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तेरा क्या भरोसा  [शिक्षदायक कहानी]
Hindi Story - Moral Story (प्रेरक कथा)

तेरा क्या भरोसा ?

एक गड़रिया अपनी बकरियों और बच्चोंको लेकर एक गाँवसे दूसरे गाँवको जा रहा था। रास्ता पहाड़ी जंगलका था। बादल तो दोपहरसे ही घिरने लगे थे, शाम होनेसे पहले ही वे ताबड़तोड़ बरसने लगे। पहाड़ी रास्ता और तेज बारिशकी मुसीबत तो थी ही, हवाई तूफानने गड़रियेकी हिम्मतके पैर ही उखाड़ दिये।
वह घबरा गया और सोचने लगा कि आजकी रात कैसे कटेगी! पर तभी उसे सामने ही एक पहाड़ी गुफा दिखायी दी। वह अपनी बकरियोंको जल्दी-जल्दी हाँककर गुफाके द्वारपर पहुँचा तो क्या देखता है कि गुफामें पहलेसे ही बहुत-सी जंगली भेड़ें और उनके बच्चे बैठे हुए हैं।
उन मोटी-ताजी भेड़ोंको देखकर वह अपनी पतली-दुबली बकरियोंको भूल गया और लोभमें फँसकर सोचने लगा कि यह बहुत अच्छा मौका मिला। मैं रातभरमें इन भेड़ोंको बहका-फुसलाकर अपनी बना लूँगा और बारिशके रुकनेपर इन्हें अपने साथ गाँव ले जाऊँगा। हमारे गाँवमें इतनी और ऐसी भेड़ें किसीके पास नहीं हैं। बस, मैं गाँवभरमें सबसे बड़ा आदमी बन जाऊँगा। दिनभरमें उसने अपनी बकरियोंके लिये जो हरी हरी घास इकट्ठी की थी, उसका गट्ठर लेकर वह गुफामें घुस गया और अपनी बकरियोंको बाहर बारिश और तूफानमें ही छोड़ गया। उसकी घासकी खुशबूके कारण गुफाके भीतरकी भेड़ें उसके आस-पास इकट्ठी हो गयीं। गड़रिया इससे बहुत खुश हुआ और उन्हें घासकी लच्छियाँ खिलाता रहा। वे भी खुशी-खुशी घास खाती रहीं। जब सुबह हुई तो बारिश नहीं हो रही थी और तूफान भी रुक गया था। धूप रही थी।
गड़रिया गुफासे बाहर निकला तो देखा कि रातके बरसाती थपेड़े खाकर उसकी बहुत-सी बकरियाँ मर गयी हैं और बहुत-सी इधर-उधर भाग गयी हैं। उसने सोचा, कोई बात नहीं, बकरियों गयीं तो क्या, इतनी अच्छी भेड़ें तो मिलीं। पर तभी उसने देखा कि भेड़ें उसके पीछे-पीछे नहीं, दूसरी तरफ जानेको मुड़ रही हैं। उसके कहनेपर भी वे उसके साथ नहीं चलीं।
गड़रियेको गुस्सा आ गया और चिल्लाकर उसने कहा- 'कम्बख्तो, मैंने रातभर तुम्हें अपनी बकरियोंकी घास खिलायी और तुम्हारे लिये अपनी पालतू बकरियोंको गुफाके बाहर छोड़ा, पर तुम इतनी बेईमान हो कि अब मुझसे मुँह मोड़कर जा रही हो।'
एक भेड़ने, जो शायद उन भेड़ोंकी सरदार थी, गड़रियेसे कहा-'हम इतनी बेवकूफ नहीं हैं, कि तुम जैसे बेईमान आदमीके पीछे चल पड़ें। भला, जब तू अपनी पालतू बकरियोंका साथी नहीं हो सका और हमें पानेके लोभमें उन्हें मौतके पंजेमें छोड़कर गुफामें घुस गया, तो तेरा क्या ऐतबार ? जा, अपना रास्ता देख !'
गड़रिया बहुत पछताया कि उसने बड़ा आदमी बननेके लोभमें अपना सब कुछ मिट्टीमें मिला लिया और बिलकुल नाश कर लिया।
बात ठीक है कि 'जो स्वार्थ-लोभमें फँसकर अपनोंका साथ छोड़ता है, उन्हें धोखा देता है, उसका कोई अपना नहीं बनता और वह जीवनमें सदा ठोकरें ही खाता है।' [ श्रीकन्हैयालालजी मिश्र, 'प्रभाकर' ]



