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परम वैरागी श्रीरामकृष्ण परमहंस जी जब इतनी सावधानी रखते हैं तो हम कैसे इतने बेपरवाह हो सकते हैं?

एक बार एक धनी सज्जन श्रीरामकृष्ण परमहंस के पास पहुँचे। उन्होंने परमहंसजीसे धन लेनेका विनम्र आग्रह किया- 'महाराज! इस धनराशिको आप स्वीकार करें, इसे आप परोपकारके कार्योंमें लगा दीजियेगा।'

परमहंसजी मुसकराकर बोले 'भाई! मैं तुम्हारा धन ले लूँगा तो मेरा चित्त उसमें लग जायगा और मेरी मानसिक शान्ति भंग होगी।' धनिकने तर्क दिया- 'महाराज! आप तो परमहंस हैं, आपका मन उस तेल-बिन्दुके समान है, जो कामिनी कंचनके महासमुद्रमें स्थित होकर भी सदैव उससे अलग रहेगा।

' परमहंस गम्भीर हो गये-'भाई! क्या तुम्हें ज्ञात नहीं कि अच्छे-से-अच्छा तेल भी यदि बहुत दिनोंतक पानीमें रहे तो वह अशुद्ध हो जाता है और उससे दुर्गन्ध आने लगती। है।' धनीको बोध हुआ, उन्होंने अपना आग्रह छोड़ दिया और धनका उपयोग स्वयं ही परोपकारमें कर दिया।



param vairaagee shreeraamakrishn paramahans jee jab itanee saavadhaanee rakhate hain to ham kaise itane beparavaah ho sakate hain?

ek baar ek dhanee sajjan shreeraamakrishn paramahans ke paas pahunche. unhonne paramahansajeese dhan leneka vinamr aagrah kiyaa- 'mahaaraaja! is dhanaraashiko aap sveekaar karen, ise aap paropakaarake kaaryonmen laga deejiyegaa.'

paramahansajee musakaraakar bole 'bhaaee! main tumhaara dhan le loonga to mera chitt usamen lag jaayaga aur meree maanasik shaanti bhang hogee.' dhanikane tark diyaa- 'mahaaraaja! aap to paramahans hain, aapaka man us tela-binduke samaan hai, jo kaaminee kanchanake mahaasamudramen sthit hokar bhee sadaiv usase alag rahegaa.

' paramahans gambheer ho gaye-'bhaaee! kya tumhen jnaat naheen ki achchhe-se-achchha tel bhee yadi bahut dinontak paaneemen rahe to vah ashuddh ho jaata hai aur usase durgandh aane lagatee. hai.' dhaneeko bodh hua, unhonne apana aagrah chhoda़ diya aur dhanaka upayog svayan hee paropakaaramen kar diyaa.



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बहुत बड़ा दरबार तेरो बहुत बड़ा दरबार,
चाकर रखलो राधा रानी तेरा बहुत बड़ा
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ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
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बालम बोलो कब आओगे॥
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
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