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भगवान तो हमेशा कृपया ही करते हैं ... हमें ही उस कृपया के दर्शन का हुनर सीखना होगा

भगवान्की कृपा

एक राजा था। उसका मन्त्री भगवान्‌का भक्त था। कोई भी बात होती तो वह यही कहता कि 'भगवान्‌की बड़ी कृपा हो गयी!'

एक दिन राजाके बेटेकी मृत्यु हो गयी। मृत्युका समाचार सुनते ही मन्त्री बोल उठा-भगवान्‌की बड़ी कृपा हो गयी! यह बात राजाको बुरी तो लगी, पर वह चुप रहा। कुछ दिनोंके बाद राजाकी पत्नीकी भी मृत्यु हो गयी। मन्त्रीने कहा- भगवान्की बड़ी कृपा हो गयी ! राजाको गुस्सा आया, पर उसने गुस्सा पी लिया, कुछ बोला नहीं। एक दिन राजाके पास एक नयी तलवार बनकर आयी। राजा अपनी अँगुलीसे तलवारकी धार देखने लगा तो धार बहुत तेज होनेके कारण चट उसकी अँगुली कट गयी ! मन्त्री पासमें ही खड़ा था। वह बोला- भगवान्‌की बड़ी कृपा हो गयी! अब राजाके भीतर जमा गुस्सा बाहर निकला और उसने तुरन्त मन्त्रीको राज्यसे बाहर निकल जानेका आदेश दे दिया और कहा कि मेरे राज्यमें अन्न-जल ग्रहण मत करना। मन्त्री बोला- भगवान्की बड़ी कृपा हो गयी ! मन्त्री अपने घरपर भी नहीं गया, साथमें कोई वस्तु भी नहीं ली और राज्यके बाहर निकल गया।

कुछ दिन बीत गये। एक बार राजा अपने साथियोंके साथ शिकार खेलनेके लिये जंगल गया। जंगलमें एक सूअरका पीछा करते-करते राजा बहुत दूर घने जंगलमें निकल गया। उसके सभी साथी बहुत पीछे छूट गये। वहाँ जंगलमें डाकुओंका एक दल रहता था। उस दिन डाकुओंने कालीदेवीको एक मनुष्यकी बलि देनेका विचार किया हुआ था। संयोगसे डाकुओंने राजाको देख लिया। उन्होंने राजाको पकड़कर बाँध दिया। अब उन्होंने बलि देनेकी तैयारी शुरू कर दी। जब पूरी तैयारी हो गयी, तब डाकुओंके पुरोहितने राजासे पूछा- तुम्हारा बेटा जीवित है ? राजा बोला- नहीं, वह मर गया। पुरोहितने कहा कि इसका तो हृदय जला हुआ है। पुरोहितने फिर पूछा तुम्हारी पत्नी जीवित है ? राजा बोला- वह भी मर चुकी है। पुरोहितने कहा कि यह तो आधे अंगका है। अतः यह बलिके योग्य नहीं है, परंतु हो सकता है कि यह मरनेके भयसे झूठ बोल रहा हो ! पुरोहितने राजाके शरीरकी जाँच की तो देखा कि उसकी अँगुली कटी हुई है। पुरोहित बोला-अरे! यह तो अंगभंग है, बलिके योग्य नहीं है ! छोड़ दो इसको ! डाकुओंने राजाको छोड़ दिया।


राजा अपने घर लौट आया। लौटते ही उसने अपने आदमियोंको आज्ञा दी कि हमारा मन्त्री जहाँ भी हो, उसको तुरन्त ढूँढ़कर हमारे पास लाओ। जबतक मन्त्री वापस नहीं आयेगा, तबतक मैं अन्न ग्रहण नहीं करूँगा। राजाके आदमियोंने मन्त्रीको ढूंढ़ लिया और उससे तुरन्त राजाके पास वापस चलनेकी प्रार्थना की। मन्त्रीने कहा- भगवान्की बड़ी कृपा हो गयी! मन्त्री राजाके सामने उपस्थित हो गया। राजाने बड़े आदरपूर्वक मन्त्रीको बैठाया और अपनी भूलपर पश्चात्ताप करते हुए जंगलवाली घटना सुनाकर कहा कि 'पहले मैं तुम्हारी बातको समझा नहीं। अब समझमें आया कि भगवान्की मेरे ऊपर कितनी कृपा थी। भगवान्‌की कृपासे अगर मेरी अँगुली न कटती तो उस दिन मेरा गला कट जाता। परंतु जब मैंने तुम्हें राज्यसे निकाल दिया, तब तुमने कहा कि भगवान्की बड़ी कृपा हो गयी तो वह कृपा क्या थी, यह अभी मेरी समझमें नहीं आया! मन्त्री बोला महाराज, जब आप शिकार करने जाते, तब मैं भी आपके साथ जंगलमें जाता। आपके साथ मैं भी जंगलमें बहुत दूर निकल जाता; क्योंकि मेरा घोड़ा आपके घोड़ेसे कम तेज नहीं है। डाकूलोग आपके साथ मेरेको भी पकड़ लेते। आप तो अँगुली कटी होनेके कारण बच गये, पर मेरा तो उस दिन गला कट ही जाता। इसलिये भगवान्‌की कृपासे मैं आपके साथ नहीं था, राज्यसे बाहर था; अतः मरनेसे बच गया। अब पुनः अपनी जगह वापस आ गया हूँ। यह भी भगवान्‌की कृपा ही तो है।



bhagavaan to hamesha kripaya hee karate hain ... hamen hee us kripaya ke darshan ka hunar seekhana hogaa

bhagavaankee kripaa

ek raaja thaa. usaka mantree bhagavaan‌ka bhakt thaa. koee bhee baat hotee to vah yahee kahata ki 'bhagavaan‌kee bada़ee kripa ho gayee!'

ek din raajaake betekee mrityu ho gayee. mrityuka samaachaar sunate hee mantree bol uthaa-bhagavaan‌kee bada़ee kripa ho gayee! yah baat raajaako buree to lagee, par vah chup rahaa. kuchh dinonke baad raajaakee patneekee bhee mrityu ho gayee. mantreene kahaa- bhagavaankee bada़ee kripa ho gayee ! raajaako gussa aaya, par usane gussa pee liya, kuchh bola naheen. ek din raajaake paas ek nayee talavaar banakar aayee. raaja apanee anguleese talavaarakee dhaar dekhane laga to dhaar bahut tej honeke kaaran chat usakee angulee kat gayee ! mantree paasamen hee khada़a thaa. vah bolaa- bhagavaan‌kee bada़ee kripa ho gayee! ab raajaake bheetar jama gussa baahar nikala aur usane turant mantreeko raajyase baahar nikal jaaneka aadesh de diya aur kaha ki mere raajyamen anna-jal grahan mat karanaa. mantree bolaa- bhagavaankee bada़ee kripa ho gayee ! mantree apane gharapar bhee naheen gaya, saathamen koee vastu bhee naheen lee aur raajyake baahar nikal gayaa.

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