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जीवन कैसे जिया जाय ? नज़रिया जो जीवन को बदल दे

जीवन कैसे जिया जाय ?

यूनानके प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात एक बार भ्रमण करते हुए एक शहरमें पहुँचे। वहाँ उनकी एक वृद्ध व्यक्तिसे भेंट हुई। दोनों काफी घुल-मिल गये। सुकरातने उन वृद्ध महानुभावके व्यक्तिगत जीवनमें काफी रुचि ली, काफी खुलकर बातें कीं। सुकरातने सन्तोष व्यक्त करते हुए कहा 'आपका विगत जीवन तो बड़े शानदार ढंगसे बीता है, पर इस वृद्धावस्थामें आपको कौन-कौनसे पापड़ बेलने पड़ रहे हैं, यह तो बताइये ?' वृद्ध किंचित् मुसकराया "मैं अपना पारिवारिक उत्तरदायित्व अपने समर्थ पुत्रोंको देकर [ और इन सबको सर्व सामर्थ्यवान् प्रभुको समर्पित करके] निश्चिन्त हूँ। वे जो कहते हैं, कर देता हूँ, जो खिलाते हैं, खा लेता हूँ और अपने पौत्र-पौत्रियोंके साथ खेलता रहता हूँ। बच्चे कभी भूल करते हैं, तब भी चुप रहता है। मैं उनके किसी कार्यमें बाधक नहीं बनता। पर जब कभी वे परामर्श लेने आते हैं तो मैं अपने जीवनके सारे अनुभवोंको उनके सामने रखकर की हुई भूलसे उत्पन्न दुष्परिणामोंकी ओरसे सचेत कर देता हूँ। वे मेरी सलाहपर कितना चलते हैं, यह देखना और अपना मस्तिष्क खराब करना मेरा काम नहीं है। वे मेरे निर्देशोंपर चलें हो, यह मेरा आग्रह नहीं। परामर्श देनेके बाद भी यदि वे भूल करते हैं तो चिन्तित नहीं होता। उसपर भी वे पुनः मेरे पास आते हैं तो मेरा दरवाजा सदैव उनके लिये खुला रहता है। मैं पुनः उचित सलाह देकर उन्हें विदा करता हूँ।'
वृद्धकी बात सुनकर सुकरात बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि आपने इस आयुमें जीवन कैसे जिया जाय, यह बखूबी समझ लिया है।



jeevan kaise jiya jaay (brahmaleen shraddhey svaamee shreesharanaanandajee mahaaraaj )

jeevan kaise jiya jaay ?

(brahmaleen shraddhey svaamee shreesharanaanandajee mahaaraaj )

yoonaanake prasiddh daarshanik sukaraat ek baar bhraman karate hue ek shaharamen pahunche. vahaan unakee ek vriddh vyaktise bhent huee. donon kaaphee ghula-mil gaye. sukaraatane un vriddh mahaanubhaavake vyaktigat jeevanamen kaaphee ruchi lee, kaaphee khulakar baaten keen. sukaraatane santosh vyakt karate hue kaha 'aapaka vigat jeevan to bada़e shaanadaar dhangase beeta hai, par is vriddhaavasthaamen aapako kauna-kaunase paapada़ belane pada़ rahe hain, yah to bataaiye ?' vriddh kinchit musakaraaya "main apana paarivaarik uttaradaayitv apane samarth putronko dekar [ aur in sabako sarv saamarthyavaan prabhuko samarpit karake] nishchint hoon. ve jo kahate hain, kar deta hoon, jo khilaate hain, kha leta hoon aur apane pautra-pautriyonke saath khelata rahata hoon. bachche kabhee bhool karate hain, tab bhee chup rahata hai. main unake kisee kaaryamen baadhak naheen banataa. par jab kabhee ve paraamarsh lene aate hain to main apane jeevanake saare anubhavonko unake saamane rakhakar kee huee bhoolase utpann dushparinaamonkee orase sachet kar deta hoon. ve meree salaahapar kitana chalate hain, yah dekhana aur apana mastishk kharaab karana mera kaam naheen hai. ve mere nirdeshonpar chalen ho, yah mera aagrah naheen. paraamarsh deneke baad bhee yadi ve bhool karate hain to chintit naheen hotaa. usapar bhee ve punah mere paas aate hain to mera daravaaja sadaiv unake liye khula rahata hai. main punah uchit salaah dekar unhen vida karata hoon.'
vriddhakee baat sunakar sukaraat bahut prasann hue. unhonne kaha ki aapane is aayumen jeevan kaise jiya jaay, yah bakhoobee samajh liya hai.



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