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अपनी खोज  [हिन्दी कथा]
शिक्षदायक कहानी - हिन्दी कहानी (Hindi Story)

सम्यक् सम्बोधि प्राप्त करनेके बाद भगवान् बुद्ध वाराणसी चले आये। मृगदाव ऋषिपत्तनमें पञ्चवर्गीय शिष्योंको सम्बुद्धकर उन्होंने चारिका विचरणके लिये उरुबल वनमें प्रवेश किया और एक घने वृक्षकी छायामें पद्मासन लगाकर बैठ गये।
'वह इधर ही गयी होगी कितनी नीच है वह ?'किसीने अत्यन्त उद्वेगभरे स्वरमें चिन्ता प्रकट की।पर वह इस वन खण्डसे भागकर जायगी कहाँ।कितने अमूल्य थे हमारे खाभरण' दूसरेने एक वृक्षकी छायामें ठहरकर संतोषकी साँस ली। दूसरे साथी आ गये।

"हम उसके लिये उरुबलका एक-एक कोना छान मारेंगे। वेश्याका विश्वास करनेवाला धोखा खाता ही है।' लोगोंने तत्परता प्रकट की।

वे उसकी खोजमें एक साथ निकल पड़े। वनके मध्यभागमें प्रवेश करते ही उन्होंने विशेष शान्तिकी अनुभूति की कुछ दूर जानेपर उन्होंने भगवान् बुद्धका दर्शन किया। दिव्य पुरुष समझकर उनकी चरण धूलि मस्तकपर चढ़ायो। भगवान्के कृश शरीरकी स्वर्णिम प्रदीसिसे वे विमुग्ध हो गये।

'आपने उसको इधरसे जाते देखा है ?' तीसोंभद्रवर्गीय मित्रोंने भगवान्से निवेदन किया। 'मुझे अपने-आपके सिवा दूसरा दीख ही नहीं रहा है। इतना ही सत्य है।' वे मौन हो गये।

'भन्ते! हमारा आशय एक स्त्रीसे है। वह वेश्या है। | हमलोग अपनी-अपनी पत्नियोंके साथ वन-विहार करने आये थे । पत्नीके अभावमें एक मित्रके मनोरञ्जनके लिये वह वेश्या हमारे साथ थी। हमें विशेष राग-रंगमें लिप्त देखकर हमारे कीमती रत्नालंकार आदि लेकर वह इसी वनखण्डमें अदृश्य हो गयी है। हमें उसीकी खोज है।' भद्रजनोंने पश्चात्ताप किया।

'भद्रो ! जगत्के विषय-भोग और सुख नश्वर तथा क्षणिक हैं। रत्नालंकार आदि तो आते-जाते रहते हैं। स्त्रीकी खोजसे कहीं अधिक सत्य आत्माकी खोज आवश्यक है।' भगवान् बुद्धने धर्मचक्षु जाग्रत् किया। अपनी शीतल मुसकान बिखेर दी।

'ठीक है, भन्ते! हमें स्त्रीकी आवश्यकता नहीं है, आत्माकी खोज करनी है।' भद्रवर्गीयोंने भगवान्से प्रव्रज्या - उपसम्पदाकी याचना की।

भगवान्ने धार्मिक सत्कथाओंसे उन्हें आत्मज्ञान और सद्धर्मका मर्म समझाया। वे उनके क्षणिक सत्सङ्गसे अपनी खोजमें लग गये।

- रा0 श्री0 (बुद्धचर्या)



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apanee khoja

samyak sambodhi praapt karaneke baad bhagavaan buddh vaaraanasee chale aaye. mrigadaav rishipattanamen panchavargeey shishyonko sambuddhakar unhonne chaarika vicharanake liye urubal vanamen pravesh kiya aur ek ghane vrikshakee chhaayaamen padmaasan lagaakar baith gaye.
'vah idhar hee gayee hogee kitanee neech hai vah ?'kiseene atyant udvegabhare svaramen chinta prakat kee.par vah is van khandase bhaagakar jaayagee kahaan.kitane amooly the hamaare khaabharana' doosarene ek vrikshakee chhaayaamen thaharakar santoshakee saans lee. doosare saathee a gaye.

"ham usake liye urubalaka eka-ek kona chhaan maarenge. veshyaaka vishvaas karanevaala dhokha khaata hee hai.' logonne tatparata prakat kee.

ve usakee khojamen ek saath nikal pada़e. vanake madhyabhaagamen pravesh karate hee unhonne vishesh shaantikee anubhooti kee kuchh door jaanepar unhonne bhagavaan buddhaka darshan kiyaa. divy purush samajhakar unakee charan dhooli mastakapar chadha़aayo. bhagavaanke krish shareerakee svarnim pradeesise ve vimugdh ho gaye.

'aapane usako idharase jaate dekha hai ?' teesonbhadravargeey mitronne bhagavaanse nivedan kiyaa. 'mujhe apane-aapake siva doosara deekh hee naheen raha hai. itana hee saty hai.' ve maun ho gaye.

'bhante! hamaara aashay ek streese hai. vah veshya hai. | hamalog apanee-apanee patniyonke saath vana-vihaar karane aaye the . patneeke abhaavamen ek mitrake manoranjanake liye vah veshya hamaare saath thee. hamen vishesh raaga-rangamen lipt dekhakar hamaare keematee ratnaalankaar aadi lekar vah isee vanakhandamen adrishy ho gayee hai. hamen useekee khoj hai.' bhadrajanonne pashchaattaap kiyaa.

'bhadro ! jagatke vishaya-bhog aur sukh nashvar tatha kshanik hain. ratnaalankaar aadi to aate-jaate rahate hain. streekee khojase kaheen adhik saty aatmaakee khoj aavashyak hai.' bhagavaan buddhane dharmachakshu jaagrat kiyaa. apanee sheetal musakaan bikher dee.

'theek hai, bhante! hamen streekee aavashyakata naheen hai, aatmaakee khoj karanee hai.' bhadravargeeyonne bhagavaanse pravrajya - upasampadaakee yaachana kee.

bhagavaanne dhaarmik satkathaaonse unhen aatmajnaan aur saddharmaka marm samajhaayaa. ve unake kshanik satsangase apanee khojamen lag gaye.

- raa0 shree0 (buddhacharyaa)

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