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tera kya bharosaa

tera kya bharosa ?

ek gada़riya apanee bakariyon aur bachchonko lekar ek gaanvase doosare gaanvako ja raha thaa. raasta pahaada़ee jangalaka thaa. baadal to dopaharase hee ghirane lage the, shaam honese pahale hee ve taabada़toda़ barasane lage. pahaada़ee raasta aur tej baarishakee museebat to thee hee, havaaee toophaanane gada़riyekee himmatake pair hee ukhaada़ diye.
vah ghabara gaya aur sochane laga ki aajakee raat kaise kategee! par tabhee use saamane hee ek pahaada़ee gupha dikhaayee dee. vah apanee bakariyonko jaldee-jaldee haankakar guphaake dvaarapar pahuncha to kya dekhata hai ki guphaamen pahalese hee bahuta-see jangalee bheda़en aur unake bachche baithe hue hain.
un motee-taajee bheड़onko dekhakar vah apanee patalee-dubalee bakariyonko bhool gaya aur lobhamen phansakar sochane laga ki yah bahut achchha mauka milaa. main raatabharamen in bheड़onko bahakaa-phusalaakar apanee bana loonga aur baarishake rukanepar inhen apane saath gaanv le jaaoongaa. hamaare gaanvamen itanee aur aisee bheda़en kiseeke paas naheen hain. bas, main gaanvabharamen sabase bada़a aadamee ban jaaoongaa. dinabharamen usane apanee bakariyonke liye jo haree haree ghaas ikatthee kee thee, usaka gatthar lekar vah guphaamen ghus gaya aur apanee bakariyonko baahar baarish aur toophaanamen hee chhoda़ gayaa. usakee ghaasakee khushabooke kaaran guphaake bheetarakee bheda़en usake aasa-paas ikatthee ho gayeen. gada़riya isase bahut khush hua aur unhen ghaasakee lachchhiyaan khilaata rahaa. ve bhee khushee-khushee ghaas khaatee raheen. jab subah huee to baarish naheen ho rahee thee aur toophaan bhee ruk gaya thaa. dhoop rahee thee.
gada़riya guphaase baahar nikala to dekha ki raatake barasaatee thapeda़e khaakar usakee bahuta-see bakariyaan mar gayee hain aur bahuta-see idhara-udhar bhaag gayee hain. usane socha, koee baat naheen, bakariyon gayeen to kya, itanee achchhee bheda़en to mileen. par tabhee usane dekha ki bheda़en usake peechhe-peechhe naheen, doosaree taraph jaaneko muda़ rahee hain. usake kahanepar bhee ve usake saath naheen chaleen.
gada़riyeko gussa a gaya aur chillaakar usane kahaa- 'kambakhto, mainne raatabhar tumhen apanee bakariyonkee ghaas khilaayee aur tumhaare liye apanee paalatoo bakariyonko guphaake baahar chhoda़a, par tum itanee beeemaan ho ki ab mujhase munh moda़kar ja rahee ho.'
ek bheड़ne, jo shaayad un bheड़onkee saradaar thee, gada़riyese kahaa-'ham itanee bevakooph naheen hain, ki tum jaise beeemaan aadameeke peechhe chal pada़en. bhala, jab too apanee paalatoo bakariyonka saathee naheen ho saka aur hamen paaneke lobhamen unhen mautake panjemen chhoda़kar guphaamen ghus gaya, to tera kya aitabaar ? ja, apana raasta dekh !'
gada़riya bahut pachhataaya ki usane bada़a aadamee bananeke lobhamen apana sab kuchh mitteemen mila liya aur bilakul naash kar liyaa.
baat theek hai ki 'jo svaartha-lobhamen phansakar apanonka saath chhoda़ta hai, unhen dhokha deta hai, usaka koee apana naheen banata aur vah jeevanamen sada thokaren hee khaata hai.' [ shreekanhaiyaalaalajee mishr, 'prabhaakara' ]

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