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जरा-सा भी गुण देखो, दोष नहीं  [Story To Read]
आध्यात्मिक कहानी - Hindi Story (हिन्दी कथा)

संसारे सुखिनो जीवा भवन्ति गुणग्राहकाः

उत्तमास्ते हि विज्ञेयाः कृष्णवद् दन्तपश्यकाः ॥

एक बार देवराज इन्द्रने अपनी देवसभामें कहा कि इस समय मनुष्यलोकमें श्रीकृष्ण देव (कोई राजा) ही सबसे श्रेष्ठ और गुणशाली पुरुष हैं। ऐसे श्रीकृष्णकी बड़ाई एक देवताको अच्छी नहीं लगी। वह परीक्षा करनेके लिये मरे कुत्तेका रूप धारण करके रास्ते में पड़ गया। उसके शरीरसे दुर्गन्ध निकल रही थी। उसका मुँह फट गया था। रास्ते जाते श्रीकृष्णनेउस मरे कुत्तेको देखा और कहा - ' 'अहो, इस मरे कुत्तेके दाँतोंकी पङ्क्ति कैसी निर्मल, मोती-जैसी दीप रही है!' इस प्रकार सड़ी दुर्गन्धके दोषकी ओर उनका ध्यान नहीं गया और उसमें जो जरा-सा गुण था, उसीपर उनकी दृष्टि गयी। यह देखकर देवता कुत्तेका रूप त्यागकर अपने रूपमें प्रकट हो गया और बोला - 'सच है, सच्ची गुणग्राहकता और गुण- दर्शनपरायणता तो आपमें ही है। संसारमें गुणग्राहकलोग ही सुखी हुआ करते हैं।'



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jaraa-sa bhee gun dekho, dosh naheen

sansaare sukhino jeeva bhavanti gunagraahakaah

uttamaaste hi vijneyaah krishnavad dantapashyakaah ..

ek baar devaraaj indrane apanee devasabhaamen kaha ki is samay manushyalokamen shreekrishn dev (koee raajaa) hee sabase shreshth aur gunashaalee purush hain. aise shreekrishnakee bada़aaee ek devataako achchhee naheen lagee. vah pareeksha karaneke liye mare kutteka roop dhaaran karake raaste men pada़ gayaa. usake shareerase durgandh nikal rahee thee. usaka munh phat gaya thaa. raaste jaate shreekrishnaneus mare kutteko dekha aur kaha - ' 'aho, is mare kutteke daantonkee pankti kaisee nirmal, motee-jaisee deep rahee hai!' is prakaar sada़ee durgandhake doshakee or unaka dhyaan naheen gaya aur usamen jo jaraa-sa gun tha, useepar unakee drishti gayee. yah dekhakar devata kutteka roop tyaagakar apane roopamen prakat ho gaya aur bola - 'sach hai, sachchee gunagraahakata aur guna- darshanaparaayanata to aapamen hee hai. sansaaramen gunagraahakalog hee sukhee hua karate hain.'

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