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जिन्दगीकी रफ्तारमें एक सबक  [Moral Story]
Moral Story - Spiritual Story (आध्यात्मिक कहानी)

जिन्दगीकी रफ्तारमें एक सबक

तेजी से दौड़ती कारपर एक ईंट आकर लगी। कार सवारने गाड़ी रोकी और देखा एक बच्चा उसीकी ओर आ रहा है। कार सवारके पूछनेपर उसने कहा-'यह ईंट मैंने ही मारी थी। दरअसल, अगले मोड़पर मेरा विकलांग भाई व्हील चेयरसे गिरकर सड़कपर पड़ा है। आप उस ओर इतनी तेजीसे जा रहे थे कि मेरी पुकार आपने सुनी ही नहीं, तब ईंट फेंककर मारनेके सिवा मेरे पास और कोई उपाय नहीं था।
कार- सवारने आगे जाकर मदद की और उसके भाईको उठाया।
कभी-कभी शायद हम भी जिन्दगीमें इतना तेज दौड़ते हैं कि भगवान्के इशारोंको अनदेखा कर देते हैं और तब भगवान्‌को मजबूरन एक जोरदार प्रहार करके हमको रोकना पड़ता है।
ठहरिये ! थोड़ा सोचिये।



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jindageekee raphtaaramen ek sabaka

jindageekee raphtaaramen ek sabaka

tejee se dauda़tee kaarapar ek eent aakar lagee. kaar savaarane gaada़ee rokee aur dekha ek bachcha useekee or a raha hai. kaar savaarake poochhanepar usane kahaa-'yah eent mainne hee maaree thee. daraasal, agale moda़par mera vikalaang bhaaee vheel cheyarase girakar sada़kapar pada़a hai. aap us or itanee tejeese ja rahe the ki meree pukaar aapane sunee hee naheen, tab eent phenkakar maaraneke siva mere paas aur koee upaay naheen thaa.
kaara- savaarane aage jaakar madad kee aur usake bhaaeeko uthaayaa.
kabhee-kabhee shaayad ham bhee jindageemen itana tej dauda़te hain ki bhagavaanke ishaaronko anadekha kar dete hain aur tab bhagavaan‌ko majabooran ek joradaar prahaar karake hamako rokana pada़ta hai.
thahariye ! thoda़a sochiye.

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