकी दृष्टिसे देखा करते थे और कहा करते थे कि जो कामी कुत्ता है और परस्त्रीगामी है, वह न तो देश- जातिकी सेवा कर सकता है और न अपना ही उत्थान कर सकता है। आप चाहते थे कि भारतमें एकभी व्यभिचारी पुरुष न रहे और एक भी व्यभिचारिणी स्त्री न हो। जहाँ भी किसीने आपके सामने तनिक भी स्त्रीका प्रसङ्ग चलाया तो आप आपत्ति किये बिना नहीं रहते थे और आप कहा करते थे कि स्त्रीसे दूर रहने में ही देशभक्तका कल्याण है ।

एक बार आप अपने एक मित्र महानुभावके यहाँ ठहरे हुए थे। उनकी नवयुवती कन्याने उन्हें काम- जाल में फाँसना चाहा, आजादजीने डाँटकर उत्तर दिया 'इस बार तुम्हें क्षमा करता हूँ, भविष्यमें ऐसा हुआ तो गोलीसे उड़ादूँगा।' यह बात आपने उसके पिताको भी बता दी और भविष्यमें उनके यहाँ ठहरनातक बंद कर दिया। आपके पास क्रान्तिकारी दलके हजारों रुपये भी रहते थे; परंतु उसमेंसे अपनी कराहती माँको भी कभीएक पैसा आपने नहीं दिया। जब किसीने इस सम्बन्धमें उनसे कहा तो आपने उत्तर दिया 'यह पैसा मेरा नहीं, राष्ट्रका है। चन्द्रशेखर इसमेंसे एक भी पैसा व्यक्तिगत कार्यों में नहीं लगा सकता।'



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aajaadakee adbhut jitendriyataa

suprasiddh mahaan deshabhakt kraantikaaree tarun veer chandrashekhar aajaad bada़e hee dridha़pratijn the. har samay aapake galemen yajnopaveet, jebamen geeta aur pistaul saath raha karatee thee. aap kattar aastik, eeshvaraparaayan, sadaachaaree, brahmachaaree, jitendriy aur sanyamee the . vyabhichaariyonko bada़ee ghrinaakee drishtise dekha karate the aur kaha karate the ki jo kaamee kutta hai aur parastreegaamee hai, vah n to desha- jaatikee seva kar sakata hai aur n apana hee utthaan kar sakata hai. aap chaahate the ki bhaaratamen ekabhee vyabhichaaree purush n rahe aur ek bhee vyabhichaarinee stree n ho. jahaan bhee kiseene aapake saamane tanik bhee streeka prasang chalaaya to aap aapatti kiye bina naheen rahate the aur aap kaha karate the ki streese door rahane men hee deshabhaktaka kalyaan hai .

ek baar aap apane ek mitr mahaanubhaavake yahaan thahare hue the. unakee navayuvatee kanyaane unhen kaama- jaal men phaansana chaaha, aajaadajeene daantakar uttar diya 'is baar tumhen kshama karata hoon, bhavishyamen aisa hua to goleese uda़aadoongaa.' yah baat aapane usake pitaako bhee bata dee aur bhavishyamen unake yahaan thaharanaatak band kar diyaa. aapake paas kraantikaaree dalake hajaaron rupaye bhee rahate the; parantu usamense apanee karaahatee maanko bhee kabheeek paisa aapane naheen diyaa. jab kiseene is sambandhamen unase kaha to aapane uttar diya 'yah paisa mera naheen, raashtraka hai. chandrashekhar isamense ek bhee paisa vyaktigat kaaryon men naheen laga sakataa.'

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