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अपकारका प्रत्यक्ष दण्ड  [Story To Read]
शिक्षदायक कहानी - Hindi Story (छोटी सी कहानी)

भक्त भानुदास सदैव हरिभजनमें रमे रहते। जबतक माता-पिता जीवित रहे, भानुदासकी पत्नी तथा बाल बच्चोंका पालन-पोषण करते रहे; पर उनके मरनेके बाद वे भूखों मरने लगे।

पास-पड़ोसके सज्जनोंको दया आयी। सौ रुपये चंदा करके उन्हें कपड़े खरीद दिये और बाजारके व्यापारियोंको राजी करके उन्हें जीवननिर्वाह करनेकी सलाह दी। व्यवसायियोंने भानुदासको व्यापारका क्रम और भाषा भी पढ़ा दी।

भानुदास व्यापारमें जरा भी असत्यका सहारा लेना अनुचित मानते। ग्राहक आते ही माल, उसका सार उसका सच्चा मूल्य बताकर यह भी कह देते – इसमें मुझको इतना नफा है। इस कारण उसकी अच्छी साख में जम गयी।भानुदासका व्यापार दिनोंदिन बढ़ने लगा और बाजारके अन्य व्यवसायियोंका काम ठप पड़ने लगा। | व्यापारी भानुदाससे जलने लगे। समझदार व्यापारी उसकी सचाईकी प्रशंसा भी करते और उसकी उन्नतिका मूल उसीको मानते। पर दुराग्रही व्यापारियोंका रोष क्रमशः बढ़ने लगा ।

एक दिन एकादशीके निमित्त नगरमें एक प्रसिद्ध कीर्तनकारका कीर्तन था । भक्त भानुदास इस हरिभक्तिके सुखमय प्रसङ्गको कैसे छोड़ सकते थे। उस दिन जल्दीसे दूकान बढ़ाकर भानुदासने पास-पड़ोसके व्यापारियोंसे प्रार्थना की- 'मैं जरा कीर्तनमें जाता हूँ, दूकानका आप लोग कृपया ध्यान रखियेगा।' उन्होंने रोषमें कहा - 'हम नहीं जानते, तुम अपना देखो।' भानुदासने परवा नहीं की। माल लादनेका घोड़ा वहीं दूकानपर बाँधकरसीधे मन्दिरमें कीर्तनके लिये चले गये। व्यापारियोंने बदला लेनेका अच्छा अवसर देख उसके घोड़ेको छोड़ दिया और सामान निकालकर पासके ही एक गहरे गड्ढेमें भर दिया और उसे ऊपरसे ढक दिया। फिर शोर मचा दिया कि चोरोंने भानुदासका सामान चुरा लिया। घोड़ा कुछ दूर गया तो उन्हीं प्रभुको चिन्ता हुई, जिनके भजनमें भानुदास रातभर लीन रहे । एक व्यापारीका रूप धर कुछ दूरपर घोड़ेको पकड़कर बैठे रहे ।

भानुदाससे इस तरह छल करके व्यापारी अपनी अपनी दूकानें बंद करके जा रहे थे कि चोरोंका एक गिरोह हथियारोंसे लैस हो वहाँ आ धमका। उन्होंनेव्यापारियोंको खूब पीटा, उनके घोड़े छुड़ा लिये और उनकी दूकानोंका भरपेट सामान लूटकर वे भाग गये। व्यापारियोंने अपनी करनीका फल पाया। कुआँ खोदनेवालेको खाई तैयार है।

कीर्तन समाप्त होनेपर कुछ रात शेष रहते ही भानुदास अपनी दूकान देखने आये। रास्तेमें एक अपरिचितको भागते हुए घोड़ेको पकड़कर अपने हवाले करते देख उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ और उससे भी अधिक आश्चर्य हुआ व्यापारियोंको रोते- कलपते देखकर ।

