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Nand Utsav (Bhajan Sandhya) By Shree Hita Ambrish ji by New Delhi in October 2015

Nand Utsav (Bhajan Sandhya) Part 1 By Shree Hita Ambrish ji in Iskcon Mandir, New Delhi.

Nand Utsav (Bhajan Sandhya) Part 2 By Shree Hita Ambrish ji in Iskcon Mandir, New Delhi.

Nand Utsav (Bhajan Sandhya) Part 3 By Shree Hita Ambrish ji in Iskcon Mandir, New Delhi.

Nand Utsav (Bhajan Sandhya) Part 4 By Shree Hita Ambrish ji in Iskcon Mandir, New Delhi.

Nand Utsav (Bhajan Sandhya) Part 5 By Shree Hita Ambrish ji in Iskcon Mandir, New Delhi.

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लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,

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वो खुशियां ही खुशियां पाए जो सतगुरु दर
वेखो वेखो आता संदेशा सतगुरु जी का आता...
है हमने प्यार वो पाया, जो दुनिया पा
मगर कैसे कहे उसको जुबा भी गा नहीं सकती,
भादो का मेला सुहाना लगता है,
भक्तो का तो दिल दीवाना लगता है,
राम का हर पल ध्यान लगाए,
राम नाम मतवाला,
सतगुरु जी मेरे आये मेहरा हो गइयाँ,
जिथे चरण टिकाये मेहरा हो गइयाँ,