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अशर्फियोंसे घृणा  [प्रेरक कहानी]
आध्यात्मिक कहानी - Spiritual Story (Shikshaprad Kahani)

एक दिन एक सिंधी सज्जन किसी कामनासे संत मथुरादासजीको खोजता हुआ उनके पास आया और अशर्फियोंकी थैली सामने रखकर अपनी कामना- -पूर्तिके लिये प्रार्थना करने लगा। संतने उसे समझाया, पर वह जब नहीं माना तब संतजीने पूछा- 'अच्छा, एक बातका उत्तर दो कि यदि तुम्हारी लड़कीकी शादी हो, बारात दरवाजेपर पहुँचनेवाली हो, उस समय यदि कोई तुम्हारी रसोईमें, जिसको तुमने लिपवा पुतवाकर साफ रखा हो, अंदर चूल्हेमें जाकर टट्टी कर दे तो तुम क्या करोगे ?' सिंधीने कहा—‘महाराज! डंडे मार-मारकर हड्डीपसली तोड़ दूँगा।'

संत बोले- 'भैया ! इसी प्रकार हम अपने हृदयको साफ करके भगवान्की बाट देख रहे हैं, वे मिलनेवाले हैं। इसीसे हम सब कुछ छोड़कर निर्जन गङ्गातटपर एकान्तमें उनकी पूजाके लिये चौका लगाकर बैठे हैं। तू यह अशर्फियोंकी थैलीरूप उसमें टट्टी करना चाहता है, बता तेरे साथ क्या बर्ताव करना चाहिये तुझे शर्म नहीं आती।' सिंधी समझ गया और प्रणाम करके वहाँसे चुपचाप चलता बना।



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asharphiyonse ghrinaa

ek din ek sindhee sajjan kisee kaamanaase sant mathuraadaasajeeko khojata hua unake paas aaya aur asharphiyonkee thailee saamane rakhakar apanee kaamanaa- -poortike liye praarthana karane lagaa. santane use samajhaaya, par vah jab naheen maana tab santajeene poochhaa- 'achchha, ek baataka uttar do ki yadi tumhaaree lada़keekee shaadee ho, baaraat daravaajepar pahunchanevaalee ho, us samay yadi koee tumhaaree rasoeemen, jisako tumane lipava putavaakar saaph rakha ho, andar choolhemen jaakar tattee kar de to tum kya karoge ?' sindheene kahaa—‘mahaaraaja! dande maara-maarakar haddeepasalee toda़ doongaa.'

sant bole- 'bhaiya ! isee prakaar ham apane hridayako saaph karake bhagavaankee baat dekh rahe hain, ve milanevaale hain. iseese ham sab kuchh chhoda़kar nirjan gangaatatapar ekaantamen unakee poojaake liye chauka lagaakar baithe hain. too yah asharphiyonkee thaileeroop usamen tattee karana chaahata hai, bata tere saath kya bartaav karana chaahiye tujhe sharm naheen aatee.' sindhee samajh gaya aur pranaam karake vahaanse chupachaap chalata banaa.

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