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मैं खून नहीं पी सकता!  [Story To Read]
छोटी सी कहानी - Shikshaprad Kahani (प्रेरक कथा)

महात्मा गांधीजीने कहा है- 'मैंने गुरु नहीं बनाया; किंतु मुझे कोई गुरु मिले हैं तो वे हैं- रायचंद भाई।'

ये रायचंद भाई पहले बम्बईमें जवाहरातका व्यापार करते थे। उन्होंने एक व्यापारीसे सौदा किया। यह निश्चित हो गया कि अमुक तिथितक, अमुक भावमें इतना जवाहरात वह व्यापारी देगा। व्यापारीने रायचंद भाईको लिखा-पढ़ी कर दी ।

संयोगकी बात, जवाहरातके मूल्य बढ़ने लगे और इतने अधिक बढ़ गये कि यदि रायचंद भाईको उनके जवाहरात वह व्यापारी दे तो उसे इतना घाटा लगे कि उसका अपना घरतक नीलाम करना पड़े।

श्रीरायचंद भाईको जवाहरातके वर्तमान बाजार भावका पता लगा तो वे उस व्यापारीकी दूकानपर पहुँचे। उन्हें देखते ही व्यापारी चिन्तित हो गया। उसने कहा—'मैं आपके सौदेके लिये स्वयं चिन्तित हूँ। चाहे जो हो, वर्तमान भावके अनुसार जवाहरातके घाटेके रुपये अवश्य आपको दे दूँगा, आप चिन्ता न करें।' रायचंद भाई बोले-'मैं चिन्ता क्यों न करूँ ?तुमको जब चिन्ता लग गयी है तो मुझे भी चिन्ता होनी ही चाहिये। हम दोनोंकी चिन्ताका कारण यह लिखा पढ़ी है। इसे समाप्त कर दिया जाय तो दोनोंकी चिन्ता समाप्त हो जाय।'

व्यापारी बोला-'ऐसा नहीं। आप मुझे दो दिनका समय दें, मैं रुपये चुका दूँगा।' रायचंद भाईने लिखा-पढ़ीके कागजको टुकड़े टुकड़े करते हुए कहा- 'इस लिखा-पढ़ीसे तुम बँध गये थे। बाजार भाव बढ़नेसे मेरा चालीस-पचास हजार रुपया तुमपर लेना हो गया। किंतु मैं तुम्हारी परिस्थिति जानता हूँ। ये रुपये तुमसे मैं तो तुम्हारी क्या दशा होगी ? रायचंद दूध पी सकता है, खून नहीं पी सकता।'

वह व्यापारी तो रायचंद भाईके पैरोंपर गिर पड़ा। वह कह रहा था—'आप मनुष्य नहीं, देवता हैं। ' क्या ही अच्छा हो कि छल-कपट, ठगी-मक्कारी, झूठ फरेब करके किसी प्रकार दूसरेकी परिस्थितिसे लाभ उठानेको आतुर आजका समाज इन महापुरुषोंके उदार चरितसे कुछ भी प्रेरणा ले।

- सु0 सिं0



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main khoon naheen pee sakataa!

mahaatma gaandheejeene kaha hai- 'mainne guru naheen banaayaa; kintu mujhe koee guru mile hain to ve hain- raayachand bhaaee.'

ye raayachand bhaaee pahale bambaeemen javaaharaataka vyaapaar karate the. unhonne ek vyaapaareese sauda kiyaa. yah nishchit ho gaya ki amuk tithitak, amuk bhaavamen itana javaaharaat vah vyaapaaree degaa. vyaapaareene raayachand bhaaeeko likhaa-padha़ee kar dee .

sanyogakee baat, javaaharaatake mooly badha़ne lage aur itane adhik badha़ gaye ki yadi raayachand bhaaeeko unake javaaharaat vah vyaapaaree de to use itana ghaata lage ki usaka apana gharatak neelaam karana pada़e.

shreeraayachand bhaaeeko javaaharaatake vartamaan baajaar bhaavaka pata laga to ve us vyaapaareekee dookaanapar pahunche. unhen dekhate hee vyaapaaree chintit ho gayaa. usane kahaa—'main aapake saudeke liye svayan chintit hoon. chaahe jo ho, vartamaan bhaavake anusaar javaaharaatake ghaateke rupaye avashy aapako de doonga, aap chinta n karen.' raayachand bhaaee bole-'main chinta kyon n karoon ?tumako jab chinta lag gayee hai to mujhe bhee chinta honee hee chaahiye. ham dononkee chintaaka kaaran yah likha padha़ee hai. ise samaapt kar diya jaay to dononkee chinta samaapt ho jaaya.'

vyaapaaree bolaa-'aisa naheen. aap mujhe do dinaka samay den, main rupaye chuka doongaa.' raayachand bhaaeene likhaa-padha़eeke kaagajako tukada़e tukada़e karate hue kahaa- 'is likhaa-padha़eese tum bandh gaye the. baajaar bhaav badha़nese mera chaaleesa-pachaas hajaar rupaya tumapar lena ho gayaa. kintu main tumhaaree paristhiti jaanata hoon. ye rupaye tumase main to tumhaaree kya dasha hogee ? raayachand doodh pee sakata hai, khoon naheen pee sakataa.'

vah vyaapaaree to raayachand bhaaeeke paironpar gir pada़aa. vah kah raha thaa—'aap manushy naheen, devata hain. ' kya hee achchha ho ki chhala-kapat, thagee-makkaaree, jhooth phareb karake kisee prakaar doosarekee paristhitise laabh uthaaneko aatur aajaka samaaj in mahaapurushonke udaar charitase kuchh bhee prerana le.

- su0 sin0

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