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कर्मोंका प्रतिफल  [Moral Story]
Spiritual Story - प्रेरक कहानी (आध्यात्मिक कथा)

कर्मोंका प्रतिफल

एक समय नारदजी विष्णुलोक की यात्रापर जा रहे थे, मार्गमें नारदजीको दो सरोवर मिले, जिनका जल अत्यन्त स्वच्छ, शीतल और मीठा था, परंतु वे दुखी थे; क्योंकि कोई भी उनका जल नहीं पीता था। आगे चलनेपर उनको दो विशालकाय आमके वृक्ष मिले, जो फलोंसे लदे हुए थे, परंतु दोनों वृक्ष भी दुखी थे; क्योंकि उनके फल कोई नहीं खाता था। आगे चलनेपर उनको दो दुधारू गौएँ भी मिलीं, जिनका दूध उनके बछड़े भी नहीं पीते थे, इसलिये वे भी दुखी थीं।
नारदजीने भगवान् विष्णुके पास पहुँचकर मार्गमें मिले सरोवर, आम्रवृक्ष एवं गौओंके दुखी होनेका कारण बताने हेतु प्रार्थना की। श्रीभगवान्ने कहा कि यह सब कर्मोंका प्रतिफल है। विधाता मात्र न्याय करते हैं, उन्हें किसीसे राग-द्वेष नहीं है। दोनों सरोवर पूर्वजन्ममें दो सगी बहनें थीं। वे धनाढ्य और दानी भी थीं, परंतु वे दान देनेमें पक्षपात करती थीं, केवल परिचितोंको ही दान देती थीं। इतना ही नहीं, वे हमेशा अपनी प्रशंसाकी। कामना भी करती थीं। उनके विचारोंमें अत्यन्त संकीर्णता थी। उनका उद्धार तभी होगा, जब सरोवरोंका पानी
नहरोंद्वारा सभीके खेतोंको मिले और सभीका कल्याण हो। इसी प्रकार दोनों आम्रवृक्ष पूर्वजन्ममें प्रकाण्ड विद्वान् थे, परंतु स्वार्थी होनेके कारण उनकी विद्वत्ताका लाभ अन्य लोगोंको नहीं मिलता था। उनका उद्धार तभी होगा, जब उनके फलोंके बीजोंसे अनेक उद्यान लगाये जायें और सभी लोगोंको फल खानेको मिलें।
दोनों गौओंके विषयमें भगवान्ने कहा कि ये दोनों गौएँ पूर्वजन्ममें महिलाएँ थीं। वे मात्र अपने पति तथा बेटोंका ध्यान रखती थीं। उनमें स्वार्थ एवं कपटकी भावना अत्यन्त प्रबल थी और स्वभाव भी उनका अत्यन्त संकुचित था। उनका उद्धार तभी होगा, जब उनका दूध अभावग्रस्त रोगियों पीड़ितों एवं निर्धन बालकोंको मिले। भगवान्‌के समाधानके अनुसार तीनोंने आचरण किया और कुछ समय बाद ही तीनोंका दुःख दूर हो गया।
उक्त आख्यानसे स्पष्ट हो जाता है कि प्रत्येक व्यक्तिको अपने कर्मोंके अनुसार कर्मफल अवश्य ही मिलता है। कर्मफल मिलनेमें भले ही विलम्ब प्रतीत हो, परंतु कर्मफल तो मिलेगा ही।



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karmonka pratiphala

karmonka pratiphala

ek samay naaradajee vishnulok kee yaatraapar ja rahe the, maargamen naaradajeeko do sarovar mile, jinaka jal atyant svachchh, sheetal aur meetha tha, parantu ve dukhee the; kyonki koee bhee unaka jal naheen peeta thaa. aage chalanepar unako do vishaalakaay aamake vriksh mile, jo phalonse lade hue the, parantu donon vriksh bhee dukhee the; kyonki unake phal koee naheen khaata thaa. aage chalanepar unako do dudhaaroo gauen bhee mileen, jinaka doodh unake bachhada़e bhee naheen peete the, isaliye ve bhee dukhee theen.
naaradajeene bhagavaan vishnuke paas pahunchakar maargamen mile sarovar, aamravriksh evan gauonke dukhee honeka kaaran bataane hetu praarthana kee. shreebhagavaanne kaha ki yah sab karmonka pratiphal hai. vidhaata maatr nyaay karate hain, unhen kiseese raaga-dvesh naheen hai. donon sarovar poorvajanmamen do sagee bahanen theen. ve dhanaadhy aur daanee bhee theen, parantu ve daan denemen pakshapaat karatee theen, keval parichitonko hee daan detee theen. itana hee naheen, ve hamesha apanee prashansaakee. kaamana bhee karatee theen. unake vichaaronmen atyant sankeernata thee. unaka uddhaar tabhee hoga, jab sarovaronka paanee
naharondvaara sabheeke khetonko mile aur sabheeka kalyaan ho. isee prakaar donon aamravriksh poorvajanmamen prakaand vidvaan the, parantu svaarthee honeke kaaran unakee vidvattaaka laabh any logonko naheen milata thaa. unaka uddhaar tabhee hoga, jab unake phalonke beejonse anek udyaan lagaaye jaayen aur sabhee logonko phal khaaneko milen.
donon gauonke vishayamen bhagavaanne kaha ki ye donon gauen poorvajanmamen mahilaaen theen. ve maatr apane pati tatha betonka dhyaan rakhatee theen. unamen svaarth evan kapatakee bhaavana atyant prabal thee aur svabhaav bhee unaka atyant sankuchit thaa. unaka uddhaar tabhee hoga, jab unaka doodh abhaavagrast rogiyon peeda़iton evan nirdhan baalakonko mile. bhagavaan‌ke samaadhaanake anusaar teenonne aacharan kiya aur kuchh samay baad hee teenonka duhkh door ho gayaa.
ukt aakhyaanase spasht ho jaata hai ki pratyek vyaktiko apane karmonke anusaar karmaphal avashy hee milata hai. karmaphal milanemen bhale hee vilamb prateet ho, parantu karmaphal to milega hee.

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