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जब भगवान बुद्ध ने स्वयं को एक किसान बता दिया

एक बार भगवान् बुद्ध धाराणसीमें एक किसानके घर भिक्षा मांगने गये। साथमें कुछ शिष्य भी थे। किस्सामने एक बार उन्हें ऊपाये नीतक देखा और फिर कहा-मैं तो किसान हूँ। कठोर श्रम करके अपना पेट पालता हूँ। आप क्यों बिना भ्रम किये आहार प्राप्त करना चाहते हैं?"

बुद्ध ने शान्त भावसे उत्तर दिया- भैया, मैं भी किसान हूँ, खेती करता हूँ।"

किसान बोला- 'कैसे ?' भगवान् बुद्धने किसानकी शंकाका समाधान करते हुए कहा-मैं ज्ञानकीखेती करता हूँ। आत्मा मेरा खेत है। मैं ज्ञानके हमसे जुताईकर अद्धाके बीज बोता हूँ। तपस्या एवं साधनाकेजलसे उसे सोचता हूँ सत्य एवं अहिंसाके सतत प्रयाससे निराई करता हूँ। यदि तुम मुझे अपनी खेतीकाकुछ भाग दोगे तो मैं भी तुम्हें अपनी खेतीका कुछ भाग दूंगा।'

किसानको भगवान् बुद्धकी बात पसन्द आ गयी, यह उनके चरणोंमें नतमस्तक हो गया।



jab bhagavaan buddh ne svayan ko ek kisaan bata diyaa

ek baar bhagavaan buddh dhaaraanaseemen ek kisaanake ghar bhiksha maangane gaye. saathamen kuchh shishy bhee the. kissaamane ek baar unhen oopaaye neetak dekha aur phir kahaa-main to kisaan hoon. kathor shram karake apana pet paalata hoon. aap kyon bina bhram kiye aahaar praapt karana chaahate hain?"

buddh ne shaant bhaavase uttar diyaa- bhaiya, main bhee kisaan hoon, khetee karata hoon."

kisaan bolaa- 'kaise ?' bhagavaan buddhane kisaanakee shankaaka samaadhaan karate hue kahaa-main jnaanakeekhetee karata hoon. aatma mera khet hai. main jnaanake hamase jutaaeekar addhaake beej bota hoon. tapasya evan saadhanaakejalase use sochata hoon saty evan ahinsaake satat prayaasase niraaee karata hoon. yadi tum mujhe apanee kheteekaakuchh bhaag doge to main bhee tumhen apanee kheteeka kuchh bhaag doongaa.'

kisaanako bhagavaan buddhakee baat pasand a gayee, yah unake charanonmen natamastak ho gayaa.



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