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महापुरुषोंके बोधपरक जीवन प्रसंग  [शिक्षदायक कहानी]
बोध कथा - Hindi Story (हिन्दी कहानी)

महापुरुषोंके बोधपरक जीवन प्रसंग

ईश्वरचन्द्र विद्यासागर - कुछ प्रेरक-प्रसंग
(डॉ0 श्रीरामशंकरजी द्विवेदी)
बड़ा आदमी
बंगालमें गोलदीघीके दक्षिणी किनारके एक दुमजला बरामदे से एक भद्रपुरुषने देखा, फुटपाथपर बैठी एक लड़की एक कागज हाथमें लिये है और चुपचाप रो रही है। वह भद्रपुरुष उस लड़कीको अपने यहाँ बुला ले गया। फिर उसने पूछा- तुम रो क्यों रही हो?
लड़कीने बताया, मेरे माँ-बाप कोई नहीं हैं। मैं बेथूल स्कूलमें पढ़ती हूँ। एक दयालु ब्राह्म भद्रपुरुष मुझे खाने-पहननेको देते थे और एक भद्रपुरुष मेरी पढ़ाई लिखाईका खर्चा देते थे। मेरा दुर्भाग्य, उन दोनों भद्रपुरुषोंकी मृत्यु हो गयी। लिखाई पढ़ाई करना तो अब दूरकी बात, मेरे खाने-पहनने और रहनेका भी कोई सहारा नहीं है। आज तीन दिनसे एक दरखास्त लेकर सहायताके लिये बड़े आदमियोंक दरवाजे दरवाजे भटक रही हूँ, कहीं कोई फल नहीं निकला।
किसी बड़े आदमीने कुछ कहा नहीं?
कई बड़े आदमियोंसे तो वह लड़की भेंट ही नहीं कर पायी थी। दरबानके हाथों दरखास्त भीतर भेजी, दरबानने दरखास्त वापस देते हुए कहा, यहाँ कुछ नहीं होगा, दूसरी जगह जाओ।
दो-एक बड़े लोगोंसे अवश्य भेंट हुई। दो-एक हितोपदेश तो मिले, किंतु कुछ दिया नहीं और आगे कुछ देनेकी बात भी नहीं कही। कुछने तो ऐसी बात कही, जिसे न बताना ही अच्छा है।
इतना कहकर वह लड़की फिर रोने लगी। उस भद्रपुरुषने बेटी! रोओ नहीं। लगता है तुमने पूरे दिन कुछ खाया नहीं है। मैं कुछ खानेको लाये देता हैं, तम पहले कुछ खा लो। उसके बाद मैं जहाँ जानेको कहूँ, वहाँ एक बार जाकर देखो।
रोते-रोते वह लड़की बोली, मैं कुछ खाऊँगी नहीं। आप बताइये मैं कहाँ जाऊँ, किंतु मैं अब किसी बड़े आदमीके यहाँ नहीं जाऊँगी।
यह क्या बात हुई। बेटी, तुम तो अबतक किसी सही बड़े आदमीके घर गयी ही नहीं हो। तुम एक बार जाकर देखो तो!
कौन हैं वे ? जरा बताइये तो।
तुम एक बार विद्यासागरके पास जाओ।
वे भी तो बड़े आदमी हैं ?
हाँ, वे ही यथार्थमें बड़े आदमी हैं। तुम एक बार वृन्दावन मल्लिक लेनमें उनके घर जाओ, उनसे मिलो। यदि उनसे तुम भेंट न कर सको तो आखिरमें अपनी दरखास्त उनके पास भेज देना। तुमने अभीतक अनेक तकलीफें उठायी हैं, मेरे कहनेसे यह तकलीफ और उठा लो। एक बार विद्यासागर महाशयके पास जाओ तो।
इसपर वह लड़की बोली- अच्छा, आपकी बात मैं अवश्य मानूँगी, किंतु अब किसी बड़े आदमीके घर जानेकी मेरी इच्छा नहीं हो रही है। फिर भी आप जब कह रहे हैं, मैं जा रही हूँ।
लड़की विद्यासागरके यहाँ गयी, एक यथार्थ बड़े आदमीके पास चली गयी। बड़े आदमीके पास जाकर वह लड़की भी एक क्षणमें बड़ी हो गयी। सचमुचमें बड़ी।
विद्यासागरके पास सीधे-सीधे वह लड़की हाजिर नहीं हुई। दरखास्त भेजकर प्रतीक्षा करने लगी। थोड़ी देर बाद विद्यासागरने उस लड़कीको बुलवा लिया।
लड़कीके मुँह से पूरी घटना सुनकर विद्यासागर ने कहा आजसे तुम मेरी माँ हो, मैं तुम्हारा पुत्र हूँ माँ, तुम्हारे खाने-पहनने और पढ़ाई-लिखाईका खर्चा में चलाऊँगा।
विद्यासागरने जबरदस्ती उस लड़कीको अच्छी अच्छी चीजें खिलायीं। नये कपड़े दिये, नयी पुस्तकें दीं, रुपये दिये। जिस परिवारमें अबतक वह लड़की रह रही ■ थी, वहींपर रहनेको उससे उन्होंने कह दिया। यह भी 5 आश्वासन दिया कि उस परिवारकी भी विद्यासागर बीच-बीचमें सहायता करते रहेंगे। उस घरको देनेके लिये विद्यासागरने अपने हाथसे एक चिट्ठी लिख दी। अन्तमें एक गाड़ीसे, साथमें एक व्यक्तिको करके, लड़कीको भेज दिया।
लड़कीने मन-ही-मन समझ लिया कि यथार्थमें बड़ा मनुष्य किसे कहते हैं।



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mahaapurushonke bodhaparak jeevan prasanga

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eeshvarachandr vidyaasaagar - kuchh preraka-prasanga
(daॉ0 shreeraamashankarajee dvivedee)
bada़a aadamee
bangaalamen goladeegheeke dakshinee kinaarake ek dumajala baraamade se ek bhadrapurushane dekha, phutapaathapar baithee ek lada़kee ek kaagaj haathamen liye hai aur chupachaap ro rahee hai. vah bhadrapurush us lada़keeko apane yahaan bula le gayaa. phir usane poochhaa- tum ro kyon rahee ho?
lada़keene bataaya, mere maan-baap koee naheen hain. main bethool skoolamen padha़tee hoon. ek dayaalu braahm bhadrapurush mujhe khaane-pahananeko dete the aur ek bhadrapurush meree padha़aaee likhaaeeka kharcha dete the. mera durbhaagy, un donon bhadrapurushonkee mrityu ho gayee. likhaaee padha़aaee karana to ab doorakee baat, mere khaane-pahanane aur rahaneka bhee koee sahaara naheen hai. aaj teen dinase ek darakhaast lekar sahaayataake liye bada़e aadamiyonk daravaaje daravaaje bhatak rahee hoon, kaheen koee phal naheen nikalaa.
kisee bada़e aadameene kuchh kaha naheen?
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kaun hain ve ? jara bataaiye to.
tum ek baar vidyaasaagarake paas jaao.
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