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दया नहीं, सेवा नहीं- पूजा  [Wisdom Story]
Shikshaprad Kahani - आध्यात्मिक कथा (Short Story)

दया नहीं, सेवा नहीं- पूजा

आजकल समाजसेवाके नामपर बहुतसे स्वार्थी तत्त्व जिस तरह प्रच्छन्नरूपसे अपने ही हित-साधनमें लगे रहते हैं, ऐसे अपरिपक्व मानव और रुग्ण चित्तवाले व्यक्तियोंकी समाजसेवाका परिणाम दुनिया देख रही है। जिनके चित्त पल-भरके लिये भी स्वस्थ नहीं हैं, महत्त्वाकांक्षाकी व्याधि कैंसर जैसी जिनके अन्तरंगको कुरेदती रहती है, ईर्ष्या और द्वेष, सत्ताकी लालसा जिनको खाये जा रही है, वे क्या सेवा करेंगे? सेवा करनेके लिये स्वस्थ, सन्तुलित व्यक्तित्व चाहिये। फिर ऐसे व्यक्तिके कर्म स्वयं ही सेवा बन जाते हैं। सेवा उसको करनी नहीं पड़ती, क्योंकि सेवा करनेसे भी अहंकार पुष्ट होता है।
श्रीरामकृष्ण परमहंसका अन्त समय समीप था। शिष्य बैठे बातें कर रहे थे—'जीवे दया वैष्णवेर परम धर्म।' परम्परासे कहते हैं कि वैष्णवका धर्म है जीव दिया। रामकृष्णने सुना तो उनके आँसू झरने लगे। बोले दया करनेवाले तुम कौन होते हो? तुम उन्हें नारायण समझकर पूजा करनेवाले हो सकते हो। तुमको पूजाका अधिकार है, नरमें प्रतिष्ठित नारायणकी। विवेकानन्द समझ गये, बोले आज सत्यको पाया। अब दुनियाको बताऊँगा कि दया नहीं, सेवा नहीं, 'पूजा'। पूजा अर्थात् सेवा करनी है नरमें प्रतिष्ठित नारायणकी। फिर दूसरोंकी सेवा नहीं करनी पड़ेगी। उसके जीवनसे सेवा झरेगी। जैसे मकरन्द झरता है पुष्पोंसे, चाँदनी झरती है चाँदसे, वैसे प्रेम झरेगा। और प्रेममें जो जीता चला जाता है, उससे जगत्का कल्याण होता है। परमात्मा सेवा करनेके नामपर आडम्बर करने वालोंकी जमातसे जगत्को बचाये।[ सुश्री विमलाजी ठकार ]



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daya naheen, seva naheen- poojaa

daya naheen, seva naheen- poojaa

aajakal samaajasevaake naamapar bahutase svaarthee tattv jis tarah prachchhannaroopase apane hee hita-saadhanamen lage rahate hain, aise aparipakv maanav aur rugn chittavaale vyaktiyonkee samaajasevaaka parinaam duniya dekh rahee hai. jinake chitt pala-bharake liye bhee svasth naheen hain, mahattvaakaankshaakee vyaadhi kainsar jaisee jinake antarangako kuredatee rahatee hai, eershya aur dvesh, sattaakee laalasa jinako khaaye ja rahee hai, ve kya seva karenge? seva karaneke liye svasth, santulit vyaktitv chaahiye. phir aise vyaktike karm svayan hee seva ban jaate hain. seva usako karanee naheen pada़tee, kyonki seva karanese bhee ahankaar pusht hota hai.
shreeraamakrishn paramahansaka ant samay sameep thaa. shishy baithe baaten kar rahe the—'jeeve daya vaishnaver param dharma.' paramparaase kahate hain ki vaishnavaka dharm hai jeev diyaa. raamakrishnane suna to unake aansoo jharane lage. bole daya karanevaale tum kaun hote ho? tum unhen naaraayan samajhakar pooja karanevaale ho sakate ho. tumako poojaaka adhikaar hai, naramen pratishthit naaraayanakee. vivekaanand samajh gaye, bole aaj satyako paayaa. ab duniyaako bataaoonga ki daya naheen, seva naheen, 'poojaa'. pooja arthaat seva karanee hai naramen pratishthit naaraayanakee. phir doosaronkee seva naheen karanee pada़egee. usake jeevanase seva jharegee. jaise makarand jharata hai pushponse, chaandanee jharatee hai chaandase, vaise prem jharegaa. aur premamen jo jeeta chala jaata hai, usase jagatka kalyaan hota hai. paramaatma seva karaneke naamapar aadambar karane vaalonkee jamaatase jagatko bachaaye.[ sushree vimalaajee thakaar ]

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