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गो-ब्राह्मण-भक्ति  [Hindi Story]
Spiritual Story - छोटी सी कहानी (छोटी सी कहानी)

स्वर्गीय काश्मीरनरेश महाराज प्रतापसिंहजी बड़े ही कट्टर आस्तिक, धर्मपरायण तथा गो-ब्राह्मणोंके अनन्य भक्त थे। ब्राह्मणोंको देखते ही खड़े हो जाते थे और उनका बड़ा आदर-सम्मान करते थे। आपके यहाँ सैकड़ों ब्राह्मण रहा करते थे। कोई विद्वान् ब्राह्मण रुद्रीका पाठ करते, तो कोई चण्डीका पारायण; कोई लक्ष्मीका पठन करते तो कोई जप अनुष्ठान, कोई पूजा अर्चना तो कोई वेदपाठी ब्राह्मण वेदपाठ करते। आप प्रतिदिन बड़ी श्रद्धा-भक्तिसे ब्राह्मण भोजन कराते थे और हर महीने उन्हें दान-दक्षिणा देकर प्रसन्न करते थे। एक बार जब आपसे घरवालोंने कहा कि 'महाराज ! आपने इन सैकड़ों ब्राह्मणोंका खर्च व्यर्थ ही क्यों बाँध रखा है, इससे क्या लाभ है ?' यह सुनकर आपको बड़ा दुःख हुआ और आपने उन्हें उत्तर दिया कि 'भाई! देखो बहुतसे राजा नवाब विलास तथा दुराचारमें धन तथा जीवन बिता रहे हैं? उनसे तो हमारा यह कार्य लाखोंगुना अच्छा है जो हमें पूज्य ब्राह्मणोंके नित्यप्रति दर्शन करनेका सौभाग्य प्राप्त होता है और उनके द्वारा पूजा-पाठ करानेसे हमारा जन्म सफल हो रहा है।वेदध्वनि, वेदपाठ, देव-पूजा आदिके कारण देश सुख शान्तिकी ओर जा रहा है। यह व्यर्थ खर्च नहीं है बल्कि इसीमें धनकी सार्थकता है।' यह सुनकर सब शान्त हो गये।

गोमाताके भी आप ऐसे अनन्य भक्त थे कि आपकी रियासतमें अस्सी प्रतिशत मुसलमान होनेपर भी गोवध सर्वथा निषिद्ध था। गायें निर्भय होकर विचरा करती थीं। महाराजको चलते समय रास्तेमें यदि गाय मिल जाती थी तो आप गायको बड़ी श्रद्धा-भक्तिसे सिर झुकाते थे और दाहिनी ओर लेते थे। एक बार आप जा रहे थे तो आगे रास्तेमें कहीं गाय बैठी थी, नौकरोंने दौड़कर गायको उठा दिया ताकि महाराजके लिये रास्ता साफ हो जाय। आपने उस नौकरको बड़े जोरसे डाँटकर कहा कि 'आनन्दसे बैठी गोमाताको कष्ट पहुँचाना बड़ा अपराध है। इससे बढ़कर और क्या पाप होगा ? जिस गोमाताकी रक्षाके लिये परमात्मा श्रीकृष्ण अवतार लेकर आते हैं और नंगे पाँव उन्हें चराते जंगल-जंगल भटकते हैं, उसी गोमाताको मेरे लिये कष्ट पहुँचाना बड़ा पाप है। हम क्षत्रियोंका जन्म गोसेवाके लिये हुआ है, गोमाताको कष्ट पहुँचानेके लिये नहीं। आगेको भूलसे भी ऐसा किया तो दण्ड दिया जायगा।'



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go-braahmana-bhakti

svargeey kaashmeeranaresh mahaaraaj prataapasinhajee bada़e hee kattar aastik, dharmaparaayan tatha go-braahmanonke anany bhakt the. braahmanonko dekhate hee khada़e ho jaate the aur unaka bada़a aadara-sammaan karate the. aapake yahaan saikada़on braahman raha karate the. koee vidvaan braahman rudreeka paath karate, to koee chandeeka paaraayana; koee lakshmeeka pathan karate to koee jap anushthaan, koee pooja archana to koee vedapaathee braahman vedapaath karate. aap pratidin bada़ee shraddhaa-bhaktise braahman bhojan karaate the aur har maheene unhen daana-dakshina dekar prasann karate the. ek baar jab aapase gharavaalonne kaha ki 'mahaaraaj ! aapane in saikada़on braahmanonka kharch vyarth hee kyon baandh rakha hai, isase kya laabh hai ?' yah sunakar aapako bada़a duhkh hua aur aapane unhen uttar diya ki 'bhaaee! dekho bahutase raaja navaab vilaas tatha duraachaaramen dhan tatha jeevan bita rahe hain? unase to hamaara yah kaary laakhonguna achchha hai jo hamen poojy braahmanonke nityaprati darshan karaneka saubhaagy praapt hota hai aur unake dvaara poojaa-paath karaanese hamaara janm saphal ho raha hai.vedadhvani, vedapaath, deva-pooja aadike kaaran desh sukh shaantikee or ja raha hai. yah vyarth kharch naheen hai balki iseemen dhanakee saarthakata hai.' yah sunakar sab shaant ho gaye.

gomaataake bhee aap aise anany bhakt the ki aapakee riyaasatamen assee pratishat musalamaan honepar bhee govadh sarvatha nishiddh thaa. gaayen nirbhay hokar vichara karatee theen. mahaaraajako chalate samay raastemen yadi gaay mil jaatee thee to aap gaayako bada़ee shraddhaa-bhaktise sir jhukaate the aur daahinee or lete the. ek baar aap ja rahe the to aage raastemen kaheen gaay baithee thee, naukaronne dauda़kar gaayako utha diya taaki mahaaraajake liye raasta saaph ho jaaya. aapane us naukarako bada़e jorase daantakar kaha ki 'aanandase baithee gomaataako kasht pahunchaana bada़a aparaadh hai. isase baढ़kar aur kya paap hoga ? jis gomaataakee rakshaake liye paramaatma shreekrishn avataar lekar aate hain aur nange paanv unhen charaate jangala-jangal bhatakate hain, usee gomaataako mere liye kasht pahunchaana bada़a paap hai. ham kshatriyonka janm gosevaake liye hua hai, gomaataako kasht pahunchaaneke liye naheen. aageko bhoolase bhee aisa kiya to dand diya jaayagaa.'

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