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रामायण से हर व्यक्ति के सीखने लायक कुछ अनमोल नीति की बातें

आशीर्वाद

रामायणकी नीतियाँ

(अनन्तश्रीविभूषित दक्षिणाम्नायस्थ मुंगेरीशारदापीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीभारतीतीर्थजी महाराज)
कथाएँ दो प्रकारकी होती हैं, कुछ वास्तविक और कुछ काल्पनिक रामायण, महाभारत आदि वास्तविक हैं, पंचतन्त्र आदि काल्पनिक हैं। इन द्विविध कथाओंसे हमें कई अच्छे विषय मिलते हैं, जिनके आचरणसे हमारा जीवन पवित्र होता है। रामायणसे हमें क्या सीखना है- इसका उत्तर एक श्लोकमें कहा गया है

यान्ति न्यायप्रवृत्तस्य तिर्यञ्चोऽपि सहायताम I
अपन्थानं तु गच्छन्तं सोदरोऽपि विमुञ्चति ॥

इसका यह मतलब है कि धर्ममार्गपर चलनेवालोंकी संसारके प्राणी सहायता करते हैं। अधर्ममार्गपर चलनेवालेको अपना भाई भी छोड़ देता है। इसीलिये कहते हैं- रामादिवद्वर्तितव्यं न रावणादिवत् ।
इसके अलावा और भी कई नीतियाँ हमें रामायणसे उपलब्ध होती हैं। जैसे किदशरथकी आज्ञासे श्रीराम चन्द्रजीको वनवास करना पड़ा। कैकेयीके वश होकर दशरथने रामचन्द्रजीको वनवास करनेकी आज्ञा दी। राम वियोगसे दशरथकी मृत्यु हुई। इन सारे अनर्थोका कारण था दशरथका कैकेयीपर व्यामोह । इससे हमें यह सीखना चाहिये कि स्त्रियोंपर अधिक व्यामोह करना अनुचित है।

युवतिमोहमनल्पमुपेयिवान्
व्रजति कष्टमसीम हि सर्वथा ।
दशरथो भुवि केकयसम्भवा
वशगतः प्रययौ बत कां दशाम् ॥

श्रीरामचन्द्रजीको वापस लानेके लिये भरतने अथक प्रयत्न किया था। वसिष्ठ आदि कई हितैषियोंने भी उनसे अयोध्या वापस लौटने का अनुरोध किया था। लेकिन रामचन्द्रजी उससे मस न हुए। इससे यह सिद्ध होता है कि महात्मा लोग किसी भी हालतमें अपने निर्णयसे पीछे नहीं हटते।

स्थिरमतिर्दृढसंगर आत्मवान्
नमणिरन्यथयेन्न गिरं निजाम्।
वनगतो रघुनायक आययौ
न हि तदैव पुरं भरतार्थनात् ॥


वाली और सुग्रीव भाई थे। सुग्रीव अपने बड़े भाई वालीके प्रति बहुत आदर रखता था। एक बार सुग्रीवने अनजानसे एक अपराध किया था। उससे वाली बहुत रुष्ट हो गया। वालीसे क्षमा माँगी। लेकिन अहंकारी वालीने उसे लात मारकर राज्यसे निर्वासित किया। उसके फलस्वरूप रामबाणसे वह मारा गया। इसलिये निरपराधी और क्षमाप्रार्थीको दण्डित करना उचित नहीं ।

निरपराधसहोदरबाधने
सकुतुको न भवेच्चिरजीवनः ।
कपिपती रघुसूनुशरार्दितः
नहि किमम्रियताशु तथाविधः ॥


ऐसी कई नीतियाँ हमें श्रीरामायणसे मिलती हैं। सभी लोग रामायणको अच्छी तरह समझकर अपना जीवन धर्ममय बनायें।



raamaayan se har vyakti ke seekhane laayak kuchh anamol neeti kee baaten

aasheervaada

raamaayanakee neetiyaan

(anantashreevibhooshit dakshinaamnaayasth mungereeshaaradaapeethaadheeshvar jagadaguru shankaraachaary svaamee shreebhaarateeteerthajee mahaaraaja)
kathaaen do prakaarakee hotee hain, kuchh vaastavik aur kuchh kaalpanik raamaayan, mahaabhaarat aadi vaastavik hain, panchatantr aadi kaalpanik hain. in dvividh kathaaonse hamen kaee achchhe vishay milate hain, jinake aacharanase hamaara jeevan pavitr hota hai. raamaayanase hamen kya seekhana hai- isaka uttar ek shlokamen kaha gaya hai

yaanti nyaayapravrittasy tiryancho'pi sahaayataam I
apanthaanan tu gachchhantan sodaro'pi vimunchati ..

isaka yah matalab hai ki dharmamaargapar chalanevaalonkee sansaarake praanee sahaayata karate hain. adharmamaargapar chalanevaaleko apana bhaaee bhee chhoda़ deta hai. iseeliye kahate hain- raamaadivadvartitavyan n raavanaadivat .
isake alaava aur bhee kaee neetiyaan hamen raamaayanase upalabdh hotee hain. jaise kidasharathakee aajnaase shreeraam chandrajeeko vanavaas karana pada़aa. kaikeyeeke vash hokar dasharathane raamachandrajeeko vanavaas karanekee aajna dee. raam viyogase dasharathakee mrityu huee. in saare anarthoka kaaran tha dasharathaka kaikeyeepar vyaamoh . isase hamen yah seekhana chaahiye ki striyonpar adhik vyaamoh karana anuchit hai.

yuvatimohamanalpamupeyivaan
vrajati kashtamaseem hi sarvatha .
dasharatho bhuvi kekayasambhavaa
vashagatah prayayau bat kaan dashaam ..

shreeraamachandrajeeko vaapas laaneke liye bharatane athak prayatn kiya thaa. vasishth aadi kaee hitaishiyonne bhee unase ayodhya vaapas lautane ka anurodh kiya thaa. lekin raamachandrajee usase mas n hue. isase yah siddh hota hai ki mahaatma log kisee bhee haalatamen apane nirnayase peechhe naheen hatate.

sthiramatirdridhasangar aatmavaan
namaniranyathayenn giran nijaam.
vanagato raghunaayak aayayau
n hi tadaiv puran bharataarthanaat ..


vaalee aur sugreev bhaaee the. sugreev apane bada़e bhaaee vaaleeke prati bahut aadar rakhata thaa. ek baar sugreevane anajaanase ek aparaadh kiya thaa. usase vaalee bahut rusht ho gayaa. vaaleese kshama maangee. lekin ahankaaree vaaleene use laat maarakar raajyase nirvaasit kiyaa. usake phalasvaroop raamabaanase vah maara gayaa. isaliye niraparaadhee aur kshamaapraartheeko dandit karana uchit naheen .

niraparaadhasahodarabaadhane
sakutuko n bhavechchirajeevanah .
kapipatee raghusoonusharaarditah
nahi kimamriyataashu tathaavidhah ..


aisee kaee neetiyaan hamen shreeraamaayanase milatee hain. sabhee log raamaayanako achchhee tarah samajhakar apana jeevan dharmamay banaayen.



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