व्यापारियोंने गड्ढेसे कपड़ोंकी गाँठें निकाल भानुदासको समर्पित कीं और अपनी दुर्बुद्धिके लिये उनसे क्षमा माँगी।

- गो0 न0 बै0 (भक्तिविजय, अ0 42 )



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apakaaraka pratyaksh danda

bhakt bhaanudaas sadaiv haribhajanamen rame rahate. jabatak maataa-pita jeevit rahe, bhaanudaasakee patnee tatha baal bachchonka paalana-poshan karate rahe; par unake maraneke baad ve bhookhon marane lage.

paasa-pada़osake sajjanonko daya aayee. sau rupaye chanda karake unhen kapada़e khareed diye aur baajaarake vyaapaariyonko raajee karake unhen jeevananirvaah karanekee salaah dee. vyavasaayiyonne bhaanudaasako vyaapaaraka kram aur bhaasha bhee padha़a dee.

bhaanudaas vyaapaaramen jara bhee asatyaka sahaara lena anuchit maanate. graahak aate hee maal, usaka saar usaka sachcha mooly bataakar yah bhee kah dete – isamen mujhako itana napha hai. is kaaran usakee achchhee saakh men jam gayee.bhaanudaasaka vyaapaar dinondin baढ़ne laga aur baajaarake any vyavasaayiyonka kaam thap pada़ne lagaa. | vyaapaaree bhaanudaasase jalane lage. samajhadaar vyaapaaree usakee sachaaeekee prashansa bhee karate aur usakee unnatika mool useeko maanate. par duraagrahee vyaapaariyonka rosh kramashah badha़ne laga .

ek din ekaadasheeke nimitt nagaramen ek prasiddh keertanakaaraka keertan tha . bhakt bhaanudaas is haribhaktike sukhamay prasangako kaise chhoda़ sakate the. us din jaldeese dookaan badha़aakar bhaanudaasane paasa-pada़osake vyaapaariyonse praarthana kee- 'main jara keertanamen jaata hoon, dookaanaka aap log kripaya dhyaan rakhiyegaa.' unhonne roshamen kaha - 'ham naheen jaanate, tum apana dekho.' bhaanudaasane parava naheen kee. maal laadaneka ghoda़a vaheen dookaanapar baandhakaraseedhe mandiramen keertanake liye chale gaye. vyaapaariyonne badala leneka achchha avasar dekh usake ghoda़eko chhoda़ diya aur saamaan nikaalakar paasake hee ek gahare gaddhemen bhar diya aur use ooparase dhak diyaa. phir shor macha diya ki choronne bhaanudaasaka saamaan chura liyaa. ghoda़a kuchh door gaya to unheen prabhuko chinta huee, jinake bhajanamen bhaanudaas raatabhar leen rahe . ek vyaapaareeka roop dhar kuchh doorapar ghoda़eko pakada़kar baithe rahe .

bhaanudaasase is tarah chhal karake vyaapaaree apanee apanee dookaanen band karake ja rahe the ki choronka ek giroh hathiyaaronse lais ho vahaan a dhamakaa. unhonnevyaapaariyonko khoob peeta, unake ghoda़e chhuda़a liye aur unakee dookaanonka bharapet saamaan lootakar ve bhaag gaye. vyaapaariyonne apanee karaneeka phal paayaa. kuaan khodanevaaleko khaaee taiyaar hai.

keertan samaapt honepar kuchh raat shesh rahate hee bhaanudaas apanee dookaan dekhane aaye. raastemen ek aparichitako bhaagate hue ghoda़eko pakada़kar apane havaale karate dekh unhen bada़a aashchary hua aur usase bhee adhik aashchary hua vyaapaariyonko rote- kalapate dekhakar .

vyaapaariyonne gaddhese kapada़onkee gaanthen nikaal bhaanudaasako samarpit keen aur apanee durbuddhike liye unase kshama maangee.

- go0 na0 bai0 (bhaktivijay, a0 42 )

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