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वचन देकर उसका पालन न करनेसे नीच योनि प्राप्त होती है  [Hindi Story]
बोध कथा - Short Story (प्रेरक कथा)

वचन देकर उसका पालन न करनेसे नीच योनि प्राप्त होती है

प्राचीन कालकी बात है, दो व्यक्ति आपसमें बहुत अच्छे मित्र थे, पर दूसरे जन्ममें उनमेंसे एकको सियारकी योनि मिली और दूसरा बन्दर बना। सियार जो था, वह श्मशानमें रहा करता था और मुर्दोंका भोजन करता था। वहीं एक वृक्ष था, उसमें वह बन्दर भी रहा करता था। विशेष बात यह थी कि दोनोंको अपने पूर्वजन्मकी सारी बातें याद थीं।
एक दिन वृक्षपर बैठे बन्दरने सियारसे जिज्ञासावश पूछा-सियार भाई। तुम पूर्वजन्ममें कौन थे और तुमने कौन सा ऐसा निन्दनीय कार्य किया था, जिससे तुम्हें यह सियारकी योनि प्राप्त हुई है और ऐसे घृणित एवं दुर्गन्धयुक्त मुर्देसे अपना पेट भरना पड़ रहा है।
इसपर सियारने दुखी होते हुए कहा- भाई वानर! क्या बताऊँ। पूर्वजन्ममें मैं मनुष्य योनिमें था और मैंने एक ब्राह्मणदेवताको एक वस्तु देनेकी प्रतिज्ञा करके, फिर उन्हें वह वस्तु दी नहीं थी, इसी प्रतिज्ञा-भंगके दोषसे मुझे यह दुःखमयी पापयोनि प्राप्त हुई है। अब तो अपने कर्मका भोग भोगना ही है। मेरी तो बात हो गयी, अब तुम बताओ कि तुमने कौन-सा पाप किया?
इसपर वानर बोला- सियार भाई। मैं भी पहले मनुष्य ही था। किंतु मेरा यह स्वभाव था कि मैं सदा ब्राह्मणोंके फल चुराकर खाया करता था। इसी पापकर्मसे मुझे यह वानर योनि प्राप्त हुई है, इसलिये किसीकी भी आशाको भंग नहीं करना चाहिये। विशेषरूपसे दानका संकल्प करके वह वस्तु अवश्य ही देनी चाहिये, अन्यथा दूसरे जन्ममें उसे महान् कष्ट उठाना पड़ता है। [महा0 अनु0 अ0 [1]



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vachan dekar usaka paalan n karanese neech yoni praapt hotee hai

vachan dekar usaka paalan n karanese neech yoni praapt hotee hai

praacheen kaalakee baat hai, do vyakti aapasamen bahut achchhe mitr the, par doosare janmamen unamense ekako siyaarakee yoni milee aur doosara bandar banaa. siyaar jo tha, vah shmashaanamen raha karata tha aur murdonka bhojan karata thaa. vaheen ek vriksh tha, usamen vah bandar bhee raha karata thaa. vishesh baat yah thee ki dononko apane poorvajanmakee saaree baaten yaad theen.
ek din vrikshapar baithe bandarane siyaarase jijnaasaavash poochhaa-siyaar bhaaee. tum poorvajanmamen kaun the aur tumane kaun sa aisa nindaneey kaary kiya tha, jisase tumhen yah siyaarakee yoni praapt huee hai aur aise ghrinit evan durgandhayukt murdese apana pet bharana pada़ raha hai.
isapar siyaarane dukhee hote hue kahaa- bhaaee vaanara! kya bataaoon. poorvajanmamen main manushy yonimen tha aur mainne ek braahmanadevataako ek vastu denekee pratijna karake, phir unhen vah vastu dee naheen thee, isee pratijnaa-bhangake doshase mujhe yah duhkhamayee paapayoni praapt huee hai. ab to apane karmaka bhog bhogana hee hai. meree to baat ho gayee, ab tum bataao ki tumane kauna-sa paap kiyaa?
isapar vaanar bolaa- siyaar bhaaee. main bhee pahale manushy hee thaa. kintu mera yah svabhaav tha ki main sada braahmanonke phal churaakar khaaya karata thaa. isee paapakarmase mujhe yah vaanar yoni praapt huee hai, isaliye kiseekee bhee aashaako bhang naheen karana chaahiye. vishesharoopase daanaka sankalp karake vah vastu avashy hee denee chaahiye, anyatha doosare janmamen use mahaan kasht uthaana pada़ta hai. [mahaa0 anu0 a0 [1]

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