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मारे शरमके चुप!  [Hindi Story]
आध्यात्मिक कहानी - हिन्दी कथा (प्रेरक कथा)

गांधीजीके बचपनके एक मित्र थे - शेख मेहताब साहब। इन मित्रके कारण उनमें पहले अनेक बाल सुलभ दुर्गुण भी आ गये थे जिन्हें गांधीजीने पीछे अपने मित्रके साथ ही बड़ी कठिनतासे एक-एक करके परित्याग किया। इन्हीं महोदयने कृपा करके इन्हें एक दिन वेश्यालय भी पहुँचा दिया था। पर भगवत्कृपासे या जन्मान्तरके संस्कार या अज्ञानसे ये कैसे बच गये, इसका विस्तृत विवरण स्वयं उन्हींके शब्दोंमें पढ़िये

—'मैं मकानमें दाखिल तो हुआ; पर ईश्वर जिसे बचाना चाहता है, वह गिरनेकी इच्छा करता हुआ भी बच सकता है। उस कमरेमें जाकर मैं तो मानो अंधा हो गया। कुछ बोलनेका औसान ही न रहा। मारे शरमके चुपचाप उस बाईकी खटियापर बैठ गया। बाई झल्लाई और दो-चार बुरी - भली सुनाकर सीधा दरवाजेका रास्ता दिखलाया।'

'उस समय तो मुझे लगा, मानो मेरी मर्दानगीको लाञ्छन लग गया और धरती फट जाय तो मैं उसमें समा जाऊँ। पर बादको इससे मुझे उबार लेनेके लिये मैंने ईश्वरका सदा उपकार माना है। मेरे जीवनमें ऐसे ही चार प्रसङ्ग और आये हैं। पर मैं दैवयोगसे बचतागया हूँ। विशुद्ध दृष्टिसे इन अवसरोंपर मैं गिरा ही समझा जा सकता हूँ; क्योंकि विषयकी इच्छा करते ही मैं उसका भोग तो कर चुका। फिर भी लौकिक दृष्टिसे हम उस आदमीको बचा हुआ ही मानते हैं, जो इच्छा करते हुए भी प्रत्यक्ष कर्मसे बच जाता है। और मैं इन अवसरोंपर इतने ही अंशतक बचा हुआ समझा जा सकता हूँ। फिर कितने ही काम ऐसे होते हैं, जिनके करनेसे बचना व्यक्तिके तथा उसके सम्पर्कमें आनेवालोंके लिये बहुत लाभदायक साबित होता है। और विचार शुद्धि हो जानेपर उस कर्मसे बच जानेमें व्यक्ति ईश्वरका अनुग्रह मानता है। जिस प्रकार न गिरनेका यत्न करते हुए भी मनुष्य गिर जाता है, उसी प्रकार पतनकी इच्छा हो जानेपर भी मनुष्य अनेक कारणोंसे बच जाता इसमें कहाँ पुरुषार्थके लिये स्थान है, कहाँ दैवके लिये अथवा किन नियमोंके वशवर्ती होकर मनुष्य गिरता है या बचता है, ये प्रश्न गूढ़ हैं। ये आजतक हल नहीं हो सके हैं। और यह कहना कठिन है कि इनका अन्तिम निर्णय हो सकेगा या नहीं।'

सचमुच इन विचारोंमें गांधीजीकी सरलता तथा महत्ता साफ फूट पड़ती है।

- जा0 श0



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maare sharamake chupa!

gaandheejeeke bachapanake ek mitr the - shekh mehataab saahaba. in mitrake kaaran unamen pahale anek baal sulabh durgun bhee a gaye the jinhen gaandheejeene peechhe apane mitrake saath hee bada़ee kathinataase eka-ek karake parityaag kiyaa. inheen mahodayane kripa karake inhen ek din veshyaalay bhee pahuncha diya thaa. par bhagavatkripaase ya janmaantarake sanskaar ya ajnaanase ye kaise bach gaye, isaka vistrit vivaran svayan unheenke shabdonmen paढ़iye

—'main makaanamen daakhil to huaa; par eeshvar jise bachaana chaahata hai, vah giranekee ichchha karata hua bhee bach sakata hai. us kamaremen jaakar main to maano andha ho gayaa. kuchh bolaneka ausaan hee n rahaa. maare sharamake chupachaap us baaeekee khatiyaapar baith gayaa. baaee jhallaaee aur do-chaar buree - bhalee sunaakar seedha daravaajeka raasta dikhalaayaa.'

'us samay to mujhe laga, maano meree mardaanageeko laanchhan lag gaya aur dharatee phat jaay to main usamen sama jaaoon. par baadako isase mujhe ubaar leneke liye mainne eeshvaraka sada upakaar maana hai. mere jeevanamen aise hee chaar prasang aur aaye hain. par main daivayogase bachataagaya hoon. vishuddh drishtise in avasaronpar main gira hee samajha ja sakata hoon; kyonki vishayakee ichchha karate hee main usaka bhog to kar chukaa. phir bhee laukik drishtise ham us aadameeko bacha hua hee maanate hain, jo ichchha karate hue bhee pratyaksh karmase bach jaata hai. aur main in avasaronpar itane hee anshatak bacha hua samajha ja sakata hoon. phir kitane hee kaam aise hote hain, jinake karanese bachana vyaktike tatha usake samparkamen aanevaalonke liye bahut laabhadaayak saabit hota hai. aur vichaar shuddhi ho jaanepar us karmase bach jaanemen vyakti eeshvaraka anugrah maanata hai. jis prakaar n giraneka yatn karate hue bhee manushy gir jaata hai, usee prakaar patanakee ichchha ho jaanepar bhee manushy anek kaaranonse bach jaata isamen kahaan purushaarthake liye sthaan hai, kahaan daivake liye athava kin niyamonke vashavartee hokar manushy girata hai ya bachata hai, ye prashn goodha़ hain. ye aajatak hal naheen ho sake hain. aur yah kahana kathin hai ki inaka antim nirnay ho sakega ya naheen.'

sachamuch in vichaaronmen gaandheejeekee saralata tatha mahatta saaph phoot pada़tee hai.

- jaa0 sha0

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