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बोध-सूक्ति- पीयूष  [आध्यात्मिक कहानी]
प्रेरक कहानी - प्रेरक कहानी (Spiritual Story)

बोध-सूक्ति- पीयूष

'अनिर्वेदः सिद्धेर्मूलम् ॥'-निराशाका अभाव हो सफलताका मूल है।

'न सन्देहदेहो वीरव्रतनिर्वाहः ॥ ' - वीरोचित आचरण संशयग्रस्त मनसे नहीं किया जा सकता।

'शतभंगीभवद्भद्रा महतां हि प्रसत्तयः ॥ ' - महापुरुषोंकी प्रसन्नता सैकड़ों रूपोंमें कल्याणदायिनी होती है।



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bodha-sookti- peeyoosha

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'anirvedah siddhermoolam ..'-niraashaaka abhaav ho saphalataaka mool hai.

'n sandehadeho veeravratanirvaahah .. ' - veerochit aacharan sanshayagrast manase naheen kiya ja sakataa.

'shatabhangeebhavadbhadra mahataan hi prasattayah .. ' - mahaapurushonkee prasannata saikaड़on rooponmen kalyaanadaayinee hotee hai.

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जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥

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