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अभिभावकोंको चाहिये कि संतानको सुसंस्कार दें  [शिक्षदायक कहानी]
हिन्दी कहानी - Hindi Story (आध्यात्मिक कहानी)

अभिभावकोंको चाहिये कि संतानको सुसंस्कार दें

पूर्वकालमें मृत्युदेवके एक कन्या उत्पन्न हुई थी, जिसका नाम सुनीथा रखा गया था। वह पिताके कार्योंको देखती और सदा उन्हींका अनुकरण किया करती थी। एक दिन सुनीथा अपनी सखियोंके साथ खेलती हुई वनमें गयी। वहाँ उसने देखा कि गन्धर्वकुमार सुशंख भारी तपस्या में लगा हुआ है। सुनीथा प्रतिदिन वहाँ जाकर उस तपस्वीको सताने लगी। सुशंख रोज रोज उसके अपराधको क्षमा कर देता और कहता 'जाओ, चली जाओ यहाँसे।' उसके यों कहनेपर वहबालिका कुपित हो जाती और बेचारे तपस्वीको पीटने लगती थी। उसका यह बर्ताव देखकर एक दिन सुशंख बोला-'कल्याणी । श्रेष्ठ पुरुष मारनेके बदले न तो मारते हैं और न किसीके गाली देनेपर कोच ही करते है; यही धर्मको मर्यादा है।' सुनीथासे ऐसा कहकर वह धर्मात्मा गन्धर्व उसे अवला स्त्री जानकर बिना कुछ दण्ड दिये लौट गया।
सुनीयाने पिताके पास जाकर कहा-'मैंने वनमें जाकर एक गन्धर्यकुमारको पीटा है. वह तपस्या कर रहा था। मेरे पीटनेपर उसने कहा है-मारनेवालेको मारना और गाली देनेवालेको गाली देना उचित नहीं है। पिताजी बताइये, उसके इस कथनका क्या तात्पर्य है?'
सुनीयाके इस प्रकार पूछनेपर भी मृत्युने उससे कुछ नहीं कहा। उसके प्रश्नका उत्तर ही नहीं दिया। तदनन्तर यह फिर वनमें गयी। सुशंख तपस्यामें लगा था। दुष्ट स्वभाववाली सुनोधाने उस श्रेष्ठ तपस्वीके पास जाकर उसे कोड़ोंसे पीटना आरम्भ किया। अब यह गन्धर्व अपने क्रोधको न रोक सका। यह उसको शाप देते हुए बोला-'गृहस्थ धर्ममें प्रवेश करनेपर जब तुम्हारा अपने पति के साथ सम्पर्क होगा, तब तुम्हारे गर्भसे सब प्रकारके पापोंमें आसक और दुष्ट पुत्र उत्पन्न होगा।' इस प्रकार साथ दे वह पुनः जाकर तपस्यायें ही लग गया।
गन्धर्वकुमारके चले जानेपर सुनीथा अपने पर आयी। वहाँ उसने पितासे सारा वृत्तान्त कह सुनाया। मृत्युने कहा- अरी। उस निर्दोष तपस्वीको तुमने क्यों भारा है? तपस्या में लगे हुए पुरुषको मारना यह तुम्हारे द्वारा उचित कार्य नहीं हुआ। मृत्यु ऐसा कहकर बहुत दुखी हो गये, परंतु अब हो ही क्या सकता था, उन्हें
समयपर सुनीथाको सुसंस्कार देने चाहिये थे। इसी शापके कारण सुनीथाके वेन जैसा नास्तिक और पापाचारी पुत्र उत्पन्न हुआ। अतएव अभिभावकोंको अपनी सन्तानके
आचार-विचार तथा व्यवहारपर सतर्क दृष्टि रखते हुए उसके चित्तमें समय रहते उत्तम संस्कारोंका ही आधान करना चाहिये।



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abhibhaavakonko chaahiye ki santaanako susanskaar den

abhibhaavakonko chaahiye ki santaanako susanskaar den

poorvakaalamen mrityudevake ek kanya utpann huee thee, jisaka naam suneetha rakha gaya thaa. vah pitaake kaaryonko dekhatee aur sada unheenka anukaran kiya karatee thee. ek din suneetha apanee sakhiyonke saath khelatee huee vanamen gayee. vahaan usane dekha ki gandharvakumaar sushankh bhaaree tapasya men laga hua hai. suneetha pratidin vahaan jaakar us tapasveeko sataane lagee. sushankh roj roj usake aparaadhako kshama kar deta aur kahata 'jaao, chalee jaao yahaanse.' usake yon kahanepar vahabaalika kupit ho jaatee aur bechaare tapasveeko peetane lagatee thee. usaka yah bartaav dekhakar ek din sushankh bolaa-'kalyaanee . shreshth purush maaraneke badale n to maarate hain aur n kiseeke gaalee denepar koch hee karate hai; yahee dharmako maryaada hai.' suneethaase aisa kahakar vah dharmaatma gandharv use avala stree jaanakar bina kuchh dand diye laut gayaa.
suneeyaane pitaake paas jaakar kahaa-'mainne vanamen jaakar ek gandharyakumaarako peeta hai. vah tapasya kar raha thaa. mere peetanepar usane kaha hai-maaranevaaleko maarana aur gaalee denevaaleko gaalee dena uchit naheen hai. pitaajee bataaiye, usake is kathanaka kya taatpary hai?'
suneeyaake is prakaar poochhanepar bhee mrityune usase kuchh naheen kahaa. usake prashnaka uttar hee naheen diyaa. tadanantar yah phir vanamen gayee. sushankh tapasyaamen laga thaa. dusht svabhaavavaalee sunodhaane us shreshth tapasveeke paas jaakar use koड़onse peetana aarambh kiyaa. ab yah gandharv apane krodhako n rok sakaa. yah usako shaap dete hue bolaa-'grihasth dharmamen pravesh karanepar jab tumhaara apane pati ke saath sampark hoga, tab tumhaare garbhase sab prakaarake paaponmen aasak aur dusht putr utpann hogaa.' is prakaar saath de vah punah jaakar tapasyaayen hee lag gayaa.
gandharvakumaarake chale jaanepar suneetha apane par aayee. vahaan usane pitaase saara vrittaant kah sunaayaa. mrityune kahaa- aree. us nirdosh tapasveeko tumane kyon bhaara hai? tapasya men lage hue purushako maarana yah tumhaare dvaara uchit kaary naheen huaa. mrityu aisa kahakar bahut dukhee ho gaye, parantu ab ho hee kya sakata tha, unhen
samayapar suneethaako susanskaar dene chaahiye the. isee shaapake kaaran suneethaake ven jaisa naastik aur paapaachaaree putr utpann huaa. ataev abhibhaavakonko apanee santaanake
aachaara-vichaar tatha vyavahaarapar satark drishti rakhate hue usake chittamen samay rahate uttam sanskaaronka hee aadhaan karana chaahiye.

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