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प्रणतपाल भगवान्  [Story To Read]
Short Story - प्रेरक कथा (छोटी सी कहानी)

प्रणतपाल भगवान्

कौरवों और पाण्डवोंका युद्ध निश्चित हो गया। युद्धमें श्रीकृष्णकी सहायता लेनेके लिये दुर्योधन और अर्जुन दोनों द्वारका गये। उस समय श्रीकृष्ण सोये हुए थे।
दुर्योधन पहले पहुँचा था। उसे श्रीकृष्णके चरणोंमें जाकर बैठना चाहिये, किंतु वह तो मूर्ख और अभिमानी था। उसने विचार किया-'मैं तो बहुत बड़ा इज्जतदार राजा हूँ, भला इनके चरणोंमें क्यों बैठूं ?' अतः श्रीकृष्णके सिरहाने के पास एक सिंहासनपर वह बैठ गया। अर्जुन बादमें आये और श्रीकृष्णके चरणोंमें बैठ गये।
त्रिलोकीनाथ नींदसे जागे तो उनकी नजर सीधी अर्जुन पर पड़ी। दुर्योधनने कहा- 'अर्जुनसे पहले मैं आया हूँ।'
भगवान्ने कहा- 'तुम चाहे पहले आये हो, किंतु
मेरी नज़र तो पहले अर्जुनपर ही पड़ी है।'
अर्जुन भगवान्के चरणोंमें बैठा था, इसलिये उनकी नज़र सबसे पहले अर्जुनपर ही पड़ी। दुर्योधन मूर्ख था, भगवान् क्या करें? फिर भी श्रीकृष्णने कहा- 'तुम दोनों आये हो, अतः मैं दोनोंकी सहायता करूँगा।' तो
एक ओर सभामें अपमान करनेवाला दुर्योधन आया है। दूसरी ओर श्रीकृष्णके साथ अतिशय प्रेम करनेवाला अर्जुन भी आया है। किंतु श्रीकृष्ण तो अन्तर्यामी हैं, योगेश्वर हैं। अपने द्वारपर आनेवाले सभीको वे प्रेमसे देखते हैं। श्रीकृष्ण महान् गृहस्थ हैं और महान् संन्यासी भी हैं। संन्यासीका यह अर्थ नहीं कि उन्होंने भगवे कपड़े पहन लिये। किंतु श्रीकृष्ण सभीको प्रेमसे-एक ही नजरसे देखते हैं, फिर चाहे उनके आँगनमें दुर्योधन आये, चाहे अर्जुन प्रभुने दोनोंकी सहायता करनेका वचन दिया, 'एक पक्षमें मेरी नारायणी सेना रहेगी और दूसरी ओर अस्त्र-शस्त्ररहित मैं अकेला रहूँगा।'
दुर्योधनने विचार किया, 'ये कोई लड़नेवाले नहीं हैं और मुझे जरूरत है लड़नेवालोंकी।' उसने सेना माँगी। दुर्योधनको माँगना नहीं आया।
भगवान्ने अर्जुनसे कहा- 'देख, मैं लगा नहीं।' किंतु अर्जुनने कहा- 'महाराज! मैं आपको जरा भी तकलीफ नहीं दूँगा। आप केवल साथ रहना। आप साथ रहेंगे तो मुझे शक्ति मिलेगी। लडूंगा मैं, पर आप साथ रहना।'
श्रीकृष्ण अर्जुनके सारथी बने और रणभूमिमें उसकी रक्षा की, उसे विजयी बनाया।
भगवान्‌के चरणोंमें जो झुकता है, उसके सभी मनोरथ पूरे होते हैं। [ श्रीरामचन्द्र केशवजी डोंगरे ]



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pranatapaal bhagavaan

pranatapaal bhagavaan

kauravon aur paandavonka yuddh nishchit ho gayaa. yuddhamen shreekrishnakee sahaayata leneke liye duryodhan aur arjun donon dvaaraka gaye. us samay shreekrishn soye hue the.
duryodhan pahale pahuncha thaa. use shreekrishnake charanonmen jaakar baithana chaahiye, kintu vah to moorkh aur abhimaanee thaa. usane vichaar kiyaa-'main to bahut bada़a ijjatadaar raaja hoon, bhala inake charanonmen kyon baithoon ?' atah shreekrishnake sirahaane ke paas ek sinhaasanapar vah baith gayaa. arjun baadamen aaye aur shreekrishnake charanonmen baith gaye.
trilokeenaath neendase jaage to unakee najar seedhee arjun par pada़ee. duryodhanane kahaa- 'arjunase pahale main aaya hoon.'
bhagavaanne kahaa- 'tum chaahe pahale aaye ho, kintu
meree naja़r to pahale arjunapar hee pada़ee hai.'
arjun bhagavaanke charanonmen baitha tha, isaliye unakee naja़r sabase pahale arjunapar hee pada़ee. duryodhan moorkh tha, bhagavaan kya karen? phir bhee shreekrishnane kahaa- 'tum donon aaye ho, atah main dononkee sahaayata karoongaa.' to
ek or sabhaamen apamaan karanevaala duryodhan aaya hai. doosaree or shreekrishnake saath atishay prem karanevaala arjun bhee aaya hai. kintu shreekrishn to antaryaamee hain, yogeshvar hain. apane dvaarapar aanevaale sabheeko ve premase dekhate hain. shreekrishn mahaan grihasth hain aur mahaan sannyaasee bhee hain. sannyaaseeka yah arth naheen ki unhonne bhagave kapada़e pahan liye. kintu shreekrishn sabheeko premase-ek hee najarase dekhate hain, phir chaahe unake aanganamen duryodhan aaye, chaahe arjun prabhune dononkee sahaayata karaneka vachan diya, 'ek pakshamen meree naaraayanee sena rahegee aur doosaree or astra-shastrarahit main akela rahoongaa.'
duryodhanane vichaar kiya, 'ye koee lada़nevaale naheen hain aur mujhe jaroorat hai lada़nevaalonkee.' usane sena maangee. duryodhanako maangana naheen aayaa.
bhagavaanne arjunase kahaa- 'dekh, main laga naheen.' kintu arjunane kahaa- 'mahaaraaja! main aapako jara bhee takaleeph naheen doongaa. aap keval saath rahanaa. aap saath rahenge to mujhe shakti milegee. ladoonga main, par aap saath rahanaa.'
shreekrishn arjunake saarathee bane aur ranabhoomimen usakee raksha kee, use vijayee banaayaa.
bhagavaan‌ke charanonmen jo jhukata hai, usake sabhee manorath poore hote hain. [ shreeraamachandr keshavajee dongare ]

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