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तत्त्व बोध जगाने वाली 3 बहुत ही शिक्षाप्रद बातें

तत्त्व बोध जगाने वाली बातें

(1)
मृत्यु शय्या पर पड़े हुए युवक उसकी युवती पत्नीने पूछा- 'मुझे किसपर छोड़े जा रहे हो ?"

उसने शांति से उत्तर दिया---'जिसपर मैं अपनेको छोड़ रहा हूँ। जो मृत्युपथपर मेरा मार्ग प्रदर्शित करेगा. क्या तुम समझती हो कि वह तुम जीवितकी ओरसे उदासीन हो जायगा ?'


(2)
जिज्ञासु–भक्त! तुम जो रात-दिन पूजा-पाठ करते थे, उसका फल तो तुम्हें मिल गया। तुम्हारे पास अब धन है, सत्ता है और पुत्र भी तुम्हें प्राप्त हो गया है। अब और क्या चाहते हो, जो भगवान्‌के पीछे पड़े हुए हो ?

भक्त- मैं चाहता हूँ कि मेरी बुद्धि सदैव धनके सदुपयोगमें लगी रहे। धनका अभिमान एवं दुरुपयोग न हो। धनहीन होना अभिशाप है, परंतु उससे भी बड़ा अभिशाप धनका अभिमान और दुरुपयोग है। पुत्रहीन होना दुर्भाग्य है, परंतु उससे भी बड़ा दुर्भाग्य कुपुत्रको जन्म देना है। सत्ता बड़े पुण्य कर्मसे प्राप्त होती है। मैं भगवान्से प्रार्थना करता हूँ कि मैं इस सत्ताके बलपर राष्ट्रका सेवक तथा रक्षक होनेके स्थानपर सेव्य तथा भक्षक न बन जाऊँ। तुम स्वीकार करोगे कि सत्ताधारी भक्षकोंकी अपेक्षा सत्ताहीन ही रहना कहीं अधिक श्रेष्ठ है।
(3)
चीत्कार करती हुई विधवा युवतीके आगे उसके पुत्रको खड़ा करते हुए लोगोंने कहा, 'अब जो होना था, सो हो चुका। अब इस लड़केपर आस रखो।'

कुछ वर्षों पश्चात् लड़का भी मर गया। तब चीत्कार करती हुई प्रौढ़ाके आगे उसके पौत्रको रखतेहुए लोगोंने कहा, 'अब जो होना था, सो हो चुका। अब इस बालकपर आस रखो।'

कुछ वर्षो पश्चात् पोता भी मर गया। तब चीत्कार करती हुई वृद्धासे लोगोंने कहा, 'अब तो भगवानूपर आस रखो। वही सबका बेड़ा पार लगाते हैं।'

वृद्धा बोली, 'यह सब तुमने पहले ही क्यों नहीं बतला दिया था।'



tattv bodh jagaane vaalee 3 bahut hee shikshaaprad baaten

tattv bodh jagaane vaalee baaten

(1)
mrityu shayya par pada़e hue yuvak usakee yuvatee patneene poochhaa- 'mujhe kisapar chhoड़e ja rahe ho ?"

usane shaanti se uttar diyaa---'jisapar main apaneko chhoda़ raha hoon. jo mrityupathapar mera maarg pradarshit karegaa. kya tum samajhatee ho ki vah tum jeevitakee orase udaaseen ho jaayaga ?'


(2)
jijnaasu–bhakta! tum jo raata-din poojaa-paath karate the, usaka phal to tumhen mil gayaa. tumhaare paas ab dhan hai, satta hai aur putr bhee tumhen praapt ho gaya hai. ab aur kya chaahate ho, jo bhagavaan‌ke peechhe pada़e hue ho ?

bhakta- main chaahata hoon ki meree buddhi sadaiv dhanake sadupayogamen lagee rahe. dhanaka abhimaan evan durupayog n ho. dhanaheen hona abhishaap hai, parantu usase bhee bada़a abhishaap dhanaka abhimaan aur durupayog hai. putraheen hona durbhaagy hai, parantu usase bhee bada़a durbhaagy kuputrako janm dena hai. satta bada़e puny karmase praapt hotee hai. main bhagavaanse praarthana karata hoon ki main is sattaake balapar raashtraka sevak tatha rakshak honeke sthaanapar sevy tatha bhakshak n ban jaaoon. tum sveekaar karoge ki sattaadhaaree bhakshakonkee apeksha sattaaheen hee rahana kaheen adhik shreshth hai.
(3)
cheetkaar karatee huee vidhava yuvateeke aage usake putrako khada़a karate hue logonne kaha, 'ab jo hona tha, so ho chukaa. ab is lada़kepar aas rakho.'

kuchh varshon pashchaat lada़ka bhee mar gayaa. tab cheetkaar karatee huee praudha़aake aage usake pautrako rakhatehue logonne kaha, 'ab jo hona tha, so ho chukaa. ab is baalakapar aas rakho.'

kuchh varsho pashchaat pota bhee mar gayaa. tab cheetkaar karatee huee vriddhaase logonne kaha, 'ab to bhagavaanoopar aas rakho. vahee sabaka beda़a paar lagaate hain.'

vriddha bolee, 'yah sab tumane pahale hee kyon naheen batala diya thaa.'



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