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International Rotary Club Seminar in Birla Auditorium Jaipur Part 1 Pravachan By H H Sri Pundrik Ji

Lecture by Acharya Sri Pundrik Goswami "Laulyam matra: Further Explanation" 08.05.2012 in Zürich

Acharya Sri Pundrik Goswami_Lilas of Vrindavan.avi

Acharya Sri Pundrik Goswami_Lilas of Vrindavan.avi

PUJYA GURUDEV H.H.SRI SRIBHUTI KRISHNA GOSWAMIJI MAHARAJ ON SRIMAD BHAGWATAM

Srimadbhagwatkatha 1day Part 3 by H.H SRI SRIBHUTI KRISHNA GOSWAMI JI MAHARAJ

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Lecture by Acharya Sri Pundrik Goswami "Laulyam matra: Further Explanation" 08.05.2012 in Zürich
Acharya Sri Pundrik Goswami_Lilas of Vrindavan.avi
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मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,

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मुझे बेटा कहके बुलाना पड़ेगा,
जब जब पुकारू बाबा,
शीशा टूट गया प्रेम वाला चूर हो गया,
हो सतगुरु माफ करो यह कसूर हो गया,
पवित्र आत्मा उतर आओ,
अभिषेक से हमें भर दो,
हे श्याम तेरी पूजा हमसे ना बनी रे,
घनश्याम तेरी सेवा हमसे ना बनी रे,
श्री कृष्णा गोपाला, आये शरण हम
हे नंदलाला मेरे गोपाला,