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मृतकके प्रति सहानुभूति  [Spiritual Story]
Moral Story - बोध कथा (छोटी सी कहानी)

लगभग ढाई हजार वर्ष पहलेकी बात है। चीनके महान् तत्त्वविवेचक महात्मा कनफ्युसियसने घोड़ागाड़ीसे वी नगरमें प्रवेश ही किया था कि उस घरसे रोनेपीटनेकी आवाज आयी कि जिसमें कुछ ही दिनों पहले वे अतिथि थे। उन्हें यह बात समझनेमें देर न लगी कि किसी प्राणीकी मृत्यु हो गयी है।उन्होंने बड़ी शान्तिसे उस घरमें प्रवेश किया और विलाप करनेवालेकी दशासे उनका हृदय विचलित हो उठा, नयनोंसे अश्रुवृष्टि होने लगी ।

वे उस शोकपूर्ण स्थितिसे इतने प्रभावित हुए कि अपनी गाड़ीके घोड़ोंको उन्होंने मृतककी उत्तम गति लिये दान कर दिया। 'घरमें प्रवेश करते ही मेरा हृदय शोकसे इतना बोझल हो गया कि बिना रोये मैं रह नहीं सकता था।

मृतकके प्रति रोने-पीटनेका मिथ्या प्रदर्शन दम्भके सिवा
और कुछ भी नहीं है। यदि मेरे अश्रु दिखावेके लियेहोते तो मुझे बड़ी घृणा होती अपने-आपपर । मृतककी पारलौकिक शान्तिके लिये यदि हम चेष्टा नहीं करते या उसके लिये प्रेम अथवा आत्मीयता नहीं व्यक्त करते तो यह तो उसके प्रति अपने-आपमें अपनत्वका अभाव है और यदि उसे मृतककी स्थितिमें देखकर भी ऐसा व्यवहार करते हैं जैसा जीवित प्राणीके प्रति किया जाता है तो यह भी कदापि उचित नहीं है; क्योंकि यह हमारी मूर्खता अथवा विवेकहीनताका द्योतक है।' महात्मा कनफ्युसियसके उद्गार थे उस अवसरपर ।

- रा0 श्री0



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mritakake prati sahaanubhooti

lagabhag dhaaee hajaar varsh pahalekee baat hai. cheenake mahaan tattvavivechak mahaatma kanaphyusiyasane ghoda़aagaada़eese vee nagaramen pravesh hee kiya tha ki us gharase ronepeetanekee aavaaj aayee ki jisamen kuchh hee dinon pahale ve atithi the. unhen yah baat samajhanemen der n lagee ki kisee praaneekee mrityu ho gayee hai.unhonne bada़ee shaantise us gharamen pravesh kiya aur vilaap karanevaalekee dashaase unaka hriday vichalit ho utha, nayanonse ashruvrishti hone lagee .

ve us shokapoorn sthitise itane prabhaavit hue ki apanee gaada़eeke ghoda़onko unhonne mritakakee uttam gati liye daan kar diyaa. 'gharamen pravesh karate hee mera hriday shokase itana bojhal ho gaya ki bina roye main rah naheen sakata thaa.

mritakake prati rone-peetaneka mithya pradarshan dambhake sivaa
aur kuchh bhee naheen hai. yadi mere ashru dikhaaveke liyehote to mujhe bada़ee ghrina hotee apane-aapapar . mritakakee paaralaukik shaantike liye yadi ham cheshta naheen karate ya usake liye prem athava aatmeeyata naheen vyakt karate to yah to usake prati apane-aapamen apanatvaka abhaav hai aur yadi use mritakakee sthitimen dekhakar bhee aisa vyavahaar karate hain jaisa jeevit praaneeke prati kiya jaata hai to yah bhee kadaapi uchit naheen hai; kyonki yah hamaaree moorkhata athava vivekaheenataaka dyotak hai.' mahaatma kanaphyusiyasake udgaar the us avasarapar .

- raa0 shree0

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