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जीव- दया  [शिक्षदायक कहानी]
Spiritual Story - Short Story (Spiritual Story)

नाग महाशय जैसे दयाकी मूर्ति थे। इनके घरके सामनेसे मछुए यदि मछली लेकर निकलते तो आप सारी मछलियाँ खरीद लेते और उन्हें ले जाकर तालाबमें छोड़ आते। एक दिन एक सर्प इनके बगीचे में आ गया। स्त्रीने इन्हें पुकारा- 'काला साँप ! लाठी ले आओ !'

नाग महाशय आये, किंतु खाली हाथ। आपबोले—‘जंगलका सर्प कहाँ किसीको हानि पहुँचाता है। यह तो मनका सर्प है जो मनुष्यको मारे डालता है।' इसके पश्चात् आप सर्पसे बोले- 'देव! आपको देखकर लोग डर रहे हैं। कृपा करके आप यहाँसे बाहर पधारें।'

सचमुच वह सर्प नाग महाशयके पीछे-पीछे बाहर गया और जंगलमें निकल गया। - सु0 सिं0



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jeeva- dayaa

naag mahaashay jaise dayaakee moorti the. inake gharake saamanese machhue yadi machhalee lekar nikalate to aap saaree machhaliyaan khareed lete aur unhen le jaakar taalaabamen chhoda़ aate. ek din ek sarp inake bageeche men a gayaa. streene inhen pukaaraa- 'kaala saanp ! laathee le aao !'

naag mahaashay aaye, kintu khaalee haatha. aapabole—‘jangalaka sarp kahaan kiseeko haani pahunchaata hai. yah to manaka sarp hai jo manushyako maare daalata hai.' isake pashchaat aap sarpase bole- 'deva! aapako dekhakar log dar rahe hain. kripa karake aap yahaanse baahar padhaaren.'

sachamuch vah sarp naag mahaashayake peechhe-peechhe baahar gaya aur jangalamen nikal gayaa. - su0 sin0

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अपनी वाणी में अमृत घोल
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श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
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मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
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श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
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